पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य, GS3/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- सर्वोच्च न्यायालय ने उन याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है जो सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपतियों के लिए निर्धारित आयु सीमा को चुनौती देती हैं।
- सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 सरोगेसी के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं।
सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021
- सरोगेसी की परिभाषा: यह अधिनियम सरोगेसी को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित करता है जिसमें एक महिला एक दंपति के लिए बच्चा जन्म देती है और जन्म के पश्चात् उसे उस दंपति को सौंपने का प्रयोजन रखती है।
- यह केवल परोपकारी उद्देश्यों के लिए या उन दंपतियों के लिए अनुमति है जो सिद्ध बांझपन या बीमारी से पीड़ित हैं।
- व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए सरोगेसी प्रतिबंधित है, जैसे कि बिक्री, वेश्यावृत्ति या किसी भी प्रकार के शोषण के लिए।
- गर्भपात: ऐसे भ्रूण का गर्भपात केवल सरोगेट माँ की सहमति और प्राधिकरणों की अनुमति से किया जा सकता है, और यह गर्भावस्था की चिकित्सकीय समाप्ति अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार होना चाहिए।
- दंपतियों के लिए पात्रता और शर्तें: दंपति को सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्ति के लिए पात्रता और आवश्यकता प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
- दंपति तभी ‘पात्र’ माने जाते हैं जब:
- उनकी शादी को कम से कम पाँच वर्ष हो चुके हों।
- पत्नी की आयु 23 से 50 वर्ष और पति की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच हो।
- अविवाहित महिला की आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- दंपति के पास कोई जीवित संतान (जैविक, गोद ली हुई या सरोगेसी से प्राप्त) नहीं होनी चाहिए।
- यदि संतान मानसिक या शारीरिक विकलांगता से पीड़ित है या जीवन-घातक बीमारी से ग्रस्त है, तो इस शर्त से छूट दी गई है।
- दंपति को ‘आवश्यकता’ प्रमाणपत्र तब मिलेगा जब किसी एक साथी को सिद्ध बांझपन हो और यह जिला चिकित्सा बोर्ड द्वारा प्रमाणित हो।
- उन्हें सरोगेट माँ के लिए 16 महीने का बीमा कवरेज भी लेना होगा, जो प्रसवोत्तर जटिलताओं को कवर करता हो।
- दंपति तभी ‘पात्र’ माने जाते हैं जब:
- सरोगेट माँ बनने की पात्रता: सरोगेट माँ को दंपति की निकट संबंधी होना चाहिए।
- वह एक विवाहित महिला होनी चाहिए जिसके पास अपना एक बच्चा हो।
- उसकी आयु 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- वह अपने जीवन में केवल एक बार सरोगेट बन सकती है।
- उसे चिकित्सकीय और मानसिक रूप से फिट होने का प्रमाणपत्र भी प्राप्त करना होगा।
- विनियमन और निगरानी: अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड (NSB) और राज्य सरोगेसी बोर्ड (SSB) की स्थापना अनिवार्य है।
- ये संस्थाएं सरोगेसी क्लीनिकों के लिए मानक तय करने, उल्लंघनों की जांच करने और सुधार की सिफारिशें देने का कार्य करती हैं।
- अपराध और दंड:
- अधिनियम के अंतर्गत अपराधों में शामिल हैं:
- व्यावसायिक सरोगेसी
- भ्रूण की बिक्री
- सरोगेट बच्चे का शोषण या परित्याग
- इन अपराधों के लिए 10 वर्ष तक की जेल और ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- अधिनियम के अंतर्गत अपराधों में शामिल हैं:
आयु सीमा के पक्ष में तर्क
- बच्चे की कल्याण और पालन-पोषण क्षमता: यह सुनिश्चित करता है कि माता-पिता बच्चे के प्रारंभिक वर्षों में उसे पालने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम हों।
- विनियामक मानकीकरण: पूरे भारत में क्लीनिकों और सरोगेसी व्यवस्थाओं के लिए एकरूपता एवं कानूनी स्पष्टता प्रदान करता है।
- प्रजनन अधिकार और स्वास्थ्य जोखिमों का संतुलन: 50 वर्ष से अधिक की महिलाओं और 55 वर्ष से अधिक के पुरुषों में चिकित्सकीय जटिलताओं, आनुवंशिक विकृतियों एवं उम्र से संबंधित प्रजनन क्षमता में गिरावट का जोखिम अधिक होता है।
- जिम्मेदार अभिभावकत्व की नीति को समर्थन: यह विचार को सुदृढ़ करता है कि प्रजनन — प्राकृतिक हो या सहायक — एक जिम्मेदार आयु सीमा में होना चाहिए।
आयु सीमा के विरुद्ध तर्क
- प्रजनन स्वायत्तता का उल्लंघन: आयु प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के अंतर्गत प्रजनन विकल्प के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
- मनमाने और कठोर प्रतिबंध: निर्धारित आयु सीमाएँ व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति, जैविक विविधताओं या चिकित्सा विज्ञान की प्रगति को ध्यान में नहीं रखतीं।
- देर से विवाह और पुनर्विवाह को बाहर करना: बदलते सामाजिक प्रवृति के साथ, कई लोग देर से शादी या पुनर्विवाह कर रहे हैं, ऐसे दंपतियों को यह आयु सीमा अनुचित रूप से बाहर कर देती है।
- प्राकृतिक गर्भधारण में कोई प्रतिबंध नहीं: राज्य प्राकृतिक गर्भधारण पर कोई आयु सीमा नहीं लगाता, लेकिन ART और सरोगेसी पर आयु प्रतिबंध लगाता है, जिससे अनुचित हस्तक्षेप की चिंता उत्पन्न होती है।
आगे की राह
- हालांकि ART और सरोगेसी अधिनियमों के अंतर्गत आयु सीमाएँ चिकित्सकीय सुरक्षा और बच्चे का कल्याण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं, लेकिन एक अधिक संतुलित एवं अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
- कानून को मेडिकल फिटनेस, मानसिक तैयारी और सामाजिक समर्थन प्रणाली के आधार पर प्रत्येक मामले का लचीला मूल्यांकन करना चाहिए।
- यह प्रजनन स्वायत्तता को बनाए रखेगा, संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप होगा और बदलते सामाजिक एवं चिकित्सकीय यथार्थ को दर्शाएगा।
Source: IE
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