विदेशी निधियों पर नई नीति

पाठ्यक्रम: GS2-शासन /GS3-अर्थव्यवस्था

समाचार में

  • गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के अंतर्गत पूर्व अनुमति के माध्यम से प्राप्त विदेशी धन अब चार वर्षों के लिए वैध होगा।

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA)

  • FCRA, जिसे प्रथम बार 1976 में अधिनियमित किया गया था और 2010 एवं 2020 में संशोधित किया गया, के अनुसार NGOs को सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए विदेशी दान प्राप्त करने के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक है। 
  • NGOs के अतिरिक्त, FCRA विदेशी योगदान प्राप्त करने वाले समूहों और संघों पर भी लागू होता है, जिनमें से सभी को अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण कराना होगा।
    • पंजीकरण पाँच वर्ष के लिए वैध है और इसे नवीनीकृत किया जा सकता है। 
  • उन्हें आयकर दाखिल करने के समान वार्षिक रिटर्न दाखिल करना होगा। 
  • 2015 में, गृह मंत्रालय ने गैर सरकारी संगठनों को यह सुनिश्चित करने के लिए नियम पेश किए कि विदेशी दान भारत की संप्रभुता, अखंडता, सांप्रदायिक सद्भाव या विदेशी संबंधों को प्रभावित नहीं करते हैं।

छूट

  • विधानमंडल के सदस्यों, राजनीतिक दलों, सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों एवं मीडियाकर्मियों सहित कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं को विदेशी योगदान प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है।
    • 2017 के संशोधन ने राजनीतिक दलों को भारतीय सहायक कंपनियों या 50% से अधिक भारतीय स्वामित्व वाली विदेशी कंपनियों से धन प्राप्त करने की अनुमति दी।

पंजीकरण कब निलंबित या रद्द किया जाता है?

  • यदि खाते उल्लंघन करते पाए जाते हैं तो FCRA पंजीकरण को 180 दिनों तक के लिए निलंबित किया जा सकता है। इस दौरान, संगठन नए दान स्वीकार नहीं कर सकता है या MHA की मंजूरी के बिना मौजूदा फंड का 25% से अधिक उपयोग नहीं कर सकता है।
    • यदि किसी संगठन का पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है, तो वह तीन वर्ष तक फिर से आवेदन नहीं कर सकता है या पूर्व अनुमति प्राप्त नहीं कर सकता है।

नई नीति की मुख्य विशेषताएँ

  • पूर्व अनुमति के माध्यम से प्राप्त विदेशी निधियाँ अब स्वीकृति की तिथि से चार वर्षों के लिए वैध होंगी, जबकि विगत नीति के अनुसार निधियों का पूर्ण उपयोग होने तक व्यय की अवधि खुली रहती थी।
  • समय सीमा का उल्लंघन: नई समय सीमा का पालन न करना विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा, तथा दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
  • वर्तमान स्वीकृत आवेदन: यदि किसी संगठन के पास पहले से ही पूर्व अनुमति है तथा स्वीकृत परियोजना या गतिविधि में 7 अप्रैल, 2025 तक तीन वर्ष से अधिक समय शेष है, तो समय सीमा (निधि प्राप्त करने के लिए तीन वर्ष तथा उनका उपयोग करने के लिए चार वर्ष) मूल स्वीकृति तिथि के बजाय 7 अप्रैल, 2025 से प्रारंभ होगी।
  • पूर्व अनुमति के लिए पात्रता: यदि कोई NGO FCRA पंजीकरण के लिए पात्र नहीं है, तो भी वह परियोजनाओं के लिए विशिष्ट निधियाँ प्राप्त करने हेतु पूर्व अनुमति के लिए आवेदन कर सकता है, बशर्ते वह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882, या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 जैसे कानूनों के अंतर्गत पंजीकृत हो।

FCRA का महत्त्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करता है: भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध गतिविधियों के लिए विदेशी धन के दुरुपयोग को रोकता है।
  • विदेशी फंडिंग को नियंत्रित करता है: व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और संघों को दिए जाने वाले विदेशी योगदान को नियंत्रित एवं मॉनिटर करता है।
  • पारदर्शिता को बढ़ावा देता है: प्राप्त और उपयोग किए गए विदेशी फंडों का उचित लेखा-जोखा और रिपोर्टिंग सुनिश्चित करता है।
  • राजनीतिक प्रभाव को रोकता है: राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को विदेशी दान स्वीकार करने से रोकता है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग को रोकता है: विदेशी चैनलों के माध्यम से अवैध गतिविधियों और वित्तीय अपराधों के जोखिम को कम करता है।

Source :TH

 

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