स्वामी रामकृष्ण परमहंस
पाठ्यक्रम :GS 1/इतिहास
समाचार में
- प्रधानमंत्री ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस
- स्वामी रामकृष्ण का जन्म 18 फरवरी, 1836 को बंगाल के कामारपुकुर में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिनका धार्मिक मूल्य बहुत मजबूत था।
- उनकी गहरी आध्यात्मिकता ने उन्हें विभिन्न धार्मिक मार्गों की खोज करने के लिए प्रेरित किया, इस बात की पुष्टि करते हुए कि सभी धर्म एक ही दिव्य सत्य की ओर ले जाते हैं।
- उनका जीवन ईश्वर के निरंतर चिंतन के आस पास केंद्रित था।
- उनकी ईश्वर-चेतना समय और स्थान से परे है, जो सभी धर्मों के साधकों को सार्वभौमिक रूप से आकर्षित करती है।
उल्लेखनीय शिष्य
- उनके असंख्य शिष्यों में सबसे प्रमुख थे स्वामी विवेकानंद, जिन्होंने रामकृष्ण के दर्शन को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण के दर्शन को आगे बढ़ाने के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और समाज की सेवा में संस्था को समर्पित कर दिया।
शिक्षा और संदेश
- श्री रामकृष्ण के जीवन ने आधुनिक आध्यात्मिक विचारों और धाराओं को प्रभावित किया।
- उन्होंने सिद्ध किया कि ईश्वर-प्राप्ति उम्र, देश या लोगों तक सीमित नहीं है।
- उनकी शिक्षाओं ने प्रदर्शित किया कि ईश्वर भौतिकवाद और संदेवायुद से परे मौजूद है, जिससे धर्म में विश्वास पुनर्स्थापित हुआ।
- उनकी शिक्षाओं एवं आध्यात्मिक उपस्थिति ने व्यक्तियों को ऊपर उठाया, पापियों को संतों में बदल दिया और सभी को शुद्ध किया।
प्रासंगिकता आज
- रामकृष्ण का सबसे बड़ा योगदान धर्मों के बीच सामंजस्य का संदेश है।
- उनका संदेश आज के विश्व के लिए आशा की किरण है, जो धार्मिक असहिष्णुता और वैश्विक संकटों से खतरे में है।
- उनकी शिक्षाएँ धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान को बढ़ावा देती हैं, तथा विभिन्न धर्मों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देती हैं।
Source :TH
प्रतिचक्रवात प्रणाली
पाठ्यक्रम: GS1/जलवायु विज्ञान
संदर्भ
- मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि मुंबई में तापमान में असामान्य वृद्धि पश्चिमी तट पर एक प्रतिचक्रवाती प्रणाली की उपस्थिति के कारण हुई।
परिचय
- प्रतिचक्रवात एक उच्च दबाव वाली मौसम प्रणाली है, जहाँ सतह पर वायुदाब आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है।

- प्रतिचक्रवाती प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ:
- केंद्र में उच्च दबाव: सिस्टम के केंद्र में वायु का दबाव इसके आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है।
- वायु की गति: वायु एक प्रतिचक्रवात के केंद्र से बाहर की ओर अग्रसर होता है।
- अवतलित होती वायु: एक प्रतिचक्रवात के भीतर की वायु ऊपर उठने के बजाय नीचे अवतलित होती है, जिससे बादल का निर्माण रुक जाता है और प्रायः शुष्क और साफ स्थितियाँ बनती हैं।
- प्रभाव: प्रतिचक्रवात स्थानीय मौसम पैटर्न को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं, जिससे कभी-कभी लम्बे समय तक सूखा या हीट वेव उत्पन्न हो सकती हैं।
Source: IE
‘दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ सिद्धांत
पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन व्यवस्था
संदर्भ
- हाल ही में दो अलग-अलग हत्या के मामलों में दोषसिद्धि ने न्यायपालिका के ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर‘ सिद्धांत के प्रति दृष्टिकोण के बारे में प्रश्न फिर से उत्पन्न कर दिया हैं।
परिचय
- 1972 – जगमोहन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य: उच्चतम न्यायालय ने मृत्युदंड की संवैधानिकता को बरकरार रखा।
- 1980 – बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य: न्यायालय ने ‘दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर‘ सिद्धांत पेश किया, जिसमें कहा गया कि मृत्युदंड केवल असाधारण मामलों में ही आरोपित किया जाना चाहिए।
- ‘दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की परिभाषा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं की गई थी, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।
- 1983 – मच्छी सिंह बनाम पंजाब राज्य: उच्चतम न्यायालय ने ‘दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ सिद्धांत को स्पष्ट किया और अपराधों की पाँच श्रेणियों की पहचान की, जहाँ मृत्युदंड को उचित ठहराया जा सकता है:
- हत्या करने का तरीका: अत्यंत क्रूर और नृशंस हत्याएँ।
- हत्या का मकसद: पूर्णतयः अनैतिकता प्रदर्शित करने वाले उद्देश्य से की गई हत्या।
- अपराध की सामाजिक रूप से घृणित प्रकृति: जब कोई हत्या अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाती है और सामाजिक आक्रोश उत्पन्न करती है।
- अपराध की गंभीरता।
- अपराधी का व्यक्तित्व: जब पीड़ित विशेष रूप से कमज़ोर होता है, जैसे कि बच्चा, महिला या बुजुर्ग व्यक्ति।
निष्कर्ष
- भारत में मृत्युदंड का प्रयोग जटिल और विवादास्पद बना हुआ है।
- यद्यपि उच्चतम न्यायालय ने एक निश्चित रूपरेखा दी है, फिर भी ‘दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ के रूप में क्या योग्य है, इसकी अस्पष्ट, सार्वभौमिक रूप से सहमत परिभाषा न्यायिक विवेक के लिए जगह छोड़ती रहती है।
Source: TH
भारत का प्रथम वर्टिकल बाइफेसियल सोलर प्लांट
पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण एवं संरक्षण
संदर्भ
- केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने ओखला विहार मेट्रो स्टेशन पर भारत के प्रथम वर्टिकल बाई-फेसियल सौर संयंत्र का उद्घाटन किया।
परिचय
- इसका उद्घाटन यहाँ ग्रीन मेट्रो सिस्टम्स – द फ्यूचर ऑफ अर्बन मोबिलिटी पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में किया गया।
- इसका आयोजन दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) के सहयोग से i-Metro के बैनर के नीचे किया गया था।
- द्विपक्षीय पैनल दोनों तरफ से सूर्य की रोशनी को कैप्चर कर सकते हैं।
- यह बिना किसी अतिरिक्त भूमि पर आधिपत्य किए सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए मेट्रो की ऊँची संरचना का लाभ उठाएगा।
- महत्त्व: थर्मल से नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण, सौर छतों का उपयोग, और मेट्रो में पुनर्योजी ब्रेकिंग को लागू करना एक हरित भविष्य की ओर बदलाव का उदाहरण है।
- नवाचार मेट्रो रेल संचालन को अधिक टिकाऊ बनाने और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने में सहायता कर सकता है।
Source: IE
मृदा स्वास्थ्य कार्ड का दशक
पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि
संदर्भ
- राजस्थान में 19 फरवरी, 2015 को प्रारंभ की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को एक दशक पूरा हो गया है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- उद्देश्य: मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है, साथ ही मृदा स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्त्वों की उचित खुराक पर सिफारिशें भी करता है।
- यह योजना राज्य सरकारों को देश के सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने में सहायता करती है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मृदा स्वास्थ्य निर्धारित करने वाले 12 मापदंडों के संबंध में मिट्टी की स्थिति होती है:
- मैक्रो-पोषक तत्त्व: नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटेशियम (K), सल्फर (S)।
- सूक्ष्म पोषक तत्त्व: जिंक (Zn), आयरन (Fe), कॉपर (Cu), मैंगनीज (Mn), बोरॉन (Bo)।
- अन्य संकेतक: pH स्तर (मिट्टी की अम्लता या क्षारीयता), विद्युत चालकता (मिट्टी में लवण की उपस्थिति को दर्शाता है), आर्गेनिक कार्बन (OC)।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को वर्ष 2022-23 से ‘मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता’ नाम से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) योजना में इसके एक घटक के रूप में विलय कर दिया गया है।

Source: PIB
समुद्रयान परियोजना
पाठ्यक्रम :GS 3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- समुद्रयान परियोजना के अंतर्गत मत्स्य-6000 का वेट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा हो गया।
समुद्रयान परियोजना के बारे में
- समुद्रयान डीप ओशन मिशन के अंतर्गत एक परियोजना है।
- इसका उद्देश्य गहरे समुद्र में अन्वेषण के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के एक सेट के साथ समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक 3 मनुष्यों को ले जाने के लिए एक स्व-चालित मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित करना है।
- मत्स्य-6000 समुद्रयान परियोजना के अंतर्गत डिज़ाइन की गई चौथी पीढ़ी की गहरे समुद्र में जाने वाली पनडुब्बी है।
- इसके 2.1 मीटर व्यास वाले गोलाकार पतवार के अंदर तीन लोग बैठ सकते हैं और यह भारत की समुद्री अन्वेषण क्षमताओं में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
डीप ओशन मिशन – इसे 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। – यह हिंद महासागर के गहरे समुद्र में सजीव और निर्जीव संसाधनों की बेहतर समझ के लिए एक उच्च-स्तरीय बहु-मंत्रालयी, बहु-विषयक कार्यक्रम है और यह ब्लू इकोनॉमी का दर्जा प्राप्त करने के भारत के प्रयासों में सहायता करेगा। |
Source :TH
सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में ट्रेलगार्ड AI सिस्टम
पाठ्यक्रम :GS 3/पर्यावरण
समाचार में
- सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व शिकारियों का पता लगाने के लिए ट्रेलगार्ड AI प्रणाली के हिस्से के रूप में 100-150 AI-सक्षम कैमरों का उपयोग कर रहा है।
ट्रेलगार्ड AI सिस्टम
- ट्रेलगार्ड AI की परिकल्पना और निर्माण गुड़गांव में सामाजिक प्रभाव उद्यम नाइटजर टेक्नोलॉजीज द्वारा किया गया था, जो संरक्षण सेटिंग्स के लिए दूरस्थ निगरानी उपकरण विकसित करता है।
- विशेषताएँ: इसके कैमरे कॉम्पैक्ट हैं और इनमें लंबे समय तक चलने वाली बैटरी (6 महीने से 1 वर्ष) है।
- यह वास्तविक समय के अपडेट, खुफिया जानकारी जुटाने और छापे के साथ सक्रिय कानून प्रवर्तन में सहायता करता है।
- यह प्रणाली मनुष्यों, जानवरों और वाहनों की पहचान करती है और शिकारियों का पता चलने पर अलर्ट भेजती है।
- महत्त्व: ट्रेलगार्ड AI का उपयोग कान्हा टाइगर रिजर्व और दुधवा नेशनल पार्क सहित अन्य रिजर्व में किया जा रहा है।
- इस प्रणाली में पूरे भारत में वन्यजीव निगरानी और अवैध शिकार विरोधी प्रयासों में एक गेम-चेंजर बनने की क्षमता है।
क्या आप जानते हैं ? – सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व ओडिशा के सबसे उत्तरी भाग में मयूरभंज जिले में स्थित है। यह क्षेत्र ज़्यादातर ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी है, बीच-बीच में खुले घास के मैदान एवं जंगली क्षेत्र हैं – मेलानिस्टिक बाघ केवल ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में ही दर्ज किए गए हैं। |
Source :TH
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