भारत में सूक्ष्म पोषक तत्वों का कुपोषण

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-2/स्वास्थ्य

सन्दर्भ

  • द लांसेट में हाल ही में प्रकाशित एक लेख में अनुमान लगाया गया है कि भारतीय जनसँख्या द्वारा 15 आहार सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपभोग अपर्याप्त है।

प्रमुख विशेषताएं

  • विश्व भर में 5 बिलियन से अधिक लोग, जो वैश्विक जनसँख्या का 68% है, पर्याप्त आयोडीन का सेवन नहीं करते हैं; 67% लोग पर्याप्त विटामिन ई का सेवन नहीं करते हैं; और 66% कैल्शियम का सेवन करते हैं।
  •  4 बिलियन से अधिक लोग (जनसँख्या का 65%) पर्याप्त आयरन का सेवन नहीं करते हैं; 55%, राइबोफ्लेविन; 54%, फोलेट; और 53%, विटामिन सी। 
  • उसी देश और आयु समूहों में, आयोडीन, विटामिन बी 12, आयरन और सेलेनियम के लिए महिलाओं की तुलना में महिलाओं में अनुमानित अपर्याप्त सेवन अधिक था; और मैग्नीशियम, विटामिन बी 6, जिंक, विटामिन सी, विटामिन ए, थायमिन और नियासिन के लिए महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक था।
  • दक्षिण एशिया, उप-सहारा अफ्रीका और पूर्वी एशिया और प्रशांत के देशों में कैल्शियम सेवन की अपर्याप्तता सबसे अधिक बताई गई है।
    • इसके अतिरिक्त, इन देशों में सभी आयु-लिंग समूहों में सेवन अपर्याप्तता उच्च थी, लेकिन 10-30 वर्ष की आयु के लोगों में यह सबसे अधिक थी।
सूक्ष्म पोषक तत्व
– सूक्ष्म पोषक तत्व वे विटामिन और खनिज हैं जिनकी शरीर को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है।
– विटामिन कार्बनिक यौगिक हैं जिन्हें प्रायः दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. पानी में घुलनशील विटामिन: इनमें विटामिन सी और बी विटामिन (जैसे बी12, बी6, फोलेट) शामिल हैं। ये पानी में घुल जाते हैं और सामान्यतः शरीर में जमा नहीं होते, इसलिए आहार के ज़रिए इनका नियमित सेवन ज़रूरी है। 
2. वसा में घुलनशील विटामिन: इनमें विटामिन ए, डी, ई और के शामिल हैं। ये आहार वसा के साथ अवशोषित होते हैं और शरीर के वसा ऊतकों और यकृत में जमा हो सकते हैं।
– खनिज अकार्बनिक तत्व हैं जिन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत किया गया है:
1. प्रमुख खनिज: जैसे कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम, जिनकी बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। 
2. लेश खनिज: जैसे लोहा, जस्ता, तांबा और सेलेनियम, जिनकी कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन फिर भी स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व

  • वे विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं, जिनमें शरीर को सामान्य वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक एंजाइम, हार्मोन तथा अन्य पदार्थों का उत्पादन करने में सक्षम बनाना शामिल है।
    • वे चयापचय प्रक्रियाओं, हड्डियों के विकास और रखरखाव का समर्थन करते हैं, विभिन्न सूक्ष्म पोषक तत्व मस्तिष्क के स्वास्थ्य तथा संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित करते हैं।
    • आयरन, विटामिन बी12 और फोलेट लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन तथा एनीमिया की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    • विटामिन सी और ए, साथ ही जिंक, ऊतक की मरम्मत और घाव भरने में भूमिका निभाते हैं।
    • कुछ सूक्ष्म पोषक तत्वों का पर्याप्त सेवन पुरानी बीमारियों को रोकने में मदद कर सकता है।
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से प्रत्यक्ष और खतरनाक स्वास्थ्य स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन इससे ऊर्जा स्तर, मानसिक स्पष्टता और समग्र क्षमता में चिकित्सकीय रूप से उल्लेखनीय कमी भी आ सकती है।
    • इससे शैक्षणिक परिणामों में कमी आ सकती है, कार्य उत्पादकता में कमी आ सकती है तथा अन्य बीमारियों और स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है।
  • इनमें से अनेकों कमियों को पोषण शिक्षा और विविध खाद्य पदार्थों से युक्त स्वस्थ आहार के सेवन के माध्यम से रोका जा सकता है, साथ ही आवश्यकतानुसार भोजन को सुदृढ़ तथा पूरक बनाया जा सकता है।

सूक्ष्म पोषक तत्वों से कुपोषण को लक्षित करने वाली भारत सरकार की पहल

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान): 2018 में शुरू किया गया, इसका उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में सुधार करके बौनेपन, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन को कम करना है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS): यह छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए व्यापक सेवाएँ प्रदान करता है। इसका उद्देश्य इन समूहों की पोषण स्थिति और स्वास्थ्य में सुधार करना है।
  • राष्ट्रीय आयरन प्लस पहल (NIPI): इसे विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से निपटने के लिए शुरू किया गया था। इस पहल में आयरन और फोलिक एसिड की खुराक प्रदान करना शामिल है।
  • खाद्य फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम: फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम नमक में आयोडीन (आयोडीन युक्त नमक), गेहूं के आटे में आयरन और फोलिक एसिड और खाद्य तेलों में विटामिन ए जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) इन फोर्टिफिकेशन मानकों के कार्यान्वयन की देख-रेख करता है।
  • मध्याह्न भोजन योजना (MDMS): इस योजना के अंतर्गत स्कूली बच्चों को आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त निःशुल्क दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जिसका उद्देश्य उनके पोषण सेवन को बढ़ाना और नियमित स्कूल उपस्थिति को बढ़ावा देना है। 
  • एनीमिया मुक्त भारत (AMB): इस कार्यक्रम में नियमित रूप से आयरन और फोलिक एसिड की खुराक, कृमि मुक्ति और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों के आहार सेवन को बढ़ाने के प्रयास शामिल हैं।
    • इसमें समुदाय-आधारित हस्तक्षेप और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।

Source: TH

 

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