पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि
संदर्भ
- भारत का कृषि निर्यात 6.5% बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2023 में 35.2 बिलियन डॉलर से अप्रैल-दिसंबर 2024 में 37.5 बिलियन डॉलर हो गया है।
भारत का कृषि अधिशेष कम होता जा रहा है
- भारत एक शुद्ध कृषि-वस्तु निर्यातक है, जिसके बाहरी शिपमेंट का मूल्य लगातार आयात से अधिक है।
- हालाँकि, व्यापार अधिशेष, जो 2013-14 में 27.7 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर था, 2023-24 में घटकर 16 बिलियन डॉलर रह गया।

- संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का खाद्य मूल्य सूचकांक (2014-16=100) 2013-14 और 2019-20 के बीच 119.1 से गिरकर 96.4 अंक पर आ गया।
- कम वैश्विक कीमतों ने भारत के कृषि निर्यात को कम लागत प्रतिस्पर्धी बना दिया और इसके किसानों को सस्ते आयात के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया।

भारत का कृषि आयात
- भारत के कृषि आयात में दो वस्तुओं का वर्चस्व है: खाद्य तेल और दालें।
- दालें: उच्च घरेलू उत्पादन के कारण आयात 2016-17 में $4.2 बिलियन से घटकर औसतन $1.7 बिलियन (2018-23) रह गया, लेकिन खराब फसल के कारण 2023-24 में यह बढ़कर $5 बिलियन से अधिक हो गया।
- खाद्य तेल: 2024-25 में व्यय 2021-22 ($19 बिलियन) और 2022-23 ($20.8 बिलियन) के पश्चात् सबसे अधिक होने वाला है, जब यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक कीमतों को बढ़ा दिया था।
- कपास: कभी प्रमुख निर्यातक रहा भारत 2024 में शुद्ध आयातक बन गया। निर्यात ($575.7 मिलियन) में 8.1% (अप्रैल-दिसंबर) की गिरावट आई, जबकि आयात ($918.7 मिलियन) में 84.2% की वृद्धि हुई।

भारत में कृषि अधिशेष कम होने के कारण
- व्यापार और निर्यात नीतियाँ: निरंतर प्रतिबंधों (जैसे चावल और चीनी निर्यात पर प्रतिबंध) ने वैश्विक बाजारों में भारत की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है, जिससे कृषि निर्यात में गिरावट आई है।
- आपूर्ति शृंखला व्यवधान: कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक व्यापार को बाधित किया, जिससे भारतीय कृषि उत्पादों की आपूर्ति और माँग दोनों प्रभावित हुई।
- उच्च इनपुट लागत (उर्वरक, ईंधन, रसद) ने भारतीय निर्यातकों के लाभ मार्जिन को कम कर दिया है।
- जलवायु परिवर्तनशीलता: दलहन अक्सर वर्षा आधारित क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, जहाँ वे जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जिससे उपज में उतार-चढ़ाव और कम उत्पादन होता है।
- एल नीनो के कारण मानसून और सर्दियों में बारिश कम हुई, जिसके कारण 2023-24 में घरेलू दलहन उत्पादन में गिरावट आई।
आगे की राह
- निर्यात बाज़ारों में विविधता लाना: समुद्री उत्पादों और अन्य निर्यातों के लिए नए गंतव्यों की खोज करके अमेरिका एवं चीन जैसे प्रमुख बाज़ारों पर निर्भरता कम करना।
- जलवायु लचीलापन बनाना: खराब फ़सल एवं आयात में उतार-चढ़ाव की संवेदनशीलता को कम करने के लिए सिंचाई के बुनियादी ढाँचे और जलवायु-प्रतिरोधी खेती को मज़बूत करना।
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता: उत्पादकता में सुधार और उत्पादन लागत को कम करने के लिए कृषि अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना।
- निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मूल्य-वर्धित प्रसंस्करण को मज़बूत करना।
- व्यापार नीतियाँ: भारतीय कृषि उत्पादों के लिए बेहतर बाज़ार पहुँच सुनिश्चित करने के लिए व्यापार समझौतों का लाभ उठाना।
Source: IE
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