पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचारों में
- एक संसदीय समिति ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) से पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) मुद्दों के लिए एक समर्पित निगरानी निकाय बनाने का आग्रह किया है।
पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) क्या है?
- यह एक ढांचा है जिसका उपयोग किसी कंपनी के गैर-वित्तीय कारकों पर प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। यह निवेशकों, उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों के लिए एक प्रमुख विचार बन गया है जो किसी व्यवसाय के समाज और पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।

संसदीय समिति की प्रमुख सिफारिशें
- समर्पित ESG निगरानी निकाय की स्थापना: समिति ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) से ESG के लिए एक विशेष निगरानी प्राधिकरण बनाने का आग्रह किया।
- इस निकाय में फॉरेंसिक विशेषज्ञता होनी चाहिए ताकि यह ग्रीनवॉशिंग का सक्रिय रूप से पता लगा सके, जांच कर सके और उसे रोक सके, साथ ही क्षेत्र-विशिष्ट ESG दिशानिर्देश विकसित कर सके।
- कानूनी अधिकार को सुदृढ़ करना: समिति ने तर्क दिया कि कंपनियों अधिनियम, 2013 (विशेष रूप से धारा 166(2)) के अंतर्गत वर्तमान प्रावधान बहुत सामान्य हैं और ESG प्रकटीकरण एवं कार्यों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुदृढ़ ढांचे की कमी है।
- MSME समर्थन का विकास: प्रस्तावित निगरानी प्राधिकरण को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) को ESG अनुपालन के लिए लक्षित सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए, ताकि उनकी विशिष्ट क्षमता संबंधी बाधाओं को दूर किया जा सके।
ESG से संबंधित अन्य पहलें
- कंपनियों अधिनियम, 2013: कुछ कंपनियों को अपने औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2% कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) गतिविधियों पर व्यय करने का निर्देश देता है।
- व्यवसाय उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्टिंग (BRSR): SEBI ने शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए BRSR शुरू किया है, जिसमें ESG मापदंडों का प्रकटीकरण अनिवार्य है।
- अंतरराष्ट्रीय समन्वय: भारत की नीति दिशा वैश्विक ESG प्रवृत्तियों के जवाब में विकसित हो रही है, जिसका उद्देश्य यूरोपीय संघ एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिरता मानक बोर्ड (ISSB) जैसे वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ अभिसरण प्राप्त करना है।
Source: PIB
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