भारत-मॉरीशस संबंध: दीर्घकालिक संबंधों में गहराई

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरीशस के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में यात्रा वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत-मॉरीशस संबंधों की रणनीतिक गहराई को प्रकट करती है।
    • यह यात्रा मॉरीशस की सुरक्षा, आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

भारत-मॉरीशस साझेदारी के बारे में

  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: मॉरीशस पूर्व में ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेश था, जिसने 1968 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंध 19वीं शताब्दी से हैं, जब ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को द्वीप पर लाया गया था। 
  • महात्मा गांधी की मॉरीशस यात्रा (29 अक्टूबर – 15 नवंबर, 1901): शिक्षा, राजनीतिक सशक्तिकरण और भारत के साथ संबंधों का समर्थन किया।
    •  आज, मॉरीशस की लगभग 70% जनसंख्या भारत से जुड़ी हुई है, और यह सांस्कृतिक आत्मीयता द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला बनी हुई है। 
    • महात्मा गांधी संस्थान और विश्व हिंदी सचिवालय जैसी संस्थाएँ इन सांस्कृतिक संबंधों को आगे बढ़ाती हैं। 
    • मॉरीशस की भाषा, भोजन, त्योहारों और परंपराओं में भारत का सांस्कृतिक प्रभाव स्पष्ट है।
मॉरीशस गणराज्य
– यह हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है, जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग 2,000 किलोमीटर दूर है।
राजधानी: पोर्ट लुइस
मॉरीशस गणराज्य
  • राजनीतिक और कूटनीतिक जुड़ाव: कूटनीतिक संबंध 1948 में स्थापित किए गए थे।
    • मॉरीशस ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और राष्ट्रमंडल सहित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति का निरंतर समर्थन किया है। 
    • बदले में भारत ने चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस के क्षेत्रीय दावे का समर्थन किया है, जो यूनाइटेड किंगडम के साथ विवाद का विषय था। 
  • आर्थिक और व्यापार संबंध: व्यापार: यह विगत् 18 वर्षों में बढ़ा है, 2005-06 में 206.76 मिलियन अमरीकी डॉलर से 2023-24 में 851.13 मिलियन अमरीकी डॉलर तक।
    •  व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता (CECPA): भारत और किसी अफ्रीकी देश के बीच पहला ऐसा समझौता, जो तरजीही बाजार पहुँच प्रदान करता है।
trade category
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सिंगापुर के बाद मॉरीशस भारत में  FDI का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत था।
    • डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस कन्वेंशन (DTAC) पर हस्ताक्षर किए जाने के पश्चात्, मॉरीशस से FDI प्रवाह 2016-17 में 15.72 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2022-23 में 6.13 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया है।
  • वित्तीय सहायता: भारत ने 100 मिलियन डॉलर की रक्षा ऋण सुविधा सहित कई ऋण सुविधाएँ प्रदान की हैं।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र ( SEZs): भारत मॉरीशस को आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढाँचा विकसित करने में सहायता कर रहा है।
  • विकास सहायता:
    • मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना: मॉरीशस में सार्वजनिक परिवहन में सुधार।
    • सामाजिक आवास परियोजना: नागरिकों के लिए किफायती आवास।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र सहायता: महामारी के दौरान अस्पताल बनाने और कोविड-19 वैक्सीन सहायता प्रदान करने में सहायता।
  • रणनीतिक और रक्षा सहयोग: पश्चिमी हिंद महासागर के प्रहरी के रूप में मॉरीशस भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व रखता है।
  • समुद्री निगरानी: भारत समुद्री डकैती और अवैध मछली पकड़ने का मुकाबला करने के लिए अपने जल में गश्त करने में मॉरीशस की सहायता करता है।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: भारत ने मॉरीशस में एक नए नौसैनिक डॉकयार्ड के निर्माण में योगदान दिया है।
    • भारत ने समुद्री निगरानी बढ़ाने के लिए रडार नेटवर्क स्थापित करने में सहायता की है।
    • भारत अगालेगा द्वीप पर बुनियादी ढाँचे का विकास कर रहा है, जिससे हवाई और नौसैनिक संपर्क में सुधार हो रहा है।
  • रक्षा उपकरण आपूर्ति: भारत अनुकूल ऋण शर्तों के अंतर्गत रक्षा उपकरणों की आपूर्ति जारी रखता है।
  • एंटी-पायरेसी ऑपरेशन: क्षेत्र में समुद्री डकैती और अवैध गतिविधियों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास।
  • विजन सागर और क्षेत्रीय विकास: भारत का विजन सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) क्षेत्रीय सहयोग और समुद्री सुरक्षा पर बल देता है। एक करीबी समुद्री पड़ोसी के रूप में मॉरीशस इस विजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सहयोग के उभरते क्षेत्र

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक: भारत मॉरीशस को भारत के UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के अनुरूप डिजिटल भुगतान प्रणाली विकसित करने में सहायता कर रहा है।
    • वित्तीय क्षेत्र में डिजिटल खतरों का मुकाबला करने के लिए साइबर सुरक्षा सहयोग को मजबूत किया जा रहा है। 
  • नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन: भारत मॉरीशस को सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं सहित स्वच्छ ऊर्जा समाधानों में बदलाव लाने में मदद कर रहा है। मॉरीशस अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का सदस्य है, जो सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देने के लिए भारत के नेतृत्व में एक पहल है। 
  • अंतरिक्ष सहयोग: भारत ने आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान और समुद्री सुरक्षा के लिए मॉरीशस को उपग्रह प्रौद्योगिकी एवं रिमोट सेंसिंग क्षमताओं की पेशकश की है।

प्रमुख चुनौतियाँ

  • कर संधि संशोधन: मॉरीशस के साथ दोहरे कराधान से बचाव समझौते (DTAA) में भारत के संशोधन ने FDI गेटवे के रूप में इसके आकर्षण को कम कर दिया है।
  • बढ़ता चीनी प्रभाव: चीन मॉरीशस में अपने आर्थिक प्रभाव को बढ़ा रहा है, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे और व्यापार में निवेश के माध्यम से, जो संभावित रूप से भारत के रणनीतिक लाभ को चुनौती दे रहा है।
  • सुरक्षा खतरे: हिंद महासागर में बढ़ती समुद्री डकैती और अवैध मछली पकड़ने की घटनाएँ मजबूत समुद्री सहयोग की मांग करती हैं।

आगे की राह: भविष्य की संभावनाएँ

  • व्यापार समझौतों का विस्तार: IT  और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अधिक क्षेत्रों को शामिल करके CECPA को मजबूत करना। 
  • रक्षा संबंधों को बढ़ावा देना: मॉरीशस के रक्षा आधुनिकीकरण और संयुक्त सैन्य अभ्यास में भारत की भूमिका बढ़ाना। 
  • क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना: मॉरीशस अफ्रीका और हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) के साथ भारत के गहरे जुड़ाव के लिए एक सेतु के रूप में कार्य कर सकता है।

निष्कर्ष

  • भारत-मॉरीशस साझेदारी एक आदर्श द्विपक्षीय संबंध है, जो साझा इतिहास, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक संरेखण पर आधारित है।
  • जैसे-जैसे भारत अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति और अफ्रीका तक पहुँच का विस्तार कर रहा है, मॉरीशस क्षेत्रीय स्थिरता एवं आर्थिक विकास हासिल करने में एक महत्त्वपूर्ण भागीदार बना हुआ है।
  • व्यापार, रक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन में बढ़ते सहयोग के साथ, यह साझेदारी आने वाले वर्षों में मजबूत होगी।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत और मॉरीशस के बीच स्थायी संबंधों को आकार देने वाले ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं रणनीतिक कारकों की जाँच कीजिए। यह दीर्घकालिक संबंधों को और कैसे प्रगाढ़ कर सकता है और क्षेत्र में आपसी विकास और सहयोग को कैसे बढ़ावा दे सकता है?

Source: TH