पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- भारत और यूरोपीय संघ (EU) के प्रमुख वार्ताकारों ने प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर एक और दौर की वार्ता पूर्ण कर ली है और दो चरणों में समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की है।
भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता का अवलोकन
- वार्ता का पुनः आरंभ: जून 2022 में 8 साल के अंतराल के बाद वार्ता फिर प्रारंभ हुई (2013 में बाजार पहुँच से जुड़ी असहमति के कारण रुकी थी)।
- उद्देश्य: वस्तु, सेवाओं, निवेश और भौगोलिक संकेतों को शामिल करने वाला एक व्यापक व्यापार समझौता अंतिम रूप देना।
- वार्ता की संरचना: समझौते को दो चरणों में पूरा किया जाएगा, जैसा कि भारत ने पहले ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य FTA में अपनाया है।
- कारण: वैश्विक व्यापारिक वातावरण की अनिश्चितता, जिसमें अमेरिकी टैरिफ नीतियाँ भी शामिल हैं।
- लक्ष्य: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने इस साल के अंत तक समझौते को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की है।
मुख्य ध्यान केंद्रित क्षेत्र
- बाजार पहुँच: यूरोपीय संघ द्वारा ऑटोमोबाइल, चिकित्सा उपकरण, शराब, मांस और पोल्ट्री में शुल्क कटौती की माँग।
- सेवाएँ और निवेश: माल, सेवाओं और निवेश में बाजार पहुँच की पेशकश पर केंद्रित वार्ता।
- नियामक पहलू: सुदृढ़ बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) ढाँचा।
- अन्य समझौते: स्वच्छता एवं पादप स्वच्छता उपायों, व्यापार में तकनीकी बाधाओं, सीमा शुल्क, सरकारी खरीद और स्थिरता से संबंधित समझौते।
संभावित लाभ
- तैयार वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, स्टील, पेट्रोलियम उत्पाद और विद्युत मशीनरी जैसे भारतीय निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
- निवेश संरक्षण मजबूत होगा और विवाद निपटान तंत्र अधिक स्पष्ट होगा।
- नवाचार और सतत विकास में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
भारत-यूरोपीय संघ संबंध
- राजनीतिक सहयोग: भारत-यूरोपीय संघ संबंध 1960 के दशक की शुरुआत से हैं, और 1994 में हस्ताक्षरित सहयोग समझौते ने इसे व्यापार और आर्थिक सहयोग से आगे बढ़ाया।
- भारत-EU शिखर सम्मेलन: 2000 में प्रथम भारत-EU शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ, जो इस संबंध के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण था।
- रणनीतिक साझेदारी: 2004 में हेग में 5वें भारत-EU शिखर सम्मेलन में इस संबंध को ‘रणनीतिक साझेदारी’ तक बढ़ाया गया।
- आर्थिक सहयोग: भारत और यूरोपीय संघ के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 137.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिससे EU भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा वस्तु व्यापारिक साझेदार है, भारत के 17% निर्यात EU को जाते हैं और EU के 9% निर्यात भारत आते हैं।
अन्य सहयोग क्षेत्र:
- भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी (IEWP): 2016 में स्थापित, जल प्रबंधन में तकनीकी, वैज्ञानिक और नीति ढाँचे को सुधारने का लक्ष्य।
- परमाणु ऊर्जा अनुसंधान सहयोग: 2020 में यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय और भारत सरकार के बीच शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा उपयोग में अनुसंधान एवं विकास सहयोग पर समझौता।
- व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC): 2023 में भारत और EU द्वारा स्थापित, व्यापार, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा पर सहयोग के लिए एक मंच।
| यूरोपीय संघपरिचय: – परिचय: यूरोपीय संघ (EU) 27 देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है। – पृष्ठभूमि: EU का आधार 1950 में स्थापित यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय में हैं, जिसमें सिर्फ छह सदस्य थे: बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड। – विकास: 1957 में रोम संधि के तहत यह यूरोपीय आर्थिक समुदाय बना, फिर यूरोपीय समुदाय (EC) कहलाया। – स्थापना: 1993 में मास्ट्रिच संधि द्वारा यूरोपीय संघ (EU) का गठन हुआ, जिसे सभी ईसी सदस्य देशों ने अनुमोदित किया। – उद्देश्य: EU अपने सदस्य राष्ट्रों में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है और यह विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यापारिक समूहों में से एक है। – मुद्रा: 20 सदस्य देशों की आधिकारिक मुद्रा यूरो (€) है। |
Source: BS
Previous article
संक्षिप्त समाचार 19-05-2025
Next article
तुर्की और अज़रबैजान के साथ भारत के संबंध