भारत का MSME क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का आधार है, जो GDP में 29%, निर्यात में 40%, और 60% से अधिक कार्यबल को रोजगार प्रदान करता है। हालाँकि, यह क्षेत्र सूक्ष्म उद्यमों की ओर अत्यधिक झुका हुआ है:
सूक्ष्म इकाइयाँ MSME के 97% पंजीकृत हिस्से का गठन करती हैं।
सूक्ष्म उद्यमों की ओर अधिक झुकाव क्यों?
अनौपचारिक और निर्वाह-स्तर के सूक्ष्म उद्यमों पर अत्यधिक निर्भरता।
मध्यम उद्यमों का कम उपयोग, जो विस्तार, नवाचार अपनाने, और वैश्विक आपूर्ति शृंखला से जुड़ने में अधिक सक्षम होते हैं।
भारत के माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र ने वित्तीय वर्ष 2025 में ऋण डिफॉल्ट में 163% की वृद्धि दर्ज की है, जो ₹43,075 करोड़ तक पहुँच गया है।
माइक्रोफाइनेंस क्या है?
माइक्रोफाइनेंस उन निम्न-आय वर्ग के व्यक्तियों या समूहों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाएँ हैं, जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से सामान्यतः बाहर रखा जाता है।
इसमें माइक्रो-लोन, बचत योजनाएँ, बीमा और प्रेषण सेवाएँ शामिल हैं, जिन्हें मुख्यतः NBFC-MFIs, स्मॉल फाइनेंस बैंक (SFBs) और बैंक प्रदान करते हैं।
पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एस. ओका ने न्यायिक प्रणाली को अधिक लोकतांत्रिक और संस्थागत बनाने पर बल दिया, ताकि यह मुख्य रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर केंद्रित न रहे।
सुधार की आवश्यकता
मास्टर ऑफ द रोस्टर सिद्धांत:शांति भूषण बनाम भारत का सर्वोच्च न्यायालय (2018) में पुनः पुष्टि की गई कि CJI अकेले ही निर्णय लेते हैं— कौन सा पीठ किस मामले की सुनवाई करेगा,
संविधान पीठ पर नियंत्रण: संविधान पीठ में कम से कम पाँच न्यायाधीश होने चाहिए, लेकिन प्रायः CJI ही—
तय करते हैं कि ऐसे पीठ कब गठित होंगे, और
उनकी अध्यक्षता भी प्रायः CJI द्वारा ही की जाती है।
भारत का कृषि क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, जो जैव ईंधन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-तकनीक, और जैविक खेती को जोड़ते हुए किसान-केंद्रित नीति, नवाचार, और तकनीक पर आधारित संपूर्ण प्रणालीगत दृष्टिकोण की माँग कर रहा है।