पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- 11 मई को भारत का 27वाँ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया गया। इस वर्ष की थीम “YANTRA” है, जो उन्नत अनुसंधान और तकनीकी प्रगति के माध्यम से परिवर्तन का प्रतीक है।
परिचय
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस को 11 मई के रूप में नामित किया था, ताकि 1998 में भारतीय सेना द्वारा किए गए पोखरण परमाणु परीक्षणों को याद किया जा सके। 11 मई 1998 को भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा दो अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धियाँ प्रदर्शित की गईं:
- त्रिशूल मिसाइल का सफल परीक्षण।
- स्वदेशी रूप से विकसित विमान “हंसा” की पहली परीक्षण उड़ान।
- इस दिवस का उद्देश्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और युवा पीढ़ी को प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, और गणित के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है।
क्या आप जानते हैं? – भारत वर्तमान में दुनिया के उन नौ देशों में शामिल है जिनके पास सार्वजनिक रूप से ज्ञात परमाणु हथियार कार्यक्रम है। – होमी जहांगीर भाभा को भारत के परमाणु कार्यक्रम का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है। |
प्राचीन भारत का विज्ञान में योगदान
भारत की तकनीकी उपलब्धियाँ
- भारत ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2024 में 39वाँ स्थान और वैश्विक बौद्धिक संपदा (IP) फाइलिंग में छठे स्थान प्राप्त किया, जैसा कि WIPO रिपोर्ट में बताया गया है।
- नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स (NRI) 2024 के अनुसार, भारत 2019 में 79वें स्थान से ऊपर उठकर 49वें स्थान पर पहुँच गया, जिससे आई.सी.टी. अवसंरचना और डिजिटल परिवर्तन में प्रगति को दर्शाया गया।
- भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनकर उभरा है, जिससे उद्यमिता और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिला है।
- भारत की कृषि संबंधी उपलब्धियाँ:
- हरित क्रांति (1960-70): गेहूँ और चावल की उच्च उत्पादकता वाली किस्मों (HYVs) का परिचय।
- श्वेत क्रांति (1970): भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना और दूध आयात समाप्त किया।
- भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक उपलब्धियाँ:
- INS कलवरी (1967): भारत की प्रथम स्वदेशी नौसेना पनडुब्बी, जिसने ‘मेड-इन-इंडिया’ रक्षा क्षमता की शुरुआत की।
- अग्नि सीरीज: रणनीतिक प्रतिरोध के लिए लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें।
- पृथ्वी सीरीज: सतह-से-सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइलें।
- ब्रह्मोस: रूस के साथ सह-विकसित, विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल।
- तेजस (LCA): भारत का प्रथम स्वदेशी रूप से विकसित सुपरसोनिक लड़ाकू विमान।
- INS अरिहंत: भारत की प्रथम बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु पनडुब्बी।
- INS विक्रांत (2022): प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत, एक प्रमुख नौसेना उपलब्धि।
- भारत की स्वदेशी अंतरिक्ष तकनीक उपलब्धियाँ:
- चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन। चंद्रमा पर यान भेजने वाला चौथा देश बना।
- चंद्र सतह पर जल अणुओं की खोज—एक ऐतिहासिक वैज्ञानिक उपलब्धि।
- मंगलयान (2013): भारत प्रथम प्रयास में मंगल तक पहुँचने वाला प्रथम राष्ट्र बना।
- 104 उपग्रह एक ही लॉन्च में (2017): एक ही मिशन में सबसे अधिक उपग्रह भेजने का विश्व रिकॉर्ड बनाया।
- चंद्रयान-3 (2023): चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग—एक वैश्विक उपलब्धि।
- आदित्य-L1 (2023): भारत का प्रथम सौर मिशन, जो सूर्य की बाहरी परतों का अध्ययन करता है।
- गगनयान (2027): भारत का प्रथम मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान मिशन।
- शुक्रयान (2028): शुक्र ऑर्बिटर मिशन, जो ग्रह के सघन वातावरण का अध्ययन करेगा।
- चंद्रयान-1 (2008): भारत का पहला चंद्र मिशन। चंद्रमा पर यान भेजने वाला चौथा देश बना।
- डिजिटल अवसंरचना:
- आधार: विश्व की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक ID प्रणाली।
- UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस): डिजिटल भुगतान और फिनटेक में क्रांति।
- भारत वैश्विक स्तर पर वास्तविक समय डिजिटल लेनदेन में अग्रणी है।
तकनीकी उन्नयन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल:
- मेक इन इंडिया (2014): रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स, अर्धचालक(सेमीकंडक्टर), और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे हाई-टेक क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देता है।
- अटल इनोवेशन मिशन (AIM):
- अटल टिंकरिंग लैब्स (ATLs) स्कूलों में नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देती हैं।
- अटल इनक्यूबेशन सेंटर (AICs) स्टार्टअप्स को समर्थन देते हैं।
- राष्ट्रीय साइबर-फिजिकल सिस्टम मिशन (NM-ICPS):
- AI, रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देता है।
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB): स्वदेशी तकनीकों के व्यावसायीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM): उच्चस्तरीय सुपरकंप्यूटर स्थापित करने का लक्ष्य।
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM):
- ₹6003.65 करोड़ के निवेश के साथ 8 वर्षों में क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, संवेदन और सामग्री अनुसंधान को बढ़ावा।
- 43 संस्थानों के 152 शोधकर्त्ता इसमें योगदान दे रहे हैं।
- IN-SPACe और NSIL (NewSpace India Ltd): भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा।
- रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) और iDEX: स्वदेशी रक्षा स्टार्टअप्स और MSMEs को उन्नत तकनीकों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
- INSPIRE कार्यक्रम (DST): छात्रों को विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान करियर के लिए छात्रवृत्ति और इंटर्नशिप प्रदान करता है।
बजट आवंटन और विकास:
- अनुसंधान एवं विकास (GERD) के लिए बजट आवंटन दोगुना हो गया है, साथ ही DST और DBT बजट में 100% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र का बजट लगभग तीन गुना बढ़ गया है, जिससे भारत को भविष्य के लिए तैयार तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
निष्कर्ष
- भारत सरकार की विभिन्न पहल ने नवाचार, कौशल विकास, और अनुसंधान एवं विकास का एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है, जो देश को वैश्विक तकनीकी केंद्र बनने में सक्षम बना रहा है और नागरिकों के लिए समावेशी लाभ सुनिश्चित कर रहा है।
Source: PIB
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