पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य
संदर्भ
- प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस विश्व में मानसिक बीमारी की व्यापकता को उजागर करता है।
परिचय
- वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य समस्या (WHO के अनुसार): एक अरब से अधिक लोग मानसिक स्वास्थ्य विकारों के साथ जी रहे हैं।
- 2021 में सभी आयु वर्गों में अनुमानित 7,27,000 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें प्रत्येक एक आत्महत्या के पीछे 20 से अधिक प्रयास होते हैं।
- आत्महत्या वैश्विक स्तर पर प्रत्येक 100 मृत्युओं में से एक का कारण है।

- सबसे सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार: चिंता और अवसादजन्य विकारों ने 2021 में सभी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा लिया।
- 2011 से 2021 के बीच मानसिक विकारों से पीड़ित लोगों की संख्या वैश्विक जनसंख्या की तुलना में तीव्रता से बढ़ी।
- भारत में मानसिक स्वास्थ्य: भारत में मानसिक विकारों की जीवनकाल प्रचलन दर 13.7% है।
- NCRB के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2023 में 1,71,418 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जो 2022 से 0.3% अधिक थीं, जिसमें महाराष्ट्र ने सबसे अधिक संख्या दर्ज की।
- अत्यधिक चिंता का विषय यह है कि छात्र आत्महत्याएं 13,892 तक पहुंच गईं, जो विगत दशक में 64.9% की वृद्धि है।
युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की वृद्धि
- अत्यधिक इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग: चिंता, नींद संबंधी विकार और ध्यान की समस्याएं उत्पन्न करता है।
- पारिवारिक सहभागिता की कमी: कमजोर सामाजिक समर्थन प्रणाली भावनात्मक कल्याण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
- शत्रुतापूर्ण कार्यस्थल और लंबे कार्य घंटे: थकावट, तनाव और उत्पादकता में कमी का कारण बनते हैं।
- अस्वस्थ जीवनशैली विकल्प: अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और शारीरिक गतिविधि की कमी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बिगाड़ते हैं।
| मानसिक कल्याण के बारे में – भारत के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार मानसिक कल्याण एक बहुआयामी अवधारणा है जिसमें शामिल हैं: – भावनात्मक स्वास्थ्य: तनाव और भावनाओं का प्रभावी प्रबंधन। – सामाजिक स्वास्थ्य: स्वस्थ संबंधों और सहायक समुदाय का निर्माण। – संज्ञानात्मक स्वास्थ्य: ध्यान, निर्णय लेने और समस्या सुलझाने की क्षमता को बढ़ाना। – शारीरिक स्वास्थ्य: स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से समग्र फिटनेस बनाए रखना। |
भारत में मनोचिकित्सकीय स्वास्थ्य देखभाल की चुनौतियाँ
- मनोचिकित्सालयों की खराब स्थिति: प्रायः क्रूरता, उपेक्षा, दुर्व्यवहार और निम्न जीवन स्थितियों से जुड़ी होती है।
- यह प्रणालीगत उपेक्षा और अपर्याप्त जवाबदेही तंत्र को दर्शाता है।
- कम बजट: मानसिक स्वास्थ्य को कुल स्वास्थ्य बजट का केवल 1% आवंटित किया जाता है, जिसमें अधिकांश राशि संस्थानों को जाती है, न कि सामुदायिक देखभाल को।
- प्रशिक्षित कर्मियों की कमी: भारत में मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल बहुत कम है; प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर केवल 0.75 मनोचिकित्सक और 0.12 मनोवैज्ञानिक हैं, जबकि WHO के अनुसार कम से कम तीन मनोचिकित्सक होने चाहिए।
- असमान वितरण: जिला मुख्यालयों में कुछ मनोचिकित्सक हैं, जबकि कस्बों/गांवों में लगभग नहीं के बराबर।
- इससे शहरी-ग्रामीण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में अंतर उत्पन्न होता है।
- सुलभता और आर्थिक बाधाएं: ग्रामीण/भीतरी क्षेत्रों में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
- देखभाल के लिए यात्रा करने से मजदूरी की हानि होती है, जो गरीब परिवारों के लिए असहनीय है।
- गंभीर मानसिक बीमारी वाले मरीज सामान्यतः कमाने वाले सदस्य नहीं होते, जिससे उनका आर्थिक भार में वृद्धि होती है।
भारत सरकार की प्रमुख पहलें
- मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017: इस अधिनियम ने भारत में आत्महत्या के प्रयासों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया और मानसिक बीमारियों के वर्गीकरण में WHO के दिशा-निर्देशों को शामिल किया।
- अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान “पूर्व निर्देश” था, जो मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को अपने उपचार का मार्ग तय करने की अनुमति देता है।
- इसने इलेक्ट्रो-कन्वल्सिव थेरेपी (ECT) के उपयोग को सीमित किया और नाबालिगों पर इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगाया, साथ ही भारतीय समाज में कलंक से निपटने के उपाय प्रस्तुत किए।
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2017: यह अधिनियम मानसिक बीमारी को विकलांगता के रूप में स्वीकार करता है और विकलांगों के अधिकारों एवं लाभों को बढ़ाने का प्रयास करता है।
- सुकदेब साहा बनाम आंध्र प्रदेश राज्य: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मानसिक स्वास्थ्य को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी, जिससे सरकार को सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य किया गया।
- जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP): 767 जिलों में संचालित, आत्महत्या रोकथाम, तनाव प्रबंधन और परामर्श जैसी सेवाएं प्रदान करता है।
- राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NTMHP): 2022 में शुरू किया गया, जो 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 53 टेली MANAS सेल्स के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है।
- मानसिक स्वास्थ्य क्षमता का विस्तार: मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और शैक्षिक संसाधनों को सुदृढ़ करना।
आवश्यक सुधार उपाय
- मानसिक स्वास्थ्य पर व्यय को कुल स्वास्थ्य व्यय का 5% तक बढ़ाना (WHO मानक)।
- ग्रामीण पहुंच को सुदृढ़ करने के लिए मध्य-स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को प्रशिक्षित और तैनात करना।
- मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिक देखभाल और सार्वभौमिक बीमा योजनाओं में पूरी तरह से एकीकृत करना।
- जिला स्तर पर जवाबदेही के साथ निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करना।
- स्कूलों और कार्यस्थलों में विशेष रूप से कलंक विरोधी एवं जागरूकता अभियानों का विस्तार करना।
- एकीकृत मानसिक स्वास्थ्य रणनीति सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालयों के बीच समन्वय में सुधार करना।
निष्कर्ष
- भारत की मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली तीन प्रमुख कमियों का सामना कर रही है — बजट, कार्यबल और शासन में।
- इन अंतरालों को समाप्त करने के लिए नीति एकीकरण, विकेंद्रीकृत सेवा वितरण और सामाजिक कलंक को दूर करना आवश्यक है, जिससे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं एवं WHO दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुधार संभव हो सके।
Source: TH
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