पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- राज्य-स्वामित्व वाली जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने कहा है कि बीमा उद्योग की सबसे बड़ी समस्या धोखाधड़ी है।
भारतीय बीमा क्षेत्र (FY24)
- बाजार प्रदर्शन:
- कुल बीमा प्रीमियम 7.7% बढ़कर ₹11.2 लाख करोड़ तक पहुँचा।
- यह वैश्विक और घरेलू आर्थिक अस्थिरता के बावजूद जारी गति को दर्शाता है।
- बीमा कवरेज:
- कुल बीमा कवरेज FY23 में 4.0% से घटकर FY24 में 3.7% रह गया।
- जीवन बीमा कवरेज 3.0% से घटकर 2.8% हो गया।
- गैर-जीवन बीमा कवरेज 1.0% पर स्थिर बना रहा।
- भविष्य की संभावनाएँ:
- स्विस री इंस्टिट्यूट ने भविष्यवाणी की है कि भारत का बीमा क्षेत्र आगामी पाँच वर्षों (2024-2028) में 11.1% की दर से वृद्धि करेगा, जिससे यह G20 देशों में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला बाजार बन जाएगा।
- मध्य वर्ग का विस्तार, तकनीकी प्रगति और अनुकूल नियामक उपाय इस वृद्धि को प्रेरित करेंगे।
- बीमा कंपनियाँ
- वर्तमान में 25 जीवन बीमा कंपनियाँ और 34 सामान्य बीमा कंपनियाँ हैं।
- जीवन बीमा निगम (LIC) एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी है।
- जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (GIC Re) देश की एकमात्र पुनर्बीमा कंपनी है।
| बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) – 1999 में माल्होत्रा समिति की सिफारिशों के बाद स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित। – 2000 में एक वैधानिक निकाय के रूप में शामिल किया गया। – बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 114A के अंतर्गत विनियम तैयार करने का अधिकार प्राप्त। – उद्देश्य: पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा और बीमा उद्योग का विनियमन करना। – IRDAI वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। |
क्षेत्र की चुनौतियाँ
- निम्न बीमा कवरेज: भारत में 3.7% बीमा कवरेज वैश्विक औसत (7%) से कम है, जिससे बीमाकर्ताओं के लिए विस्तार की संभावनाएँ बनती हैं।
- दावों की निपटान प्रक्रिया: देरी, अस्वीकृति, और पारदर्शिता की कमी ग्राहकों को असंतुष्ट करती है।
- वितरण सीमाएँ: ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच सीमित है; शहरी क्षेत्रों में एजेंटों पर निर्भरता बनी हुई है।
- मूल्य निर्धारण: ऊँचे प्रीमियम और कुछ उत्पादों की कम कीमत से कम-आय वर्ग प्रभावित होता है।
- धोखाधड़ी और गलत बिक्री: फर्जी दावों और एजेंटों द्वारा गलत बिक्री से ग्राहक विश्वास को क्षति पहुँचती है।
- बढ़ती लागत: चिकित्सा और दावों की लागत बढ़ने से बीमा की पहुँच और लाभप्रदता प्रभावित होती है।
भारत सरकार की पहल
- बीमा क्षेत्र में FDI सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने के लिए वित्त मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा।
- पहले फरवरी 2021 में FDI सीमा 49% से 74% की गई थी।
- IRDAI को अधिक शक्ति दी गई:
- बीमा उद्योग का नियमन एवं बढ़ावा देने के लिए।
- ग्राहक शिकायत निवारण में सुधार के लिए।
- उत्पाद अनुमोदन को सरल बनाने के लिए।
- बीमा सुगम पहल:
- बीमा हितधारकों को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़कर प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
- बीमा वाहक:
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित एजेंटों के माध्यम से बीमा की अंतिम छोर तक पहुँच।
- अनिवार्य ई-बीमा:
- IRDAI ने सभी श्रेणियों में डिजिटल बीमा नीति को अनिवार्य किया।
- स्वास्थ्य बीमा की प्रतीक्षा अवधि 48 महीने से घटाकर 36 महीने की गई।
आगे की राह
- टियर 2 और 3 शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों को लक्षित कर बीमा कवरेज का विस्तार।
- वित्तीय साक्षरता बढ़ाना – शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से बीमा उत्पादों की समझ विकसित करना।
- नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना – उत्पाद अनुमोदन को तेज़ और कम जटिल बनाना।
- दावा निपटान प्रक्रिया में सुधार – तेज़, पारदर्शी और कुशल प्रणाली लागू करना।
- वितरण नेटवर्क को विस्तारित करना – डिजिटल प्लेटफॉर्म और मोबाइल तकनीक का उपयोग।
- स्वास्थ्य बीमा कवरेज बढ़ाना – गंभीर बीमारियों, अस्पताल में भर्ती और उपचार बाद देखभाल को शामिल करना।
Source: IE
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