महाकुंभ भगदड़

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन, GS3/ आपदा प्रबंधन

संदर्भ

  • प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 में हाल ही में हुई दुखद भगदड़ में कई लोगों की जान चली गई, जिससे भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में गंभीर चूक प्रकट हुई।

भगदड़ क्या है?

  • भगदड़ का तात्पर्य है एक बड़ी भीड़ का अचानक, अनियंत्रित आंदोलन, जो प्रायः घबराहट, भय या सीमित निकास मार्गों के कारण होता है। भगदड़ सामान्यतः धार्मिक समारोहों, खेल आयोजनों, संगीत समारोहों और सार्वजनिक रैलियों में होती है, जब भीड़ का घनत्व प्रति वर्ग मीटर पाँच व्यक्तियों से अधिक होता है, और भीड़ नियंत्रण के उचित उपायों का अभाव होता है।

भगदड़ की पिछली घटनाएँ

  • 2015 राजमुंदरी गोदावरी पुष्करालु भगदड़: एक धार्मिक सभा के कारण स्नान घाट पर भीड़ उमड़ पड़ी, जिसमें 27 लोगों की मृत्यु हो गई।
  • 2008 चामुंडा देवी मंदिर भगदड़ (जोधपुर): हजारों श्रद्धालुओं में दहशत फैल जाने से करीब 224 लोगों की जान चली गई।
  • 2005 मंधारदेवी मंदिर भगदड़ (महाराष्ट्र): अत्यधिक भीड़ के कारण हुई एक दुखद घटना में 300 से अधिक तीर्थयात्रियों की मृत्यु हो गई।
  • 2004 कुंभ मेला भगदड़ (नासिक): एक संकरी गली में अचानक बाढ़ आने से 40 से अधिक श्रद्धालु कुचलकर मारे गए।

भगदड़ के कारण

  • भीड़भाड़ – जगह की कमी और उपस्थित लोगों की संख्या के खराब विनियमन के कारण।
  • घबराहट और डर – अचानक हंगामा या अफवाहों के कारण लोग अनियंत्रित रूप से आगे बढ़ सकते हैं।
  • संकीर्ण मार्ग और अड़चनें – सीमित निकास मार्ग या संकीर्ण पैदल मार्ग खतरनाक भीड़भाड़ उत्पन्न कर सकते हैं।
  • भीड़ नियंत्रण के खराब उपाय – उचित पुलिस व्यवस्था, बैरिकेड्स और निर्दिष्ट लेन की कमी।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना का अभाव – देरी से चिकित्सा सहायता और अधिकारियों के बीच अप्रभावी समन्वय।
  • अचानक घटनाएँ या बाहरी ट्रिगर – आग, तेज़ आवाज़ या सुरक्षा खतरे के कारण अराजकता।

भगदड़ के प्रभाव

  • मानव जीवन की हानि – कई लोग कुचले जाते हैं, जिससे दम घुटने और चोटों के कारण मृत्यु हो जाती है। 
  • गंभीर चोटें – फ्रैक्चर, आंतरिक रक्तस्राव, दम घुटने और कुचलने से चोटें। 
  • मनोवैज्ञानिक आघात – बचे हुए लोग और उनके परिवार लंबे समय तक मनोवैज्ञानिक संकट से पीड़ित रहते हैं। 
  • आर्थिक हानि – पीड़ितों को मुआवजा, व्यापार का हानि और स्वास्थ्य सुविधाओं पर वित्तीय भार।
  •  सार्वजनिक छवि को हानि- सरकार और प्रशासनिक दक्षता पर प्रश्न उठते हैं।

भगदड़ से निपटने में चुनौतियाँ

  • अप्रत्याशितता – बिना किसी चेतावनी के कुछ सेकंड में भगदड़ प्रारंभ हो सकती है।
  • भीड़ का उच्च घनत्व – एक ही स्थान पर मौजूद लाखों लोगों के कारण नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।
  • जागरूकता की कमी – कई उपस्थित लोग सुरक्षित आवागमन और आपातकालीन निकास के बारे में नहीं जानते।
  • देरी से चिकित्सा प्रतिक्रिया – प्राथमिक उपचार प्रदान करना और घायल व्यक्तियों तक जल्दी पहुँचना मुश्किल है।
  • एजेंसियों के बीच समन्वय – कई अधिकारियों (पुलिस, अग्निशमन सेवाएँ, चिकित्सा दल) को निर्बाध सहयोग की आवश्यकता होती है।
  • सीमित संसाधन और बुनियादी ढाँचा – अपर्याप्त बैरिकेड, सीसीटीवी, आपातकालीन निकास और प्रशिक्षित कर्मचारी।

भगदड़ प्रबंधन के लिए NDMA दिशानिर्देश

  • रोकथाम के उपाय:
    • भीड़ विनियमन: उपस्थित लोगों की संख्या की सख्त निगरानी और नियंत्रण।
    • निर्दिष्ट प्रवेश और निकास बिंदु: भीड़भाड़ से बचने के लिए स्पष्ट रूप से चिह्नित और व्यापक रूप से दूरी वाले मार्ग।
    • सार्वजनिक जागरूकता: भीड़भाड़ वाले स्थानों में सुरक्षित आवागमन और व्यवहार के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
    • प्रौद्योगिकी का उपयोग: निगरानी कैमरे, ड्रोन निगरानी और वास्तविक समय में भीड़ घनत्व विश्लेषण।
    • पर्याप्त संकेत: लोगों को निकास, चिकित्सा सहायता और सुरक्षित क्षेत्रों की ओर निर्देशित करने वाले स्पष्ट एवं दृश्यमान संकेत।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया:
    • प्राथमिक चिकित्सा और चिकित्सा तत्परता: प्रमुख स्थानों के पास एम्बुलेंस और चिकित्सा टीमों की तैनाती।
    • सुरक्षा कर्मियों का प्रशिक्षण: पुलिस और कार्यक्रम आयोजकों के लिए उचित भीड़ प्रबंधन प्रशिक्षण।
    • सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों का उपयोग: वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करना और घबराहट को रोकना।
    • मॉक ड्रिल: आपातकालीन निकासी के लिए नियमित अभ्यास सत्र।
    • समन्वय तंत्र: सभी आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को जोड़ने वाला एक एकीकृत कमांड सेंटर।

आगे की राह

  • महाकुंभ जैसे आयोजनों में भाग लेने वाले लाखों लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, अधिकारियों को समग्र और सक्रिय उपायों को लागू करना चाहिए:
    • उन्नत भीड़ प्रबंधन प्रौद्योगिकियाँ: वास्तविक समय में जोखिमों की पहचान करने के लिए AI-आधारित भीड़ निगरानी और पूर्वानुमान विश्लेषण।
    • स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग: बड़ी भीड़ को समायोजित करने के लिए चौड़ी सड़कें, बढ़े हुए निकास और बेहतर तरीके से डिज़ाइन किए गए रास्ते।
    • संख्या का सख्त विनियमन: कार्यक्रम से पहले पंजीकरण और उपस्थित लोगों की डिजिटल ट्रैकिंग।
    • प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती में वृद्धि: भगदड़ की रोकथाम में विशेष प्रशिक्षण वाले अधिक सुरक्षा बल।
    • सार्वजनिक भागीदारी और शिक्षा: उपस्थित लोगों को अभ्यास, जागरूकता कार्यक्रमों और उचित आचरण प्रशिक्षण में शामिल करना।
    • हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय: कार्यक्रम आयोजकों, कानून प्रवर्तन और आपदा प्रतिक्रिया टीमों के बीच मजबूत संचार।

Source: TH

 

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