पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- राजस्थान सरकार ने प्रस्तावित “राजस्थान अवैध धर्मांतरण निषेध विधेयक, 2025” के अंतर्गत कठोर प्रावधानों की घोषणा की है।
नए विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- सामान्य अपराध: अवैध धर्मांतरण पर 7 से 14 वर्ष की सजा और न्यूनतम ₹5 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। (पूर्व प्रावधान: 1 से 5 वर्ष की सजा और ₹15,000 जुर्माना)
- संवेदनशील वर्ग: यदि धर्मांतरित व्यक्ति नाबालिग, महिला, दिव्यांग या अनुसूचित जाति/जनजाति से है, तो सजा 10 से 20 वर्ष और ₹10 लाख जुर्माना होगा।
- सामूहिक धर्मांतरण: सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में दोषियों को 20 वर्ष से आजीवन कारावास और न्यूनतम ₹25 लाख जुर्माना भुगतना होगा।
- स्वैच्छिक धर्मांतरण की प्रक्रिया:
- व्यक्ति को धर्मांतरण से 60 दिन पूर्व ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) को घोषणा पत्र देना होगा।
- धर्मांतरण कराने वाले (पुजारी/आयोजक) को 30 दिन पूर्व सूचना देनी होगी।
- DM धर्मांतरण की इच्छा की पुष्टि हेतु पुलिस जांच का आदेश देगा।
- धर्मांतरण के बाद व्यक्ति को 21 दिन के अंदर DM के समक्ष उपस्थित होकर अपनी पहचान और घोषणा की पुष्टि करनी होगी।
- “प्रलोभन” की विस्तृत परिभाषा: विधेयक में प्रलोभन को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है — बेहतर जीवनशैली, दैवीय आशीर्वाद, भौतिक लाभ, या धार्मिक संस्था द्वारा निःशुल्क शिक्षा का वादा भी इसमें शामिल है।
- परिवार द्वारा एफआईआर: यदि किसी रक्त संबंधी को अवैध धर्मांतरण का संदेह हो, तो वे एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।
- पुनरावृत्ति अपराध: पुनः दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास और ₹50 लाख जुर्माना लगाया जा सकता है।
- राज्य सरकार संगठन का पंजीकरण रद्द कर सकती है, अनुदान रोक सकती है, और अवैध धर्मांतरण में प्रयुक्त संपत्ति को जब्त या ध्वस्त कर सकती है।
चिंताएँ
- साक्ष्य का भार: आरोपी को अपनी निर्दोषता सिद्ध करनी होगी, जिससे सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती बन जाते हैं।
- प्रावधानों का दुरुपयोग: आलोचकों का कहना है कि विधेयक के कठोर प्रावधान और साक्ष्य भार के उलटने से अल्पसंख्यकों और अंतरधार्मिक जोड़ों को परेशान करने के लिए इसका दुरुपयोग हो सकता है।
Source: IE
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