सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने हाल ही में भारत भर में सामुदायिक बीज बैंकों (CSBs) का अध्ययन किया और पारंपरिक बीज संरक्षण ज्ञान के पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण में गिरावट को लेकर चिंता जताई।
पारंपरिक बीज संरक्षण का महत्व
आनुवंशिक विविधता: ये बीज व्यापक आनुवंशिक आधार वाले होते हैं, जिससे फसलें कीट और बीमारियों के प्रति स्वाभाविक रूप से सहनशील बनती हैं।
जलवायु सहनशीलता: बदलते मौसम—बादल फटने से लेकर सूखे तक—के दौर में पारंपरिक बीज बीमा का कार्य करते हैं। मिश्रित खेती प्रणालियों में कुछ किस्में विफल होने पर भी अन्य उपज देती हैं।
फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने एक हरित रासायनिक प्रक्रिया विकसित की है जो खाना पकाने के तेलों में पाए जाने वाले प्राकृतिक फैटी एसिड का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-वेस्ट) से चांदी पुनः प्राप्त करती है।
ई-वेस्ट क्या है?
ई-वेस्ट उन परित्यक्त इलेक्ट्रॉनिक और विद्युत उपकरणों को कहते हैं जो अपनी जीवनावधि पूरी कर चुके हैं या तकनीकी प्रगति के कारण अप्रचलित हो गए हैं, जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन, टीवी एवं अन्य उपकरण।
भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट उत्पादक देश है।
भारत, यू.एस. और अन्य विदेशी कंपनियों को नागरिक परमाणु परियोजनाओं में आकर्षित करने के लिए, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से संबंधित जुर्माने को कम करने हेतु परमाणु दायित्व कानूनों में ढील देने पर विचार कर रहा है।
नागरिक परमाणु दायित्व क्या है?
नागरिक परमाणु दायित्व कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि परमाणु दुर्घटनाओं के मामलों में पीड़ितों को मुआवजा मिले और यह परिभाषित करते हैं कि यह मुआवजा किसकी जिम्मेदारी होगी।
दायित्व सामान्यतः परमाणु प्रतिष्ठान के परिचालक का होती है, जो प्रायः एक सार्वजनिक संस्था होती है, जिससे कानूनी प्रक्रिया आसान होती है और मुआवजा उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित होती है।