पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- पशुपालन में एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, भारत एएमआर-प्रतिरोधी खाद्य प्रणाली बनाने के लिए आईसीएआर (ICAR) के नेतृत्व में साझेदारी के माध्यम से कीट-आधारित पशु चारे में नवाचार को आगे बढ़ा रहा है।
क्या है रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR)?
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और परजीवी समय के साथ परिवर्तित हो जाते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया देना बंद कर देते हैं, जिससे संक्रमणों का उपचार करना कठिन हो जाता है और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी व मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रत्येक वर्ष लगभग 7 लाख लोगों की एएमआर के कारण मृत्यु हो जाती है।
- यह संख्या 2050 तक 1 करोड़ तक पहुँच सकती है और वैश्विक वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.8% प्रभावित कर सकती है।
पारंपरिक पशु आहार एएमआर में कैसे योगदान देता है?
- विश्व भर में कुल एंटीबायोटिक दवाओं का 50% से अधिक उपयोग पशु कृषि में होता है।
- इन्हें केवल बीमारियों के उपचार के लिए नहीं, बल्कि पशुओं की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
- हालांकि, जानवरों में आंतों के बैक्टीरिया को लगातार एंटीबायोटिक के संपर्क में रखने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन (ARGs) का विकास होता है, जो भोजन की श्रृंखला, जल, मिट्टी और सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों तक पहुँच सकते हैं।
कीट-आधारित चारे का महत्व
- एएमआर में कमी लाना: कीटों में डिफेन्सिन्स और सेक्रोपिन्स जैसे रोगाणुरोधी पेप्टाइड्स (AMPs) होते हैं, जो स्वाभाविक रूप से जानवरों की प्रतिरक्षा को मजबूत करते हैं और रोग की घटनाओं को कम करते हैं, जिससे एंटीबायोटिक की आवश्यकता घटती है।
- पोषण में श्रेष्ठता: कीटों में सुपाच्य प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, वसा और सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जिंक, आयरन और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होते हैं।
- वे कई मछली व मुर्गी प्रजातियों के प्राकृतिक आहार का भाग भी होते हैं।
- आर्थिक व्यवहार्यता: शोध दर्शाते हैं कि कीट-आधारित चारे का लाभ-लागत अनुपात पारंपरिक मछली भोजन या सोयाबीन भोजन की तुलना में बेहतर होता है।
- स्थानीय स्तर पर इसका उत्पादन प्रोटीन युक्त चारे के महंगे आयात पर निर्भरता को कम करता है।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध के विरुद्ध प्रयास
- वैश्विक प्रयास:
- ग्लोबल एक्शन प्लान (GAP) on AMR: 2015 में देशों ने “वन हेल्थ” दृष्टिकोण पर आधारित इस साझा योजना को स्वीकार किया।
- विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह (WAAW): यह एक वैश्विक अभियान है जिसका उद्देश्य विश्व भर में AMR के बारे में जागरूकता फैलाना है।
- वैश्विक एएमआर और उपयोग निगरानी प्रणाली (GLASS): WHO ने 2015 में इसे शुरू किया ताकि ज्ञान की कमी दूर की जा सके और रणनीतियों का निर्माण किया जा सके।
- ग्लोबल एंटीबायोटिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट पार्टनरशिप (GARDP): यह WHO और ड्रग्स फॉर नेग्लेक्टेड डिजीजेस इनिशिएटिव (DNDi) की संयुक्त पहल है, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अनुसंधान व विकास को प्रोत्साहित करती है।
- भारतीय पहलें:
- एएमआर पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR): इसमें “वन हेल्थ” पद्धति पर ध्यान केंद्रित किया गया है और कई मंत्रालयों/विभागों को शामिल करने के उद्देश्य से यह शुरू की गई थी।
- एएमआर निगरानी नेटवर्क: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एएमआरएसएन (AMRSN) की स्थापना की ताकि साक्ष्य उत्पन्न किया जा सके और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के रुझान व पैटर्न को दर्ज किया जा सके।
- रेड लाइन अभियान: इस अभियान के अंतर्गत डॉक्टर के पर्चे से मिलने वाली एंटीबायोटिक दवाओं पर लाल रेखा चिन्हित करने की मांग की जाती है ताकि काउंटर से दवाओं की बिक्री को हतोत्साहित किया जा सके।
- राष्ट्रीय एंटीबायोटिक खपत नेटवर्क (NAC-NET): यह नेटवर्क संबंधित स्वास्थ्य संस्थानों से एंटीबायोटिक खपत से जुड़े डेटा को एकत्र करता है और उसे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) को भेजता है।
- ऑपरेशन अमृत: केरल ड्रग कंट्रोल विभाग द्वारा शुरू की गई यह पहल राज्य में एंटीबायोटिक के अति-उपयोग को रोकने के लिए है।
निष्कर्ष
- एएमआर संकट अब केवल भविष्य की चिंता नहीं रह गया है—यह वर्तमान की गंभीर चुनौती है, जो आधुनिक चिकित्सा, कृषि और वैश्विक विकास की नींव को चुनौती दे रहा है।
- कीट-आधारित पशु चारे की ओर परिवर्तन न केवल एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने का एक क्रांतिकारी अवसर है, बल्कि यह खाद्य प्रणालियों के पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम कर सकता है।
Source: TH
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