मधुबनी पेंटिंग
पाठ्यक्रम: GS1/कला और संस्कृति
संदर्भ
- चीन के चिंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को मधुबनी पेंटिंग भेंट की।
मधुबनी चित्रकला के बारे में
- उत्पत्ति: मधुबनी चित्रकला, जिसे मिथिला चित्रकला भी कहा जाता है, बिहार के मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले में उत्पन्न हुई।
- तकनीक: परंपरागत रूप से यह चित्रकला महिलाओं द्वारा उंगलियों, टहनी, निब-पेन, माचिस की तिल्ली और ब्रश की सहायता से बनाई जाती है।
- इसमें प्राकृतिक रंगों और रंजकों का उपयोग होता है, जिससे चमकीले और पृथ्वी जैसे रंग उत्पन्न होते हैं।
- विशिष्ट विशेषताएँ:
- आकर्षक ज्यामितीय पैटर्न
- द्वि-आयामी आकृतियाँ
- पूरी सतह को रंगों से ढँकना — कोई रिक्त स्थान नहीं छोड़ा जाता
- थीम/विषय-वस्तु:
- हिंदू देवताओं (कृष्ण, राम, शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती)
- खगोलीय पिंड (सूर्य, चंद्रमा)
- पवित्र वनस्पतियाँ (तुलसी)
- दरबारी एवं विवाह के दृश्य
- फूलों, पशुओं और पक्षियों की आकृतियाँ
- विकास: पहले यह चित्रकला ताज़ा लीपे गए मृदा के घरों की दीवारों और फर्श पर बनाई जाती थी; अब इसे कपड़े, हस्तनिर्मित कागज़ और कैनवास पर भी बनाया जाता है।
- GI टैग: मधुबनी चित्रकला बिहार का प्रथम उत्पाद था जिसे 2007 में भौगोलिक संकेत GI टैग प्राप्त हुआ।
Source: IE
बिहार मोबाइल ऐप से मतदान करने वाला प्रथम राज्य बना
पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- बिहार देश का प्रथम राज्य बन गया है जिसने नगरपालिका निकायों के चुनाव और उपचुनाव में मोबाइल ऐप के माध्यम से ई-वोटिंग सुविधा शुरू की है।
परिचय
- मतदान छह नगर पंचायतों और 36 अन्य विभिन्न नगरपालिका निकायों में किया जा रहा है।
- यह सुविधा उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो मतदान केंद्रों तक नहीं जा सकते।
- वरिष्ठ नागरिक, विकलांग व्यक्ति और गर्भवती महिलाएं इस विकल्प का लाभ उठा सकती हैं।
- मतदाताओं को E-SECBHR ऐप इंस्टॉल करना होगा, जो वर्तमान में केवल एंड्रॉइड उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध है।
फेर-बदल रोकने के उपाय
- एक मोबाइल नंबर से केवल दो पंजीकृत मतदाताओं को लॉगिन करने की अनुमति है।
- प्रत्येक मतदाता का सत्यापन वोटर आईडी नंबर दर्ज करके किया जा रहा है।
- ब्लॉकचेन तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि मतदान सुरक्षित और अपरिवर्तनीय प्रणाली में दर्ज और संग्रहीत किया जाए।
- चेहरे की पहचान और मिलान की तकनीक लॉगिन और मतदान के समय मतदाता की पहचान सत्यापित करने में सहायता करती है।
Source: TH
विदेशी धन प्रेषण पर नया अमेरिकी मसौदा कानून
पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- अमेरिकी सीनेट ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट के संशोधित संस्करण को जारी किया है, जिसमें विदेशी प्रेषण (remittances) पर प्रस्तावित कर को घटाकर 1% कर दिया गया है।
परिचय
- इस प्रस्तावित कानून का मूल उद्देश्य अमेरिका से भेजे जाने वाले सभी विदेशी प्रेषणों पर कर लगाना था।
- हालांकि, नवीनतम प्रारूप में कर की दर 5% से घटाकर अब केवल 1% कर दी गई है और इसे केवल नकद-आधारित प्रेषण विधियों तक सीमित कर दिया गया है।
- अमेरिका में जारी किए गए बैंक खाते, डेबिट कार्ड, या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किए गए प्रेषण अब इस कर से छूट प्राप्त करेंगे।
भारत के लिए प्रभा
- भारत विश्व का सबसे बड़ा विदेशी प्रेषण प्राप्तकर्ता है। भारतीय प्रवासी समुदाय ने वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड $135.46 अरब की प्रेषण राशि भेजी, जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बताया है।
- अमेरिका इन प्रेषणों का एक प्रमुख स्रोत है, जहाँ एक बड़ा और आर्थिक रूप से सक्रिय भारतीय प्रवासी समुदाय निवास करता है।
- यदि यह कर लागू होता तो भारत को मिलने वाली प्रेषण राशि में कमी आ सकती थी, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार और उससे जुड़े चालू खाता संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।
Source: TH
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 19वां सांख्यिकी दिवस मनाया
पाठ्यक्रम : GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने नई दिल्ली में 19वां “सांख्यिकी दिवस” मनाया।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस
- प्रथम बार यह दिवस 2007 में मनाया गया था ताकि प्रोफेसर पी.सी. महालनोबिस के सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन में अमूल्य योगदान को सम्मानित किया जा सके।
- उन्हें “भारत में आधुनिक सांख्यिकी के जनक” के रूप में जाना जाता है।
- उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की और महालनोबिस दूरी (Mahalanobis Distance) नामक एक व्यापक रूप से प्रयुक्त सांख्यिकीय माप विकसित किया।
- उनके कार्यों ने भारत की राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली की नींव रखी, जिससे आर्थिक योजना और नीतियों के निर्माण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

Source :PIB
लद्दाख का प्रथम खगोल पर्यटन महोत्सव
पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- हाल ही में लेह में लद्दाख का प्रथम “एस्ट्रो टूरिज्म फेस्टिवल” (खगोलीय पर्यटन महोत्सव) सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
लद्दाख का पहला एस्ट्रो टूरिज्म फेस्टिवल
- यह आयोजन पर्यटन विभाग और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics) द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
- यह दो दिवसीय कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य लद्दाख को एक प्रमुख एस्ट्रो-टूरिज्म गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है — जो कि अपनी स्पष्ट आकाशीय स्थिति, ऊँचाई और कम प्रकाश प्रदूषण के लिए जाना जाता है।
- मुख्य गतिविधियों में शामिल थे:
- ISRO और विभिन्न विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान
- लद्दाख विश्वविद्यालय में रात्रि आकाश दर्शन सत्र
- टेलीस्कोप के माध्यम से तारामंडलों (constellations), ग्रहों और गहरे आकाशीय पिंडों (deep-sky objects) के निर्देशित दृश्य
Source: AIR
जीपीएस हस्तक्षेप से उड़ानों पर खतरा
पाठ्यक्रम :GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
समाचार में
- हाल के घटनाक्रमों में — दिल्ली-जम्मू फ्लाइट का वापस लौटना, होरमुज़ जलडमरूमध्य के पास टैंकर की टक्कर, और जेद्दा के पास जहाज का फँस जाना — इन सभी का कारण ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) हस्तक्षेप था।
GPS हस्तक्षेप क्या है?
- GPS हस्तक्षेप में स्पूफिंग (छल) और जैमिंग (विघटन) जैसी साइबर हमलों की तकनीकें शामिल होती हैं, जो जानबूझकर वाहनों की नेविगेशन प्रणाली को बाधित या भ्रमित करती हैं।
- यद्यपि इन दो शब्दों का उपयोग अक्सर एक दूसरे के स्थान पर होता है, लेकिन स्पूफिंग और जैमिंग दो भिन्न प्रकार के हस्तक्षेप हैं।
GPS जैमिंग और स्पूफिंग में अंतर
- GPS जैमिंग: मजबूत रेडियो सिग्नल का उपयोग करके GPS रिसीवर्स को सैटेलाइट डेटा प्राप्त करने से रोकता है, जिससे स्थान और समय संबंधित कार्य बाधित होते हैं।
- GPS स्पूफिंग: झूठे GPS सिग्नल भेजकर रिसीवर्स को भ्रमित करता है, जिससे वे गलत स्थान या समय की जानकारी प्रदर्शित करते हैं।
जोखिम
- GPS हस्तक्षेप बेहद खतरनाक है क्योंकि यह पायलटों और जहाज संचालकों को ग़लत दिशा में ले जा सकता है, जिससे टकराव और परिवहन कार्यों में गंभीर बाधा आ सकती है।
- वर्ष 2024 में प्रतिदिन लगभग 700 स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे हवाई यातायात नियंत्रण, बंदरगाह प्रणाली जैसी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं पर खतरा मंडराता है।
- सड़क यातायात तक भी इससे अराजकता उत्पन्न हो सकती है।
प्रसार
- GPS हस्तक्षेप संघर्ष वाले क्षेत्रों में सामान्य है — जैसे रेड सी, फारस की खाड़ी, और पूर्वी यूरोप — जहाँ उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकें उपयोग में लाई जाती हैं।
- रेड सी क्षेत्र में 2025 की शुरुआत में स्पूफिंग की घटनाओं में 350% वृद्धि दर्ज की गई।
- एयरलाइंस ऐसी जगहों से दूरी बरतती हैं।
- रूस में 2017 में एक बड़ा स्पूफिंग हमला हुआ था, जिससे नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह के पास 20 से अधिक जहाज प्रभावित हुए थे।
उपाय
- GPS हस्तक्षेप का सामना करने के लिए विमानन और नौवहन क्षेत्र में कई वैकल्पिक उपाय अपनाए जा रहे हैं:
- विमान सहायक प्रणाली जैसे:
- जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (INS)
- भू-आधारित VHF ऑम्नीडायरेक्शनल रेंज (VOR)
- डिस्टेंस मेज़रिंग इक्विपमेंट (DME)
- और पारंपरिक पद्धति जैसे खगोलीय नेविगेशन
- पायलटों को स्पूफिंग पहचानने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
- जहाजों को स्वचालित संचालन से हटाकर मैन्युअल नियंत्रण में लाया जा रहा है, और वे ज़मीन आधारित नेविगेशन सहायता का प्रयोग करते हैं। साथ ही, वे बहु-नक्षत्र GNSS प्रणालियाँ (GPS, GLONASS, Galileo, Bei Dou) अपनाते हैं ताकि विश्वसनीयता बढ़े।
- भारत अपनी स्वदेशी “NavIC” प्रणाली का उपयोग करता है जो विदेशी GPS पर निर्भरता के बिना सटीक नेविगेशन सुनिश्चित करती है, और यह सैन्य अभियानों में अत्यधिक प्रभावशाली सिद्ध हुई है।
Source: IE
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड
पाठ्यक्रम: GS3/कृषि
संदर्भ
- केंद्रीय गृह मंत्री ने तेलंगाना के निजामाबाद में नेशनल टरमरिक बोर्ड (राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड) के मुख्यालय का उद्घाटन किया।
परिचय
- यह एक विशेष निकाय है जिसकी स्थापना 2025 में की गई है, जिसका उद्देश्य हल्दी की खेती, अनुसंधान और निर्यात को प्रोत्साहित करना है ताकि हल्दी क्षेत्र का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।
- मुख्यालय: निजामाबाद, तेलंगाना
- मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन कार्यरत
- उद्देश्य:
- हल्दी उत्पादन को बढ़ाना
- किसानों को सहायता प्रदान करना और उनकी आजीविका में सुधार करना
- हल्दी और उससे बने मूल्यवर्धित उत्पादों के वैश्विक निर्यात को बढ़ावा देना
- कार्य:
- हल्दी के औषधीय और आवश्यक गुणों के बारे में जागरूक करना
- उत्पादन में वृद्धि के उपायों पर कार्य करना
- व्यापार को नए बाजारों तक पहुँचाने के लिए लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत बनाना
हल्दी के बारे में
- हल्दी करकुमा लोंगा वनस्पति समूह का हिस्सा है और यह अदरक परिवार (Zingiberaceae) का एक बहुवर्षीय शाकीय पौधा है।
- यह मसाले, रंग, औषधि, और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में उपयोग की जाती है।
- हल्दी को “गोल्डन स्पाइस” (स्वर्ण मसाला) के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है।
- 2023-24 में भारत ने विश्व के कुल हल्दी उत्पादन का 70% से अधिक योगदान दिया।
- भारत में हल्दी की लगभग 30 किस्में उगाई जाती हैं।
- मुख्य उत्पादक राज्य हैं: आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात, मेघालय, महाराष्ट्र और असम।
जलवायु की अनुकूलता
- हल्दी एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, जो उष्ण और उपोष्ण दोनों क्षेत्रों में उगती है।
- यह 20 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा में अच्छी वृद्धि करती है, और इसे 1500 मिमी या अधिक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- इसे आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
मृदा आवश्यकताएँ:
- हल्दी साफ-सुथरी बलुई या चिकनी दोमट मृदा में सबसे अच्छी तरह उगती है, जिसमें रेत की मात्रा थोड़ी अधिक हो।
Source: TH
सिंथेटिक एचजीपी (SynHG)
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- संयुक्त राजशाही (यूके) के वैज्ञानिकों ने एक महत्वाकांक्षी पहल — सिंथेटिक ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (SynHG) — की शुरुआत की है, जो मानव जीनोम को पढ़ने से एक कदम आगे बढ़कर उसे लिखने का प्रयास है।
क्या है सिंथेटिक ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (SynHG)?
- पारंपरिक ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (HGP) जहाँ मानव जीनोम को पढ़ने पर केंद्रित था, वहीं SynHG का उद्देश्य है मानव डीएनए के बड़े हिस्सों को कृत्रिम रूप से लिखना — अर्थात् आनुवंशिक पढ़ाई से इंजीनियरिंग की ओर कदम।
- समय अवधि: 5 वर्ष
- उद्देश्य:
- शुरू से मानव डीएनए के बड़े और क्रियाशील खंड बनाना
- मानव जीनोमिक अनुक्रमों को लिखने, जांचने और जोड़ने के लिए नई तकनीकें विकसित करना
महत्त्व
- रोग मॉडलिंग: कृत्रिम जीनोम मानव रोगों के मॉडल तैयार करने में सहायता कर सकते हैं, जिससे सटीक दवा विकास संभव हो सकेगा।
- जीन थेरेपी: विशेष कार्यों के लिए डीएनए को डिज़ाइन करना आनुवंशिक विकारों का इलाज या संभवतः उपचार प्रदान कर सकता है।
- अंग विकास: भविष्य में जैव-इंजीनियर अंगों या ऊतकों के विकास की नींव रखता है।
ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (HGP) – उद्देश्य: लगभग 20,000–25,000 मानव जीनों की पहचान और मानचित्रण करना, और इस ज्ञान को सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध कराना। – प्रारंभ: 1990 में – समाप्ति: 2003 मेंपरियोजना ने मानव जीनोम के 3.1 अरब बेस पेयर्स में से लगभग 92% का सफल अनुक्रमण (sequencing) किया। |
Source: TH
द्वितीयक प्रदूषक
पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण प्रदूषण
संदर्भ
- द्वितीयक प्रदूषक, विशेष रूप से अमोनियम सल्फेट, जो वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और अमोनिया (NH₃) की अभिक्रिया से बनता है, भारत के PM2.5 वायु प्रदूषण का लगभग एक-तिहाई हिस्सा उत्तरदायी है।
प्राथमिक और द्वितीयक प्रदूषक क्या हैं?
- प्राथमिक वायु प्रदूषक: वे प्रदूषक जो किसी विशेष स्रोत से प्रत्यक्ष रूप से उत्सर्जित होते हैं।
- उदाहरण: कण (particulates), कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और सल्फर ऑक्साइड।
- द्वितीयक वायु प्रदूषक: वे प्रदूषक जो निचली वायुमंडलीय परत में रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण बनते हैं।
- उदाहरण: ओज़ोन और द्वितीयक कार्बनिक एयरोसोल (हेज/धुंध)।
- द्वितीयक प्रदूषकों को नियंत्रित करना कठिन होता है क्योंकि इनकी संश्लेषण प्रक्रियाएँ जटिल होती हैं और अभी पूरी तरह से समझी नहीं गई हैं।
- ये प्राकृतिक रूप से वातावरण में बनते हैं और फोटोकेमिकल स्मॉग जैसी समस्याएँ उत्पन्न करते हैं।
PM2.5 क्या है?
- PM2.5 (फाइन फ्रैक्शन कण) वे कण होते हैं जिनका वायुगतिकीय व्यास 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है।
- इनके स्रोतों में शामिल हैं:
- सभी प्रकार की दहन क्रियाएँ (जैसे मोटर वाहन, बिजली संयंत्र, लकड़ी जलाना आदि)
- कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएँ
Source: TH
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