पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- दोहा में इज़राइल की बमबारी की भारत द्वारा हाल ही में की गई निंदा, अन्य देशों में इज़राइली अभियानों पर भारत की पहले की नरम प्रतिक्रियाओं से एक परिवर्तन को दर्शाती है।
परिचय
- इज़राइली रक्षा बलों (IDF) ने कतर के दोहा में एक घर पर बमबारी की, जहां बताया गया कि हमास नेता अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम योजना पर बैठक कर रहे थे।
- इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस हमले को “औचित्यपूर्ण” बताया तथा कतर पर “हमास कार्यकर्ताओं को शरण और वित्तीय सहायता देने” का आरोप लगाया।
- भारत ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन की निंदा की।
- यह बयान क्षेत्र के अन्य देशों जैसे लेबनान, यमन, ट्यूनीशिया, सीरिया और ईरान में इज़राइल की बमबारी पर भारत की प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट रूप से भिन्न है।
भारत के दृष्टिकोण के कारण
- ऊर्जा सुरक्षा: कतर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण एलएनजी आपूर्तिकर्ता है, जिसके साथ दीर्घकालिक अनुबंध हैं।
- दोहा में किसी भी प्रकार की उथल-पुथल भारत की ऊर्जा स्थिरता को सीधे खतरे में डालती है।
- बड़ी प्रवासी जनसंख्या: कतर में 8 लाख से अधिक भारतीय रहते हैं, जो प्रेषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- प्रवासी समुदायों की सुरक्षा भारत की खाड़ी नीति में हमेशा प्राथमिकता रही है।
- रणनीतिक संतुलन: भारत के इज़राइल के साथ सुदृढ़ रक्षा और तकनीकी संबंध हैं, लेकिन अरब खाड़ी देशों के साथ गहरे आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध भी हैं।
- बयान इज़राइल की प्रत्यक्ष निंदा से वचाव किया है, लेकिन अस्थिरता फैलाने वाली कार्रवाइयों पर असंतोष व्यक्त करता है।
- भू-राजनीतिक गणनाएं: अमेरिका को खाड़ी क्षेत्र में अपनी सुरक्षा भूमिका कम करते हुए देखा जा रहा है।
- भारत को उन GCC देशों के साथ सद्भाव बनाए रखना आवश्यक है जो संयुक्त रक्षा तंत्र तलाश रहे हैं।
- बहुपक्षीय दृष्टिकोण के साथ संगति: भारत ने हाल ही में UNGA में फिलिस्तीन के लिए दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है और उसका दृष्टिकोण इसी के अनुरूप है।
भारत के दृष्टिकोण के प्रभाव
- कतर और GCC के साथ संबंधों को सुदृढ़ करता है: खाड़ी देशों को संकेत देता है कि भारत उनकी सुरक्षा चिंताओं को महत्व देता है।
- यह ऊर्जा अनुबंधों, व्यापार और प्रवासी हितों की रक्षा करेगा।
- इज़राइल के साथ संबंध बनाए रखता है: भारत ने प्रत्यक्ष निंदा से स्वयं का बचाव किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि अंधाधुंध सैन्य कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है।
- भारत की उत्तरदायी शक्ति की छवि को बढ़ावा देता है: हमले को “शांति और स्थिरता के लिए खतरा” कहकर भारत ने स्वयं को पश्चिम एशिया में एक संतुलित, शांति-प्रिय शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
- यह अरब लीग, OIC और UNGA जैसे मंचों पर भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
- रणनीतिक स्वायत्तता की अभिव्यक्ति: यह दर्शाता है कि भारत अंधाधुंध रूप से इज़राइल या अमेरिका के दृष्टिकोण का समर्थन नहीं कर रहा है।
- यह बहुध्रुवीय पश्चिम एशिया में भारत के बहुपक्षीय जुड़ाव के दृष्टिकोण को सुदृढ़ करता है।
- भारत की पश्चिम एशिया नीति पर प्रभावइज़राइल और अरब विश्व के बीच संतुलन: इज़राइल के साथ भारत के करीबी संबंध अब अरब गुट के साथ तनाव का सामना कर रहे हैं; गाजा पर चुप्पी, जहाँ भारी नागरिक हताहत हुए हैं, सद्भावना को हानि पहुँचा रही है।
- UNGA में दो-राज्य समाधान के पक्ष में भारत का अंतिम मतदान दर्शाता है कि उसे इज़राइल के साथ संबंधों को संतुलित करना होगा, साथ ही अरब संवेदनशीलताओं का ध्यान रखना होगा।
- ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी चिंताएं: ऊर्जा विविधीकरण और प्रवासी सुरक्षा भारत की पश्चिम एशिया नीति के प्रमुख चालक बने रहेंगे।
- क्षेत्रीय बहुपक्षीयता और भारत की भागीदारी: अरब लीग–OIC की निंदा और GCC की रक्षा वार्ताएं दर्शाती हैं कि अरब एकता फिर से उभर रही है।
- भारत, जिसका सऊदी अरब, UAE, कतर, ओमान और कुवैत में गहरा आर्थिक हित है, क्षेत्रीय चिंताओं के प्रति उदासीन नहीं दिख सकता।
- भारत को भारत–GCC FTA वार्ता जैसे मंचों में अपनी भागीदारी बढ़ानी पड़ सकती है, और द्विपक्षीय संबंधों से आगे बढ़कर रणनीतिक संवादों का विस्तार करना होगा।
आगे की राह
- भविष्य में तनाव बढ़ने से भारत को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इज़राइल और अरब साझेदार दोनों ही समर्थन की संभावना करेंगे।
- वर्तमान स्थिति लेन-देन संबंधी कूटनीति की सीमाओं को उजागर करती है—भारत को मूल्यों और हितों के बीच संतुलन बनाना होगा।
Source: TH
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