धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस
पाठ्यक्रम: GS1/ इतिहास और संस्कृति
संदर्भ
- अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महासंघ (IBC) ने संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आषाढ़ पूर्णिमा का आयोजन किया — यह दिन धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के बारे में
- यह दिवस आषाढ़ पूर्णिमा (आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि) को मनाया जाता है और यह भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद दिए गए प्रथम उपदेश की स्मृति में समर्पित है।
- यह उपदेश भगवान बुद्ध ने अपने पाँच तपस्वी शिष्यों (पंचवर्गीय) को सारनाथ के ऋषिपतन मृगदाय (मृगवन) में दिया था, जो वाराणसी के निकट स्थित है।
- यह दिन “धर्म के चक्र का प्रवर्तन” (Dhammachakra Pravartana) का प्रतीक है, जिससे बौद्ध शिक्षाओं के प्रचार का शुभारंभ हुआ।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- यह दिन वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) के बाद बौद्ध पंचांग का द्वितीय सबसे पवित्र दिन माना जाता है।
- यह वर्षा वास (Varsha Vassa) की शुरुआत का संकेत देता है — यह एक तीन महीने का आत्म-अनुशासन और आध्यात्मिक चिंतन का काल होता है, जिसमें भिक्षु एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं।
- इस दिन को विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
- श्रीलंका में इसे एसाला पोया (Esala Poya) कहा जाता है
- थाईलैंड में इसे असन्हा बुचा (Asanha Bucha) कहा जाता है
Source: PIB
कश्मीर की वुलर झील में कमल खिले
पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल, GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- लगभग तीन दशकों के अंतराल के बाद, कश्मीर की वुलर झील में कमल पुनः खिला है।
परिचय
- झील में 1992 की भीषण बाढ़ के बाद 30 वर्षों के अंतराल में कमल का पुनः खिलना देखा गया, जिसमें कमल की जड़ों (राइज़ोम्स) को गाद की परतों के नीचे दबा दिया गया था।
- इस पुनरुत्थान का श्रेय वुलर संरक्षण और प्रबंधन प्राधिकरण (WUCMA) द्वारा 2020 में शुरू किए गए गाद हटाने और पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन प्रयासों को दिया जाता है।
वुलर झील
- स्थान: यह जम्मू और कश्मीर के बांदीपोरा जिले में हरमुक पर्वत की तलहटी में स्थित है।
- यह कुल 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है, जिसकी लंबाई लगभग 24 किलोमीटर और चौड़ाई 10 किलोमीटर है।
- वुलर झील का मुख्य जल स्रोत झेलम नदी है।
- वुलर झील भारत की सबसे बड़ी स्वच्छ जल की झील है और एशिया की दूसरी सबसे बड़ी (लेक बैकाल के बाद)।
- यह झील प्राचीन काल में अस्तित्व में रही सतीसर झील का अवशेष मानी जाती है।
- झील के केंद्र में एक छोटा द्वीप है जिसे ‘ज़ैना लंक’ कहा जाता है। इस द्वीप का निर्माण राजा ज़ैनुल-अबी-दीन ने करवाया था।
- इसे 1990 में रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित किया गया था।
Source: IE
तुर्काना बेसिन
पाठ्यक्रम: GS1/ समाचार में स्थान
समाचार में
- हालिया अध्ययनों में केन्या के तुर्काना बेसिन से विलुप्त स्तनधारी जीवों के जीवाश्मों से 18–20 मिलियन वर्ष पुराने दंत-इनेमल प्रोटीन निकाले गए हैं।
तुर्काना बेसिन के बारे में
- तुर्काना बेसिन उत्तर-पश्चिमी केन्या और दक्षिणी इथियोपिया में फैला एक विशाल अंतःप्रवाह क्षेत्र है, जिसका केंद्र लेक तुर्काना है — जो दुनिया की सबसे बड़ी रेगिस्तानी झील है।
- यह क्षेत्र अपने समृद्ध जीवाश्म अभिलेख, अद्वितीय जैव विविधता, और मानव एवं स्तनधारी विकास के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध है।
Source: TH
भारत की क्षेत्रीय परिषदें
पाठ्यक्रम: GS2/ राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- केंद्रीय गृह मंत्री ने झारखंड के रांची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की।
क्षेत्रीय परिषदें क्या हैं?
- क्षेत्रीय परिषदें वैधानिक निकाय हैं, जिनकी स्थापना राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अंतर्गत की गई थी।
- इस अधिनियम ने देश को पाँच क्षेत्रों (उत्तरी, मध्य, पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी) में विभाजित किया और प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय परिषद का प्रावधान किया।
- सदस्य: प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
- केंद्रीय सरकार के गृह मंत्री, जो पाँचों क्षेत्रीय परिषदों के सामान्य अध्यक्ष होते हैं।
- क्षेत्र में शामिल सभी राज्यों के मुख्यमंत्री।
- क्षेत्र के प्रत्येक राज्य से दो अन्य मंत्री।
- क्षेत्र में स्थित प्रत्येक केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक।
- प्रत्येक मुख्यमंत्री परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है, जो एक वर्ष की अवधि के लिए रोटेशन के आधार पर पद ग्रहण करता है।
- उत्तर-पूर्वी परिषद: उपरोक्त क्षेत्रीय परिषदों के अतिरिक्त, संसद के एक अलग अधिनियम — उत्तर-पूर्वी परिषद अधिनियम, 1971 — के अंतर्गत एक उत्तर-पूर्वी परिषद का गठन किया गया।
- इसके सदस्य हैं: असम, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम।
- क्षेत्रीय परिषदें केवल विचार-विमर्श और परामर्श देने वाले निकाय हैं।
- इनका उद्देश्य है:
- राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देना।
- आर्थिक और सामाजिक योजना, भाषायी अल्पसंख्यक, सीमा विवाद, अंतरराज्यीय परिवहन आदि जैसे विषयों पर चर्चा करना और सिफारिशें देना।
- प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है।
Source: AIR
तलाश (TALASH ) पहल
पाठ्यक्रम: GS2/ शिक्षा
समाचार में
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (NESTS) ने UNICEF इंडिया के सहयोग से TALASH (Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub) कार्यक्रम की शुरुआत की है।
परिचय
- यह भारत में अपनी तरह का प्रथम कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRSs) में पढ़ने वाले आदिवासी छात्रों के समग्र विकास को समर्थन देना है।
- TALASH को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह छात्रों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है।
- यह उन्हें जीवन कौशल, आत्म-सम्मान, और करियर स्पष्टता प्रदान करता है, जिससे वे अपनी क्षमताओं को पहचान सकें और अपने भविष्य की योजना बना सकें।
Source: PIB
भारत 6G गठबंधन (B6GA)
पाठ्यक्रम: GS3/ S&T
समाचार में
- केंद्रीय संचार मंत्री ने हाल ही में भारत 6G एलायंस (B6GA) की प्रगति की समीक्षा की, जिसमें भारत की 2030 तक 6G तकनीक में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने की महत्वाकांक्षा को रेखांकित किया गया।
भारत 6G एलायंस (B6GA) के बारे में
- भारत 6G एलायंस भारत का प्रमुख मंच है जो सहयोगात्मक 6G नवाचार को बढ़ावा देता है।
- यह विभिन्न हितधारकों को एकजुट करता है ताकि एक उन्नत, सुरक्षित और वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक 6G पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके।
- यह एलायंस भारत की “भारत 6G विजन” का केंद्रीय हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2026 तक पूर्व-व्यावसायिक 6G परीक्षण और 2029–2030 तक वाणिज्यिक शुरुआत करना है।
- इसका उद्देश्य वैश्विक 6G बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs) में 10% हिस्सेदारी प्राप्त करना है, जिससे भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया जा सके।
Source: PIB
द्वीप संरक्षण क्षेत्र (IPZ) अधिसूचना
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचार में
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने आइलैंड्स प्रोटेक्शन ज़ोन (IPZ) अधिसूचना, 2011 के अंतर्गत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नियमों को संशोधित और विस्तारित करने के लिए एक नई अधिसूचना जारी की है।
IPZ अधिसूचना, 2011 के बारे में
- यह अधिसूचना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत जारी की गई एक कानूनी रूपरेखा है, जिसका उद्देश्य भारत के द्वीपों — विशेष रूप से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप — के तटीय एवं समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और विनियमन करना है।
- अधिसूचना के अनुसार, IPZ 2011 के अंतर्गत बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए स्वीकृतियों की वैधता अब 10 वर्ष कर दी गई है (पहले यह अवधि 7 वर्ष थी)।
- यह अधिसूचना ऐसे समय में आई है जब द्वीपों में बुनियादी ढांचा और पर्यटन परियोजनाओं में तेजी देखी जा रही है, जिनमें ₹81,800 करोड़ की लागत वाली ग्रेट निकोबार समग्र विकास परियोजना शामिल है — जिसमें बंदरगाह, हवाई अड्डा, बिजली संयंत्र, टाउनशिप और ट्रंक रोड का निर्माण प्रस्तावित है।
CRZ से अंतर
- CRZ (तटीय विनियमन क्षेत्र): मुख्य भूमि भारत के तट पर लागू होता है।
- IPZ: केवल द्वीपों पर लागू होता है।
Source: HT
मध्यम ऊंचाई वाले लंबी क्षमता वाले ( MALE) ड्रोन
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारत ने अपनी स्थलीय और समुद्री सीमाओं पर निगरानी को सुदृढ़करने के लिए 87 मध्यम ऊंचाई दीर्घकालिक (MALE) ड्रोन की खरीद प्रक्रिया को स्वदेशी निर्माताओं से तीव्र कर दिया है।
MALE ड्रोन के बारे में
- भूमिका: MALE ड्रोन उन्नत और वास्तविक समय की खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) क्षमताएं प्रदान करते हैं। ये विभिन्न प्रकार की भौगोलिक परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं और निगरानी के साथ-साथ युद्ध संचालन के लिए भी सुसज्जित होते हैं।
- क्षमताएं:
- उड़ान क्षमता: लगातार 30 घंटे से अधिक उड़ान भरने में सक्षम
- ऊंचाई: कम से कम 35,000 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक संचालन कर सकते हैं
- महत्त्व:
- इन ड्रोन में 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री होना अनिवार्य है
- इस खरीद में कई प्रमुख भारतीय रक्षा कंपनियों की भागीदारी संभावित है
- यह भारत की ओर से MALE श्रेणी के ड्रोन की पहली बड़ी स्वदेशी खरीद है — इससे पहले भारत मुख्यतः इज़राइली कंपनियों से आयात पर निर्भर था
Source: TH
आईएनएस निस्तार
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारतीय नौसेना को विशाखापत्तनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) से उसका प्रथम स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) — INS निस्तार प्राप्त हुआ है।
परिचय
- नाम: निस्तार, संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है मुक्ति, बचाव या उद्धार।
- निर्माण मानक: भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार निर्मित।
- विशेषताएँ:
- उन्नत रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स (ROVs) से सुसज्जित, जो गोताखोरों की निगरानी और 1000 मीटर गहराई तक बचाव कार्य करने में सक्षम हैं।
- मुख्य भूमिका:
- यह पोत डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (DSRV) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में कार्य करता है, जो पनडुब्बी आपात स्थितियों में कर्मियों को बचाने और निकालने का कार्य करता है।
- महत्त्व:
- इसमें लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है — जो रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारतीय नौसेना की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
Source: DD News
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