पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- श्वेत पत्र “भारत की ब्लू इकोनॉमी का रूपांतरण” 2035 तक भारत के विशाल समुद्री संसाधनों की क्षमता को राष्ट्रीय विकास में एक केंद्रीय योगदानकर्ता के रूप में खोलने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
ब्लू इकोनॉमी क्या है?
- ब्लू इकोनॉमी का अर्थ है समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग — आर्थिक विकास, आजीविका सुधार और रोजगार सृजन के लिए — साथ ही महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखना।
- यह समुद्र से जुड़ी कई गतिविधियों को समाहित करता है जैसे:
- मत्स्य पालन
- जलीय कृषि (एक्वाकल्चर)
- नौवहन
- बंदरगाह
- समुद्री जैव प्रौद्योगिकी आदि

ब्लू इकोनॉमी के मॉडल
- समुदाय-आधारित सिवार्ड खेती (ओडिशा)
- तटीय आजीविका में विविधता लाती है
- पूरक आय प्रदान करती है
- घुलित CO₂ को अवशोषित कर जलवायु परिवर्तन को कम करती है
- जल गुणवत्ता सुधारती है
- 10,000 से अधिक परिवारों को लाभ
- स्मार्ट पोर्ट रूपांतरण (कोच्चि)
- डिजिटल ट्विन तकनीक की शुरुआत
- संचालन दक्षता में वृद्धि
- जहाजों की प्रतीक्षा समय में कमी
- संसाधनों का अनुकूलन
- सटीक पर्यावरण निगरानी के माध्यम से स्थायित्व में सुधार
- हरित जहाज पुनर्चक्रण (आलंग, गुजरात)
- अंतरराष्ट्रीय मानकों (हांगकांग कन्वेंशन) के अनुसार उन्नयन
- स्टील और धातुओं की कुशल पुनर्प्राप्ति
- सुरक्षित और पर्यावरणीय रूप से उचित खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करता है
भारत की ब्लू इकोनॉमी की प्रमुख पहलें
- डीप ओशन मिशन (DOM)
- पॉलीमेटालिक नोड्यूल्स और गहरे समुद्री जैव संसाधनों की खोज
- मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास
- भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में मानचित्रण और सतत निष्कर्षण
- सागरमाला कार्यक्रम
- बंदरगाहों का आधुनिकीकरण
- लॉजिस्टिक्स में सुधार
- नए तटीय आर्थिक क्षेत्रों का विकास
- ब्लू इकोनॉमी 2.0
- तटीय पारिस्थितिकी तंत्र (मैंग्रोव, कोरल रीफ) की पुनर्स्थापना
- तटरेखाओं को जलवायु-सुरक्षित बनाना
- सतत जलीय कृषि और समुद्री कृषि को बढ़ावा देना, विशेष रूप से सिवार्ड खेती
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
- मत्स्य पालन का आधुनिकीकरण
- सतत प्रथाओं को प्रोत्साहन
- लाखों मछुआरों को समर्थ
Source: PIB
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