पाठ्यक्रम: GS1/ भारतीय समाज
संदर्भ
- भारत में जाति एक गहरी सामाजिक संरचना बनी हुई है,, और ‘ऑनर’ किलिंग्स जातीय पदानुक्रम को बनाए रखने के लिए एक हिंसक लेकिन सामाजिक रूप से वैध माने जाने वाले उपकरण के रूप में उभर रही हैं, विशेष रूप से अंतर-जातीय विवाहों के विरुद्ध ।
ऑनर किलिंग्स के बारे में
- परिभाषा: ऑनर किलिंग्स उन व्यक्तियों (अधिकतर युवा जोड़े) की हत्या को कहते हैं जिन्हें परिवार या समुदाय के सदस्य इसलिए मार देते हैं क्योंकि उन्होंने जाति, समुदाय या लिंग की पारंपरिक सीमाओं को चुनौती देकर “सम्मान” को ठेस पहुंचाई होती है।
- भौगोलिक पैटर्न: तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्य, जहां दलितों का सशक्तिकरण शिक्षा एवं रोजगारों के माध्यम से अधिक हुआ है, वहां अंतर-जातीय विवाहों की दर अधिक है तथा ऑनर किलिंग्स के मामले भी अधिक सामने आते हैं।
- विरोधाभास: हिंसा वहां सबसे अधिक दिखाई देती है जहां जातीय पदानुक्रम को चुनौती दी जा रही है, न कि वहां जहां यह बिना चुनौती के बना हुआ है।
- NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार: भारत में 2019 और 2020 में ऑनर किलिंग्स के 25 मामले दर्ज हुए, जो 2021 में बढ़कर 33 हो गए।
ऑनर किलिंग्स के कारण
- जातिगत अंतर्विवाह: परिवार जातीय सीमाओं के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं और महिलाओं की पसंद को नियंत्रित करते हैं ताकि वंश, भूमि और प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सके।
- खाप/सामुदायिक स्वीकृति: अनौपचारिक पंचायतें या रिश्तेदारी नेटवर्क हिंसा या सामाजिक बहिष्कार को प्रोत्साहित या वैध ठहराते हैं।
- बहिष्करण का भय: जो परिवार पारंपरिक विवाह मानदंडों का पालन नहीं करते, उन्हें समुदाय द्वारा बहिष्कृत किए जाने का डर सताता है।
- सोशल मीडिया में गुमनामी: सोशल मीडिया पर जातीय गर्व और निगरानी की कहानियों को महिमामंडित किया जाता है, जिससे विरोध करने वालों को दंडित करना सामान्य हो जाता है।
प्रभाव
- संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन करता है।
- लिंग आधारित हिंसा: यह असमान रूप से अपनी पसंद का दावा करने वाली महिलाओं को निशाना बनाता है; साथ ही कलंकित जातियों/समुदायों के पुरुषों को भी प्रभावित करता है।
- कानून के शासन का क्षरण: जब समुदाय स्वयं कानून हाथ में लेते हैं, तो यह राज्य की वैध शक्ति को कमजोर करता है और पुलिस व गवाहों को डराता है।
- सामाजिक विखंडन: यह जाति/धर्म आधारित ध्रुवीकरण को बढ़ाता है, अंतर-समूह गतिशीलता और एकीकरण को हतोत्साहित करता है—जिससे सामाजिक पूंजी एवं समावेशी विकास को हानि होती है।
ऑनर किलिंग्स के विरुद्ध उठाए गए कदम
- ऑनर अपराधों पर कोई स्वतंत्र केंद्रीय कानून नहीं है; मामलों को भारतीय दंड संहिता (अब बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित) और संबंधित कानूनों के अंतर्गत हत्या/प्रयास आदि के रूप में अभियोजित किया जाता है, साथ ही जहां लागू हो वहां एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत भी।
- विधि आयोग (रिपोर्ट 242, वर्ष 2012) ने वैवाहिक विकल्पों में खाप हस्तक्षेप को रोकने के लिए एक विशेष कानून की सिफारिश की थी।
- राजस्थान सरकार ने 2019 में एक विशेष कानून पारित किया जो सम्मान/परंपरा के नाम पर वैवाहिक गठबंधनों में हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है—यह सामूहिक/सामुदायिक दबाव को अपराध घोषित करने के लिए उल्लेखनीय है।

आगे की राह
- समर्पित कानून: ऑनर अपराधों और अवैध सामुदायिक हस्तक्षेप को अपराध घोषित करने वाला एक केंद्रीय कानून पारित किया जाए, जो विधि आयोग की सिफारिशों एवं राजस्थान के उदाहरण पर आधारित हो।
- डेटा और निगरानी: एनसीआरबी वर्गीकरण को बेहतर बनाया जाए ताकि ऑनर अपराधों के सभी रूपों (हत्या, प्रयास, उकसाना, धमकी) को वास्तविक समय में दर्ज किया जा सके।
- संरक्षण और पुनर्वास: जिला स्तर पर सुरक्षित आश्रय, कानूनी सहायता, परामर्श और अंतर-जातीय व अंतर-धार्मिक जोड़ों के लिए वित्तीय सहायता की व्यवस्था की जाए।
SOURCE: TH
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संक्षिप्त समाचार 14-08-2025