जीनोम अनुक्रमण
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- शोधकर्ताओं ने एक ऐसे व्यक्ति का पहला पूर्ण प्राचीन मिस्रवासी जीनोम अनुक्रमित किया है, जो लगभग 4,500–4,800 वर्ष पूर्व जीवित था — यह अब तक का मिस्र से प्राप्त सबसे प्राचीन डीएनए नमूना है।
परिचय
- डीएनए को सफलतापूर्वक उस व्यक्ति के दांतों से निकाला गया।
- प्राचीन मिस्रवासी का यह जीनोम अब तक का सबसे पूर्ण और सबसे पुराना माना जा रहा है।
जीनोम
- किसी जीव का जीनोम उसकी विशिष्ट डीएनए या आरएनए अनुक्रम से बना होता है।
- मानव जीनोम (Human Genome) होमो सेपियन्स के लिए आनुवंशिक जानकारी का पूर्ण सेट होता है।
- इसमें लगभग 3 अरब बेस पेयर डीएनए होते हैं, जो 23 जोड़ी गुणसूत्रों (chromosomes) में व्यवस्थित होते हैं।
- प्रत्येक गुणसूत्र में विशिष्ट जीन होते हैं, जो डीएनए अनुक्रम होते हैं और जीवन के लिए आवश्यक प्रोटीन और अन्य अणुओं को बनाने के निर्देश प्रदान करते हैं।
जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing)
- प्रत्येक अनुक्रम रासायनिक निर्माण खंडों से बना होता है, जिन्हें न्यूक्लियोटाइड बेस (nucleotide bases) कहा जाता है।
- इन बेस की क्रमबद्धता को निर्धारित करने की प्रक्रिया को “जीनोमिक अनुक्रमण” या संक्षेप में “अनुक्रमण” कहा जाता है।
- जीनोम में एन्कोड की गई जानकारी शोधकर्ताओं को विशिष्ट आनुवंशिक “फिंगरप्रिंट” प्रदान करती है।
- अनुक्रम यह बताता है कि किसी विशेष डीएनए खंड में किस प्रकार की आनुवंशिक जानकारी निहित है।

Source: TH
डेन्गीऑल (DengiAll)
पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य
संदर्भ
- भारत ने स्वदेशी टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन ‘DengiAll’ के पहले चरण III नैदानिक परीक्षण में 50% नामांकन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
DengiAll के बारे में
- यह वैक्सीन पैनेसिया बायोटेक लिमिटेड द्वारा विकसित की गई है, जो अमेरिका की प्रमुख संघीय एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के साथ एक लाइसेंसिंग समझौते के अंतर्गत बनाई गई है।
- DengiAll में डेंगू वायरस के सभी चार उपप्रकारों (serotypes) के कमजोर रूप शामिल हैं और इसकी वायरस संरचना NIH द्वारा विकसित वैक्सीन के समान है, सिवाय निष्क्रिय अवयवों के।
- इस परीक्षण को भारत के औषधि महानियंत्रक (Drug Controller General of India) द्वारा अनुमोदन प्राप्त है।
- भारत में किए गए चरण I और II के नैदानिक परीक्षणों में सभी चार डेंगू वायरस प्रकारों के विरुद्ध संतुलित और मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी गई।
- इस परीक्षण का समन्वय ICMR-राष्ट्रीय ट्रांसलेशनल वायरोलॉजी संस्थान (NITVAR) और एड्स अनुसंधान संस्थान (पूर्व में ICMR-NARI) द्वारा किया जा रहा है।
डेंगू
- डेंगू एक मच्छर जनित विषाणुजनित रोग है, जो डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है। इसके चार प्रकार होते हैं: DENV-1, DENV-2, DENV-3, और DENV-4।
- यह मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के माध्यम से फैलता है।
- प्रसार:
- यह वायरस सीधे व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलता।
- मच्छर तब संक्रमित होता है जब वह पहले से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, और फिर किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस को फैला सकता है।
- वैक्सीन:
- डेंगवैक्सिया(CYD-TDV) – कुछ देशों में स्वीकृत है, और 9–16 वर्ष की आयु के उन व्यक्तियों के लिए अनुशंसित है जिन्हें पहले डेंगू संक्रमण हो चुका हो।
- वैश्विक स्वास्थ्य खतरा:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डेंगू बुखार वैश्विक स्वास्थ्य के शीर्ष 10 खतरों में से एक है।
- भारत में डेंगू
- भारत वैश्विक डेंगू मामलों का एक बड़ा हिस्सा रखता है।
- वर्ष 2024 में भारत में 2.3 लाख डेंगू मामले और 297 मृत्यु दर्ज की गईं।
Source: IE
सी-फ्लड (C-FLOOD)
पाठ्यक्रम :GS3/आपदा प्रबंधन
समाचार में
- जल शक्ति मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री ने नई दिल्ली में C-FLOOD का उद्घाटन किया।
C-FLOOD
- यह एक एकीकृत जलभराव पूर्वानुमान प्रणाली है, जिसे पुणे स्थित उन्नत संगणन विकास केंद्र (C-DAC) और जल शक्ति मंत्रालय के अधीन केंद्रीय जल आयोग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
- यह एक वेब-आधारित प्लेटफ़ॉर्म है जो गांव स्तर पर दो दिन पहले बाढ़ की भविष्यवाणी करता है, जिसमें जलभराव मानचित्र और जल स्तर की भविष्यवाणियाँ शामिल होती हैं।
- यह राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन का भाग है और भारत की बाढ़ प्रबंधन एवं आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है।
विशेषताएँ
- यह राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय एजेंसियों से बाढ़ मॉडलिंग को एकीकृत करता है और आपदा प्रबंधन के लिए एक एकीकृत निर्णय-समर्थन उपकरण के रूप में कार्य करता है।
- वर्तमान में यह प्रणाली महानदी, गोदावरी और तापी नदी घाटियों को कवर करती है, और भविष्य में अन्य घाटियों को भी शामिल करने की योजना है।
- यह बाढ़ का अनुकरण करने के लिए उन्नत 2-डी हाइड्रोडायनामिक मॉडलिंग का उपयोग करती है।
- महानदी बेसिन के लिए सिमुलेशन पुणे स्थित C-DAC में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के अंतर्गत हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग पर चलते हैं, जबकि गोदावरी और तापी बेसिन के लिए बाढ़ डेटा, जो राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के अंतर्गत राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, इस प्रणाली में एकीकृत किया गया है।
Source :TH
वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI)
पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों को वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (Financial Fraud Risk Indicator – FRI) टूल को एकीकृत करने का परामर्श दिया है।
वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI)
- इसे मई 2025 में दूरसंचार विभाग (DoT) की इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा लॉन्च किया गया था।
- यह एक जोखिम-आधारित मीट्रिक है जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के जोखिम के आधार पर मध्यम (Medium), उच्च (High), या अत्यधिक उच्च (Very High) श्रेणी में वर्गीकृत करता है।
- यह वर्गीकरण विभिन्न हितधारकों से प्राप्त इनपुट पर आधारित होता है, जिनमें सम्मिलित हैं:
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर रिपोर्टिंग
- DoT का चक्षु प्लेटफ़ॉर्म
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई खुफिया जानकारी
- यह टूल बैंकों, एनबीएफसी और यूपीआई प्रदाताओं को उच्च जोखिम वाले नंबरों के विरुद्ध प्राथमिकता से कार्रवाई करने में सहायता करता है, जैसे कि संदिग्ध लेनदेन को अस्वीकार करना और अलर्ट जारी करना।
- PhonePe और ICICI बैंक जैसे प्रमुख संस्थान पहले से ही FRI का उपयोग कर रहे हैं, जिससे भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में धोखाधड़ी की रोकथाम को मजबूती मिल रही है।
महत्व
- यह तकनीक-आधारित पहल सरकार के डिजिटल इंडिया विज़न का समर्थन करती है, क्योंकि यह डिजिटल विश्वास को मजबूत करती है, वास्तविक समय में धोखाधड़ी का पता लगाने में सक्षम बनाती है, और दूरसंचार तथा वित्तीय क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है।
- यह कदम साइबर वित्तीय धोखाधड़ी के विरुद्ध लड़ाई को अंतर-एजेंसी सहयोग के माध्यम से सशक्त बनाता है और बैंकों तथा DoT के बीच API-आधारित रीयल-टाइम डेटा एक्सचेंज की महत्ता को उजागर करता है, जिससे धोखाधड़ी जोखिम का पता लगाने की क्षमता बेहतर होती है।
Source :PIB
स्प्री 2025 (SPREE 2025)
पाठ्यक्रम :GS3/अर्थव्यवस्था
समाचार में
- कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) ने शिमला में आयोजित अपनी 196वीं बैठक के दौरान SPREE 2025 योजना (नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पंजीकरण को बढ़ावा देने की योजना) को मंजूरी दी।
नियोक्ताओं और कर्मचारियों के पंजीकरण को बढ़ावा देने की योजना (SPREE) 2025
- यह योजना ESIC द्वारा अनुमोदित की गई है और इसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करना है।
- इसके अंतर्गत बिना पंजीकृत नियोक्ता और कर्मचारी—जिनमें संविदा और अस्थायी श्रमिक भी शामिल हैं—1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक डिजिटल रूप से पंजीकरण कर सकते हैं, बिना किसी निरीक्षण या पूर्व बकाया की मांग के।
- पंजीकरण घोषित तिथि से प्रभावी होगा, और कोई भी अंशदान या लाभ पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा।
- यह योजना स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करती है, क्योंकि इसमें दंड हटाए गए हैं और प्रक्रिया को सरल बनाया गया है।
महत्व
- यह योजना अधिक प्रतिष्ठानों और श्रमिकों को ईएसआई अधिनियम के दायरे में लाने का प्रयास करती है, जिससे उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य और सामाजिक लाभों तक बेहतर पहुंच मिल सके।
- यह भारत में एक अधिक समावेशी और सुलभ सामाजिक सुरक्षा प्रणाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ESIC के सार्वभौमिक संरक्षण और कल्याण-केंद्रित श्रम पारिस्थितिकी तंत्र के लक्ष्य का समर्थन करता है।
Source :PIB
NIPCCD का नाम परिवर्तित कर सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय महिला एवं बाल विकास संस्थान
पाठ्यक्रम :GS2/शासन
समाचार में
- राष्ट्रीय सार्वजनिक सहयोग और बाल विकास संस्थान (NIPCCD) का नाम परिवर्तित कर सावित्रीबाई फुले राष्ट्रीय महिला और बाल विकास संस्थान कर दिया गया है।
राष्ट्रीय सार्वजनिक सहयोग और बाल विकास संस्थान (NIPCCD)
- इसकी स्थापना 1966 में योजना आयोग के अंतर्गत की गई थी और 1975 में इसका नाम परिवर्तित किया गया जब यह एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए शीर्ष निकाय बन गया।
- वर्तमान में यह महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है और यह भारत भर में पाँच क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से क्षेत्रीय आवश्यकताओं को पूरा करता है।
कार्य
- यह महिला और बाल विकास के क्षेत्र में प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रलेखन और क्षमता निर्माण के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है।
- यह विभिन्न प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन तंत्र को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो अपने ऑनलाइन और भौतिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से संचालित होते हैं।
Source :PIB
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