पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने की क्षमता को पहचानते हुए भारत और अफ्रीका डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पर सहयोग को सुदृढ़ कर रहे हैं।
अफ्रीका की विकसित होती डिजिटल भागीदारी
- अफ्रीका दिवस (25 मई) अफ्रीकी एकता संगठन (Organisation of African Unity) के 1963 में गठन को चिह्नित करता है और एकता, स्वतंत्रता एवं सतत् विकास की दिशा में प्रयासों का प्रतीक है।
- अफ्रीका 2020-2030 की डिजिटल परिवर्तन रणनीति के तहत सामाजिक-आर्थिक प्रगति के लिए डिजिटल नवाचार को प्राथमिकता देता है।
- वर्तमान में, 85% अफ्रीकी देशों के पास डिजिटल सुविधाओं वाले राष्ट्रीय पहचान प्रणाली हैं।
- 70% से अधिक देश प्रमाणीकरण के लिए बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करते हैं।
भारत की भूमिका: अवसंरचना से नवाचार तक
- भारत का अफ्रीका के साथ सहयोग हमेशा राज्य-प्रेरित वित्तपोषण और क्षमता निर्माण को जोड़ता आया है, जिसमें अवसंरचना, प्रशिक्षण और रियायती ऋण योजनाएँ शामिल हैं।
- समय के साथ, भारत की रणनीति अधिक सामाजिक उद्यमों और प्रौद्योगिकी-चालित समाधानों को शामिल करने की दिशा में विकसित हुई है, जो अनुकूलन योग्य और सामुदायिक केंद्रित हैं।
- भारत की अद्वितीय विशेषता DPI को डिजिटल सार्वजनिक संपत्ति के रूप में बढ़ावा देना है, जो गैर-निगरानी, ओपन-सोर्स विकल्प प्रदान करता है, न कि केवल मालिकाना या राज्य-नियंत्रित मॉडल।
- भारत का दृष्टिकोण सिर्फ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से आगे बढ़कर राज्य सहयोग पर केंद्रित है।
हाल के भारत-अफ्रीका डिजिटल सहयोग
- प्रौद्योगिकी-केंद्रित मॉडल:
- भारत पारंपरिक सहायता से आगे बढ़कर डिजिटल सह-निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है।
- पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क (2009) लॉन्च किया गया, जिसने सैटेलाइट और फाइबर-ऑप्टिक अवसंरचना के माध्यम से टेलीमेडिसिन और टेली-शिक्षा सेवाएँ प्रदान कीं।
- शासन-केंद्रित मॉडल:
- भारत आधार, UPI, CoWIN, दीक्षा (शिक्षा हेतु) जैसे DPI पारिस्थितिकी तंत्र पर अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग कर रहा है।
- अफ्रीकी राष्ट्रों के स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप शासन समाधान सह-विकसित करने में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।
- विकास-केंद्रित मॉडल:
- अफ्रीका के DPI में खुले, स्केलेबल और सस्ते समाधान अपनाने की बढ़ती रुचि को दर्शाते हुए भारत ने कई साझेदारियाँ की हैं:
- टोगो (2021): भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान बैंगलोर के साथ मिलकर ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म आधारित राष्ट्रीय डिजिटल आईडी प्रणाली लागू की।
- जाम्बिया (2023): सेंटर फॉर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ स्मार्ट जाम्बिया पहल को आगे बढ़ाया।
- नामीबिया (2024): NPCI के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया ताकि UPI जैसी तत्काल भुगतान प्रणाली विकसित की जा सके।
- घाना: अपने घरेलू भुगतान प्रणाली को UPI से जोड़कर निर्बाध लेन-देन को सक्षम किया।
- ज़ांज़ीबार: IIT मद्रास का पहला विदेशी कैंपस डिजिटल विकास को गहराई से शिक्षा से जोड़ता है, जिसमें AI और डेटा साइंस शामिल हैं।
- अफ्रीका के DPI में खुले, स्केलेबल और सस्ते समाधान अपनाने की बढ़ती रुचि को दर्शाते हुए भारत ने कई साझेदारियाँ की हैं:
वैश्विक डिजिटल समावेशन में भारत की भूमिका
- भारत, ब्राजील, और दक्षिण अफ्रीका—G20 ट्रोइका के सदस्य—ने संयुक्त रूप से DPI के महत्त्व पर बल दिया।
- संयुक्त राष्ट्र SDGs (सतत् विकास लक्ष्यों) को गति देने और वैश्विक असमानता को कम करने के लिए इन देशों ने खुले, मॉड्यूलर, इंटरऑपरेबल, और स्केलेबल डिजिटल सिस्टम की आवश्यकता को प्रकट किया।
रूपांतरण की चुनौतियाँ
- अवसंरचना की कमी:
- कई अफ्रीकी देशों में व्यापक ब्रॉडबैंड पहुँच नहीं है।
- केवल 22% जनसंख्या मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करती है, जबकि कवरेज व्यापक है।
- ऊर्जा अवसंरचना एक प्रमुख बाधा बनी हुई है; डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने के लिए स्थायी और विश्वसनीय ऊर्जा प्रणाली में निवेश की आवश्यकता है।
- सामर्थ्य संबंधी समस्याएँ:
- मोबाइल डेटा की लागत अधिक है, जिससे कम आय वर्ग के लिए डिजिटल पहुँच मुश्किल हो जाती है।
- डिजिटल विभाजन सबसे बड़ा वैश्विक मुद्दा बना हुआ है, जिसे उच्च डेटा/डिवाइस लागत और ग्रामीण-शहरी अंतर प्रभावित कर रहा है।
- लैंगिक अंतर डिजिटल उपकरणों और साक्षरता तक समान पहुँच में बाधा डालता है।
- डिजिटल साक्षरता की कमी:
- तकनीकी कौशल की अनुपस्थिति के कारण कई लोग डिजिटल उपकरणों का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाते।
- विनियामक एवं नीतिगत अवरोध:
- अफ्रीकी देशों की असंगत नीतियाँ डिजिटल एकीकरण में बाधा डालती हैं।
आगे की राह: भारत-अफ्रीका परस्पर विकास रणनीतियाँ
- क्षमता निर्माण और कौशल विकास को प्राथमिकता देना:
- भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम और पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और डिजिटल अवसंरचना में स्थानीय क्षमताओं को मजबूत किया।
- नैतिक और समावेशी डिजिटल विकास सुनिश्चित करना:
- भारत सह-विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि कठोर रूपरेखाएँ थोपने पर।
- अफ्रीकी सरकारों के साथ नीति संरेखण, डेटा सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा में सहयोग करके भारत पारदर्शी और सुरक्षित डिजिटल परिवर्तन सुनिश्चित कर सकता है।
- अवसंरचना और कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना:
- भारत ने अफ्रीका में $12 बिलियन से अधिक का निवेश किया है।
- 200+ अवसंरचना परियोजनाएँ पूरी की हैं, जिनमें रेलवे, विद्युत उत्पादन और ग्रामीण विद्युतीकरण शामिल हैं।
- सतत् और समावेशी डिजिटल व्यापार को प्रोत्साहित करना:
- भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार $100 बिलियन तक पहुँच चुका है।
- भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली में अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को जोड़कर भारत वित्तीय समावेशन और सीमापार व्यापार की सुविधा प्रदान कर सकता है।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत यह कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि अफ्रीकी देशों के साथ उसका डिजिटल जुड़ाव पारस्परिक रूप से लाभकारी, नैतिक और सतत् बना रहे? |
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