एक विश्लेषण से पता चलता है कि केवल तीन राज्यों – महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा – ने वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के अंतर्गत सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकारों को मान्यता देने में उल्लेखनीय प्रगति की है। संपूर्ण भारत में अधिकांश वन-निवासी समुदाय अभी भी इन अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।