भारत के पास वैश्विक स्तर पर बंदरगाह क्षेत्र में महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाएँ हैं

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ 

  • भारत वैश्विक स्तर पर अपने बंदरगाह अवसंरचना और प्रबंधन क्षमताओं के रणनीतिक विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

अफ्रीकी विस्तार

  • तंजानिया पर विशेष ध्यान: भारत और तंजानिया ने समुद्री सहयोग पर कई समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • नवीन परियोजनाएँ: जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) तंजानिया में एक औद्योगिक पार्क विकसित कर रही है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: कोचिन शिपयार्ड ने तंजानिया की समुद्री फर्म मरीन सर्विसेज कंपनी लिमिटेड के साथ साझेदारी की है।
  • अदानी पोर्ट्स (APSEZ):
    • APSEZ पहले से ही दार एस सलाम पोर्ट में CT2 का संचालन 30-वर्षीय रियायत के तहत कर रहा है।
    • यह तंजानिया इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल सर्विसेज (TICTS) में ईस्ट अफ्रीका गेटवे लिमिटेड (EAGL) के माध्यम से शामिल है।
    • EAGL ने AD पोर्ट्स ग्रुप और ईस्ट हार्बर टर्मिनल्स लिमिटेड (EHTL) के साथ संयुक्त उद्यम बनाया, जिसने TICTS में 95% हिस्सेदारी प्राप्त की।

चाबहार पोर्ट प्रगति

  • बढ़ता माल परिवहन: इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) द्वारा संचालित, चाबहार अब अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक प्रमुख प्रवेश द्वार बन रहा है।
  • कंटेनर हैंडलिंग वृद्धि: FY23 में 9,000 TEUs से बढ़कर जनवरी FY25 तक 64,000 TEUs तक पहुँचा, और FY26 तक 100,000 TEUs की पूर्ण क्षमता की संभावना ।
  • भविष्य की योजनाएँ:
    • ₹4,000 करोड़ पूँजीगत विस्तार, जिससे 10 वर्षों में क्षमता पाँच गुना बढ़कर 500,000 TEUs तक होगी।
    • मोबाइल हार्बर क्रेन और दूसरे बर्थ जैसे अतिरिक्त बुनियादी ढाँचे को शामिल किया जाएगा।

पड़ोसी देशों में विस्तार

  • म्यांमार: इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) अब सिटवे पोर्ट का संचालन करता है, जो कलादान परियोजना का हिस्सा है और भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है।
  • श्रीलंका: कंकेसनथुराई पोर्ट का विकास चल रहा है, और भारत के साथ फेरी सेवा फिर से पुनर्स्थापित की जा रही है।
  • APSEZ ने कोलंबो वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) में परिचालन प्रारंभ किया, जो एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट सुविधा है।

इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) का पुनः विन्यास

  • शिपिंग मंत्रालय की योजना:
    • IPGL को केवल रणनीतिक संपत्ति से वाणिज्यिक ऑपरेटर में बदलने की योजना।
    • ‘भारत ग्लोबल पोर्ट्स’ एकीकृत बंदरगाह अवसंरचना प्रदाता के रूप में कार्य करेगा, जिसमें IPGL इसका परिचालन विंग होगा।
    • IPGL की वैश्विक साख को मजबूत करने के लिए घरेलू प्रभाव बढ़ाने का लक्ष्य।
भारत का बंदरगाह क्षेत्र
– भारत में 13 प्रमुख (केंद्र सरकार नियंत्रित) बंदरगाह और 217 छोटे/मध्यवर्ती (राज्य सरकार नियंत्रित) बंदरगाह हैं।
प्रबंधन: बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा संचालित।
रणनीतिक स्थिति:
– भारत विश्व के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों पर स्थित है, जिससे यह एक प्रमुख व्यापार केंद्र और वैश्विक शक्ति बन रहा है।
समुद्री क्षेत्र का अवलोकन:
– भारत का 95% व्यापार मात्रा और 70% व्यापार मूल्य समुद्री मार्गों से होता है।
बंदरगाह रैंकिंग सुधार:
– 2014 में 54वें स्थान से 2023 में 38वें स्थान पर पहुँचा।
9 भारतीय बंदरगाह अब वैश्विक शीर्ष 100 में शामिल हैं।
कार्गो-हैंडलिंग में वृद्धि:
– 2014-15 से 2023-24 के बीच 87.01% की वार्षिक क्षमता वृद्धि
समुद्री क्षेत्र का महत्व:
– भारत 16वां सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है और वैश्विक शिपिंग में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
भविष्य के लक्ष्य:
2035 तक बंदरगाह अवसंरचना में $82 बिलियन निवेश
अगले दशक में कम से कम 1,000 जहाजों के बेड़े का विस्तार करने के लिए नई शिपिंग कंपनी की स्थापना।

आगे की राह 

  • भारत की चाबहार से लेकर अफ्रीका और पड़ोसी समुद्री क्षेत्रों में सक्रिय बंदरगाह विकास भागीदारी, रणनीतिक समुद्री गहराई और आर्थिक सुदृढ़ता का संकेत देती है। 
  • इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के माध्यम से, भारत न केवल प्रमुख व्यापार गलियारों में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक और अफ्रीका में एक विश्वसनीय इंफ्रास्ट्रक्चर भागीदार के रूप में उभर रहा है। 
  • निवेश, समझौते (MoUs) और संस्थागत पुनर्गठन दर्शाते हैं कि भारत अब एक दीर्घकालिक और नियम-निर्धारित खिलाड़ी बनने की दिशा में बढ़ रहा है। 
  • बंदरगाह क्षमता का विस्तार, क्षेत्रीय साझेदारी और IPGL को वैश्विक ऑपरेटर के रूप में पुनः स्थापित कर भारत व्यापार संपर्क, क्षेत्रीय प्रभाव और भू-रणनीतिक लाभ को मजबूत कर रहा है।

Source: TH

 

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