श्री नारायण गुरु
पाठ्यक्रम: GS1/आधुनिक इतिहास
संदर्भ
- भारत के राष्ट्रपति ने केरल के वर्कला स्थित शिवगिरी मठ में श्री नारायण गुरु की महासमाधि शताब्दी के आयोजन का उद्घाटन किया।
परिचय
- श्री नारायण गुरु भारत के एक दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने केरल की जाति-प्रभावित समाज में व्याप्त अन्याय के विरुद्ध एक सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य आध्यात्मिक जागृति और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना था।
- उन्होंने शिक्षा, आध्यात्मिकता और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए शिवगिरी में शारदा मठ जैसे संस्थानों की स्थापना की।
- उनका नारा “एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर — सभी के लिए” उनकी दर्शनशास्त्र की आधारशिला है और केरल में व्यापक रूप से प्रसिद्ध है।
- महत्वपूर्ण रचनाएँ: दैव दशकम, निवृत्ति पंचकम, और आत्मोपदेश शतकम।
विरासत
- उनकी शिक्षाओं ने बाद के समाज सुधारकों और आंदोलनों को गहराई से प्रभावित किया, जिनमें मंदिर प्रवेश अधिकारों के लिए वैकोम सत्याग्रह (1924–25) शामिल है।
- उन्हें एक संत, दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिन्होंने केरल की जाति-प्रभावित समाज को रूपांतरित किया।
Source: PIB
ज्ञान भारतम मिशन
पाठ्यक्रम: GS1/संस्कृति
संदर्भ
- संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पांडुलिपियों पर आधारित “ज्ञान भारतम् मिशन” ने संरक्षण, रख-रखाव और डिजिटलीकरण के लिए लगभग 20 संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
ज्ञान भारतम् मिशन
- राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) का उद्देश्य भारत की समृद्ध पांडुलिपि विरासत का संरक्षण, प्रलेखन और प्रसार करना है।
- इस मिशन को 2024–31 की अवधि के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में पुनर्गठित किया गया है, जिसका नया नाम ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ रखा गया है।
- मिशन के प्रमुख उद्देश्य हैं: सर्वेक्षण और प्रलेखन, संरक्षण और रख-रखाव, प्रकाशन एवं शोध आदि।
- संस्कृति मंत्रालय ने इससे पहले भारतीय पांडुलिपियों पर पहली अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसका शीर्षक था — “पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान परंपरा की पुनर्प्राप्ति”।
Source: TH
सऊदी अरब द्वारा कफाला प्रणाली समाप्त
पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचार में
- एक ऐतिहासिक श्रम सुधार के अंतर्गत , सऊदी अरब ने दशकों पुराने कफ़ाला (प्रायोजन) प्रणाली को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया है।
कफ़ाला प्रणाली क्या थी?
- कफ़ाला प्रणाली के अंतर्गत विदेशी कामगारों को एक सऊदी प्रायोजक की आवश्यकता होती थी, जो सामान्यतः उनका नियोक्ता होता था और उनके वीज़ा व कानूनी स्थिति को नियंत्रित करता था।
- इसका तात्पर्य था कि कामगार बिना प्रायोजक की अनुमति के रोजगार नहीं बदल सकते थे, देश नहीं छोड़ सकते थे, या अपने निवास परमिट का नवीनीकरण भी नहीं कर सकते थे।
सऊदी अरब ने इस प्रणाली को क्यों समाप्त किया?
- मानवाधिकार संगठनों का लंबे समय से तर्क था कि यह प्रणाली प्रायः कामगारों के शोषण और दुर्व्यवहार का कारण बनती थी, क्योंकि यदि नियोक्ता वेतन या पासपोर्ट रोक लेते थे तो कर्मचारियों के पास कानूनी विकल्प बहुत सीमित होते थे।
- यह सुधार सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की विज़न 2030 योजना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करना, विदेशी निवेश आकर्षित करना और तेल पर देश की निर्भरता को कम करना है।
भारतीय कामगारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
- वर्तमान में सऊदी अरब में अनुमानित 1.34 करोड़ विदेशी कामगार हैं।
- ये देश की कुल जनसंख्या का लगभग 42 प्रतिशत हैं।
- इस अनुमानित 1.34 करोड़ कामगारों में से अधिकांश बांग्लादेश, भारत, नेपाल और फिलीपींस से आते हैं।
Source: HT
RBI द्वारा बैंकों के पूंजी बाजार जोखिम और अधिग्रहण वित्तपोषण पर सीमाएं प्रस्तावित
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक मसौदा परिपत्र जारी किया है, जिसमें पूंजी बाजार और कॉर्पोरेट अधिग्रहण में बैंकों के जोखिम को प्रबंधित करते हुए ऋण वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए उनके निवेश पर सीमाएं प्रस्तावित की गई हैं।
प्रमुख प्रस्ताव क्या हैं?
- पूंजी बाजार में निवेश: बैंकों का कुल निवेश — जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष (फंड्स, गारंटी के माध्यम से) शामिल हैं — उनके टियर-1 पूंजी का 40% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- टियर-1 पूंजी में इक्विटी, संचित लाभ और कुछ ऐसे उपकरण शामिल होते हैं जो घाटे को सहन करने में सक्षम होते हैं।
- अधिग्रहण वित्तपोषण (कंपनियों को खरीदने के लिए ऋण):
- बैंकों का अधिग्रहण वित्तपोषण में निवेश टियर-1 पूंजी का अधिकतम 10% तक सीमित होना चाहिए।
- बैंक अधिग्रहण सौदे के मूल्य का 70% तक वित्तपोषण कर सकते हैं; शेष 30% राशि अधिग्रहण करने वाली कंपनी द्वारा लाई जानी चाहिए।
- केवल वे सूचीबद्ध कंपनियाँ पात्र होंगी जिनकी विगत तीन वर्षों में शुद्ध संपत्ति और लाभप्रदता संतोषजनक रही हो।
- ऋण पूरी तरह से लक्षित कंपनी के शेयरों द्वारा सुरक्षित होना चाहिए, ताकि आवश्यकता पड़ने पर बैंक अपनी राशि वसूल सके।
- इसके अतिरिक्त, RBI ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के इंफ्रास्ट्रक्चर ऋणों के लिए संशोधित जोखिम-भार दिशानिर्देशों का प्रस्ताव दिया है, जिससे स्थापित परियोजनाओं को वित्तपोषण देने वाले ऋणदाताओं के लिए पूंजी आवश्यकताएं कम हो सकती हैं।
Source: TH
अभ्यास ओशन स्काई 2025
पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा
संदर्भ
- भारतीय वायु सेना (IAF) स्पेनिश वायु सेना द्वारा स्पेन के गांदो एयर बेस पर आयोजित बहुराष्ट्रीय वायु युद्ध अभ्यास “अभ्यास ओशन स्काई 2025” में भाग ले रही है।
परिचय
- इस अभ्यास का उद्देश्य पारस्परिक सीख को बढ़ावा देना, अंतर-संचालन क्षमता को सुदृढ़ करना, वायु युद्ध कौशल को तीव्र करना और मित्र राष्ट्रों के साथ रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना है।
- इस अभ्यास में स्पेन, जर्मनी, ग्रीस, पुर्तगाल, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के 50 से अधिक विमान भाग ले रहे हैं, जिनमें भारत के Su-30MKI लड़ाकू विमान भी शामिल हैं।
भारत–स्पेन रक्षा संबंधों में वृद्धि
- अगस्त 2025 में भारत को सेविले, स्पेन स्थित एयरबस डिफेंस एंड स्पेस सुविधा से 16 एयरबस C-295 सैन्य परिवहन विमानों की अंतिम खेप प्राप्त हुई।
- C-295 परियोजना भारत में सैन्य विमान निर्माण के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की प्रथम पहल है, जो टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) और एयरबस स्पेन की साझेदारी के अंतर्गत संचालित है।
- भारत में शेष 56 में से 40 विमानों के निर्माण के लिए एक अंतिम असेंबली लाइन वडोदरा, गुजरात में स्थापित की जा रही है।
Source: TH
परियोजना अरुणांक
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
समाचार में
- सीमा सड़क संगठन (BRO) की परियोजना अरुणांक ने अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन में अपना 18वां स्थापना दिवस मनाया।
परियोजना अरुणांक
- इसकी स्थापना 2008 में की गई थी और इसने अब तक 696 किलोमीटर से अधिक सड़कों एवं 1.18 किलोमीटर प्रमुख पुलों का निर्माण किया है, जिससे दूरदराज़ क्षेत्रों में संपर्क बढ़ा है तथा सशस्त्र बलों के अभियानों को समर्थन मिला है।
- प्रमुख उपलब्धियों में 278 किलोमीटर लंबे हापोली-सारली-हुरी मार्ग का ब्लैकटॉपिंग और रणनीतिक लिंक जैसे TCC-माज़ा एवं TCC-टाकसिंग सड़कों का निर्माण शामिल है।
- इसने स्टील स्लैग, जियो सेल्स और GGBFS कंक्रीट जैसी टिकाऊ तकनीकों को अपनाया है ताकि आधारभूत संरचना की मजबूती बढ़ाई जा सके।
पर्यावरणीय प्रयास
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अंतर्गत 23,850 पेड़ लगाए गए हैं, जबकि आकस्मिक भुगतान श्रमिकों के लिए कल्याणकारी उपायों से कार्य स्थितियों में सुधार हुआ है।
भविष्य की योजनाएं
- BRO सड़क नेटवर्क का विस्तार करने, नए पुल और सुरंगों का निर्माण करने तथा उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संपर्क को बेहतर बनाने की योजना बना रहा है, ताकि उन्नत तकनीकों के माध्यम से अधिक सुरक्षित और सतत आधारभूत संरचना सुनिश्चित की जा सके।
Source:PIB
ICGS अजीत और ICGS अपराजित
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
समाचार में
- भारतीय तटरक्षक बल ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में दो उन्नत फास्ट पेट्रोल वेसल्स — ICG जहाज अजीत और ICGS अपराजित — का शुभारंभ किया।
ICGS अजीत और ICGS अपराजित
- ये पोत आठ स्वदेशी रूप से निर्मित फास्ट पेट्रोल वेसल्स की श्रृंखला में सातवें और आठवें हैं, जिन्हें गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा भारतीय तटरक्षक बल के लिए बनाया जा रहा है, जो भारत की रक्षा जहाज निर्माण में बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
- 52 मीटर लंबे ये पोत 320 टन विस्थापन क्षमता रखते हैं और कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर्स (CPP) से सुसज्जित हैं — जो इस श्रेणी के जहाजों में भारत में प्रथम बार उपयोग किए गए हैं — जिससे बेहतर संचालन क्षमता एवं प्रणोदन दक्षता सुनिश्चित होती है।
महत्व और भूमिकाएं
- FPVs को बहु-मिशन भूमिकाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है जैसे कि मत्स्य संरक्षण, तटीय गश्त, तस्करी विरोध, समुद्री डकैती विरोध और खोज एवं बचाव अभियान, विशेष रूप से भारत के द्वीप क्षेत्रों तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र के आसपास।
- यह भारत की तटीय रक्षा और समुद्री निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Source:PIB
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) स्थापना दिवस
पाठ्यक्रम: GS 3/सुरक्षा एजेंसियां
समाचार में
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) का 64वां स्थापना दिवस हाल ही में मनाया गया।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
- इसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1962 को की गई थी और यह 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा की रक्षा करती है, जो लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक फैली हुई है।
- यह आंतरिक सुरक्षा अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसमें छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी कार्यवाहियाँ शामिल हैं।
- ITBP की कई सीमा चौकियाँ 9,000 से 18,800 फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं, जहाँ सर्दियों में तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
प्रासंगिकता
- इसे एक विशिष्ट सशस्त्र पुलिस बल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यह अपने कार्मिकों को पर्वतारोहण, स्कीइंग और सामरिक युद्ध कौशल में प्रशिक्षित करता है, साथ ही हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रतिक्रिया एवं राहत अभियानों के लिए तत्परता बनाए रखता है।
- इसने कई बचाव अभियानों को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित नागरिकों को समय पर सहायता मिल सकी है।
Source:PIB
कैराबिड बीटल
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- इटली में हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि कैराबिड ग्राउंड बीटल्स मृदा में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के संभावित बायोइंडिकेटर (जैव संकेतक) के रूप में कार्य कर सकते हैं।
कैराबिड बीटल्स के बारे में
- कैराबिड बीटल्स, जो कैराबिडी परिवार से संबंधित हैं, रात्रिचर शिकारी होते हैं और विश्वभर के लगभग सभी स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों में पाए जाते हैं।
- प्रजातियों की विविधता: विश्व स्तर पर लगभग 34,000 प्रजातियाँ और भारत में 1,000 से अधिक प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
- शारीरिक विशेषताएँ: चपटी, लंबी देह (अधिकतर गहरे रंग या धात्विक चमक वाली) और शिकार के लिए प्रमुख जबड़े (मैन्डिबल्स)।
- पारिस्थितिकीय भूमिका:
- प्राकृतिक कीट नियंत्रक: ये कैटरपिलर, स्लग, एफिड्स, वीविल्स और घोंघे जैसे विभिन्न कृषि कीटों को खाते हैं।
- मृदा की गुणवत्ता के संकेतक: कैराबिड्स की उच्च विविधता कम कीटनाशक उपयोग, अच्छी जैविक सामग्री और संतुलित मृदा की आर्द्रता को दर्शाती है।

Source: TH
पायलट व्हेल
पाठ्यक्रम: GS3/समाचार में प्रजातियाँ
संदर्भ
- न्यूज़ीलैंड के एक दूरस्थ समुद्र तट पर दो दर्जन से अधिक पायलट व्हेल के फंसे होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
परिचय
- वैज्ञानिक नाम:
- ग्लोबिसेफैला मेलास (लॉन्ग-फिन्ड पायलट व्हेल)
- ग्लोबिसेफैला मैक्रोरिन्चस (शॉर्ट-फिन्ड पायलट व्हेल)
- परिवार: डेल्फिनिडे (महासागरीय डॉल्फ़िन) नाम के बावजूद, ये वास्तव में व्हेल नहीं हैं बल्कि बड़ी महासागरीय डॉल्फ़िन हैं।
- इनका नाम पायलट व्हेल इसलिए पड़ा क्योंकि माना जाता था कि प्रत्येक समूह एक ‘पायलट’ का अनुसरण करता है।
- विशिष्ट रूप-रंग: पायलट व्हेल का विशिष्ट रूप होता है — उभरे हुए माथे और लंबी, काली देह के साथ पीठ के पंख के पीछे सफेद या हल्के ग्रे रंग का पैच।

- आवास और वितरण:
- लॉन्ग-फिन्ड प्रजातियाँ ठंडे जल क्षेत्रों को पसंद करती हैं (उत्तरी अटलांटिक, दक्षिणी महासागर)।
- शॉर्ट-फिन्ड प्रजातियाँ गर्म उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जल क्षेत्रों को पसंद करती हैं, जिनमें हिंद महासागर एवं अरब सागर के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट के अनुसार शॉर्ट-फिन्ड व्हेल की स्थिति “कम चिंता” (Least Concern) की श्रेणी में है।
- लॉन्ग-फिन्ड व्हेल के लिए पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है।
Source: DD
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