WDC-PMKSY 2.0 के अंतर्गत नई वाटरशेड विकास परियोजनाएँ

पाठ्यक्रम: GS2/शासन व्यवस्था

संदर्भ

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने 700 करोड़ रुपये के बजट के साथ 10 उच्च प्रदर्शन वाले राज्यों में 56 नई वाटरशेड विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

PMKSY का वाटरशेड विकास घटक (WDC-PMKSY)

  • एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (IWMP) 2009-10 में प्रारंभ  किया गया था। 
  • IWMP को बाद में 2015-16 में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के साथ WDC-PMKSY के रूप में विलय कर दिया गया। 
  • सरकार ने 2021-26 से WDC-PMKSY को ‘WDC-PMKSY 2.0’ के रूप में जारी रखा, जिसका भौतिक लक्ष्य 49.50 लाख हेक्टेयर और वित्तीय परिव्यय 8,134 करोड़ रुपये है।
    • WDC-PMKSY 2.0 को राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में लागू किया जाएगा।

वाटरशेड क्या है?

  • वाटरशेड भूमि का वह क्षेत्र है जो वर्षा, बर्फ पिघलने और अपवाह को एक सामान्य जल निकाय में प्रवाहित करता है।
  • वाटरशेड विकास का तात्पर्य एक परिभाषित वाटरशेड के अंदर जल संसाधनों के प्रबंधन एवं संरक्षण से है, ताकि जल की उपलब्धता में सुधार हो, मृदा की उर्वरता बढ़े और भूमि के स्थायी उपयोग को बढ़ावा मिले।
वाटरशेड

वाटरशेड विकास का महत्त्व

  • बेहतर जल उपलब्धता: वर्षा जल संचयन के माध्यम से भूजल पुनर्भरण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ तालाबों, चेक डैम और अन्य संरचनाओं में सतही जल भंडारण की क्षमता बढ़ाने से, परियोजना जल उपलब्धता में सुधार करने में सतह करती है।
    • हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक में विश्व बैंक की वाटरशेड प्रबंधन परियोजनाएँ शुष्क क्षेत्रों, वर्षा आधारित निचले क्षेत्रों और अधिक ऊँचाई वाले स्थानों में सफल रही हैं।
  • संधारणीय कृषि: वाटरशेड विकास मृदा के कटाव को रोकने और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने में सहायता करता है, जो स्वस्थ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • आर्थिक उत्थान: यह वनीकरण, मत्स्य पालन, जल संचयन और कृषि आधारित उद्योगों जैसी गतिविधियों के माध्यम से आजीविका सृजन के अवसर सृजित करता है।
  • जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति लचीलापन: जलवायु परिवर्तन ने वर्षा के पैटर्न को तीव्रता से अनिश्चित बना दिया है, जिससे अप्रत्याशित सूखे और बाढ़ आ रही है। वाटरशेड विकास ऐसी जलवायु-प्रेरित चुनौतियों के प्रति लचीलापन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

आगे की राह

  • प्रौद्योगिकी का बेहतर एकीकरण: भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), रिमोट सेंसिंग (RS) और वाटरशेड के मानचित्रण के लिए ड्रोन जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग वाटरशेड प्रबंधन की दक्षता और प्रभाव को बढ़ाता है।
  • हितधारकों के बीच सहयोग: वाटरशेड विकास परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, गैर सरकारी संगठनों एवं किसानों के मध्य प्रभावी समन्वय महत्त्वपूर्ण है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी, जहाँ निगम, अनुसंधान संस्थान एवं स्थानीय सरकारें सहयोग करती हैं, वाटरशेड विकास पहलों के दायरे और प्रभाव में वृद्धि कर सकती हैं।

Source: PIB