हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन

पाठ्यक्रम:GS3/अर्थव्यवस्था

समाचारों में 

  • हिमाचल प्रदेश में किसान तीव्रता से प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं, जिसे राज्य की प्रमुख योजना ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y)’ का समर्थन प्राप्त है, जो रासायन-मुक्त कृषि को बढ़ावा देती है।

प्राकृतिक खेती क्या है? 

  • यह एक रासायन-मुक्त खेती पद्धति है, जिसमें पशुपालन (विशेषतः देशी नस्ल की गाय) को एकीकृत प्राकृतिक खेती विधियों और विविध फसल प्रणालियों के साथ जोड़ा जाता है, जो भारतीय पारंपरिक ज्ञान पर आधारित होती हैं। 
  • यह भारतीय परंपरा में निहित है, जिसे पारिस्थितिकी, संसाधन पुनर्चक्रण और खेत-आधारित संसाधनों के अनुकूलन की आधुनिक समझ से समृद्ध किया गया है। 
  • इसे एक कृषि पारिस्थितिकी आधारित विविधीकृत कृषि प्रणाली माना जाता है, जो फसलों, वृक्षों और पशुधन को कार्यात्मक जैव विविधता के साथ एकीकृत करती है। 
  • यह मुख्यतः खेत पर उपलब्ध जैविक सामग्री के पुनर्चक्रण पर आधारित होती है, जिसमें जैविक मल्चिंग, गोबर-गोमूत्र से बने घोलों का उपयोग, मृदा की वायु संचारण क्षमता बनाए रखना और सभी कृत्रिम रासायनिक इनपुट्स को हटाना शामिल है।

वर्तमान स्थिति 

  • आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे कई राज्य प्राकृतिक खेती में अग्रणी हैं और उन्होंने सफल मॉडल विकसित किए हैं।

लाभ

  • मृदा स्वास्थ्य में सुधार: प्राकृतिक खेती से मृदा में जैविक पदार्थ और सूक्ष्मजीव गतिविधि बढ़ती है, जिससे पोषक तत्वों का चक्रण और जल धारण क्षमता बेहतर होती है।
  • इनपुट लागत में कमी: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को हटाकर किसान लागत में उल्लेखनीय बचत करते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
  • जलवायु सहनशीलता: विविध फसल प्रणाली एवं जैविक इनपुट्स खेतों को अनियमित मौसम से बचाते हैं और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करते हैं।
  • स्वस्थ खाद्य उत्पादन: रासायन-मुक्त उत्पाद जनस्वास्थ्य को समर्थन देते हैं और जैविक खाद्य की बढ़ती उपभोक्ता मांग के अनुरूप हैं।

चुनौतियाँ

  • उपज की अनिश्चितता: रासायनिक से प्राकृतिक इनपुट्स में परिवर्तन के दौरान, विशेष रूप से उच्च इनपुट क्षेत्रों में, प्रारंभिक उपज में गिरावट हो सकती है।
  • ज्ञान की कमी: किसानों को मृदा जीवविज्ञान, कम्पोस्टिंग और रासायन-मुक्त कीट प्रबंधन में प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • बाजार से जुड़ाव: प्राकृतिक उत्पादों के लिए समर्पित आपूर्ति श्रृंखला और प्रमाणन तंत्र की कमी से लाभप्रदता सीमित होती है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय तथा वर्तमान कृषि योजनाओं के साथ संरेखण अभी भी असमान है।

उठाए गए कदम 

  • प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (NMNF) एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे नवंबर 2024 में पारंपरिक ज्ञान पर आधारित रासायन-मुक्त, पारिस्थितिकी-आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया।

सुझाव और आगे की राह 

  • प्राकृतिक खेती भारतीय कृषि में एक परिवर्तनकारी बदलाव का संकेत देती है, जिसका उद्देश्य उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता के बीच संतुलन स्थापित करना है। 
  • यह बाहरी इनपुट्स पर निर्भरता को कम करती है, जिससे यह एक किफायती दृष्टिकोण बनती है, जिसमें ग्रामीण रोजगार और विकास को बढ़ावा देने की क्षमता है। 
  • इसके व्यापक प्रसार के लिए प्रमुख रणनीतियों में शामिल हैं:
    • प्रशिक्षित प्रशिक्षकों और मॉडल फार्मों के माध्यम से विस्तार सेवाओं को सुदृढ़ करना
    • मृदा स्वास्थ्य और उत्पादकता पर दीर्घकालिक अनुसंधान में निवेश करना
    • प्रमाणन, ब्रांडिंग और उचित मूल्य निर्धारण के साथ सुदृढ़ बाजार पारिस्थितिकी तंत्र का विकास करना।

Source  :TH

 

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