पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
समाचार में
- दिल्ली अपने प्रथम क्लाउड सीडिंग ट्रायल (कृत्रिम वर्षा प्रयोग) को शुरू करने जा रही है ताकि लगातार बनी रहने वाली वायु प्रदूषण की समस्या से निपटा जा सके।
- इस पहल का समन्वय IIT कानपुर और IMD पुणे द्वारा किया जा रहा है।
कृत्रिम वर्षा क्या है?
- कृत्रिम वर्षा वह प्रक्रिया है जिसमें वर्षा को प्रेरित करने के लिए बादलों में कुछ विशेष रसायनों का छिड़काव किया जाता है, जिससे जल की बूंदों का निर्माण तीव्र होता है।

- क्लाउड सीडिंग में प्रयुक्त रसायन:
- सिल्वर आयोडाइड (AgI)
- पोटेशियम आयोडाइड
- सोडियम क्लोराइड
- ड्राई आइस (CO₂)
- ये रसायन संघनन नाभिक (condensation nuclei) के रूप में कार्य करते हैं, जो जल वाष्प को आकर्षित कर वर्षा की बूंदें बनाते हैं।
- आवश्यक स्थितियाँ:
- वर्षा की संभावना वाले बादल
- पर्याप्त आर्द्रता और वायुमंडलीय अस्थिरता
- अनुकूल तापमान और वायु की दिशा
क्लाउड सीडिंग के लाभ
- वायु प्रदूषण में कमी: दिल्ली जैसे शहरों में कृत्रिम वर्षा से वायुमंडल में उपस्थित कण और प्रदूषक धुल सकते हैं, जिससे अस्थायी राहत मिल सकती है।
- सूखा प्रबंधन और जल संसाधन वृद्धि: महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने जल संकट से निपटने हेतु क्लाउड सीडिंग परियोजनाएं अपनाई हैं (जैसे “प्रोजेक्ट मेघदूत” और “वर्षाधारी”)।
- जंगल की आग पर नियंत्रण: वायु में नमी बढ़ाकर क्लाउड सीडिंग जंगलों में आग लगने की संभावना और तीव्रता को कम कर सकती है।
- विज्ञान आधारित हस्तक्षेप: चीन, थाईलैंड, यूएई और अमेरिका (टेक्सास, नेवादा) जैसे कई देश मौसम नियंत्रण, सूखे से निपटने, और बड़े आयोजनों के लिए आसमान साफ करने हेतु क्लाउड सीडिंग का प्रयोग कर चुके हैं (जैसे 2008 बीजिंग ओलंपिक में)।
चिंताएँ और आलोचना
- पर्यावरणीय हानि: क्लाउड सीडिंग से हुई वर्षा का अपवाह झीलों, नदियों और भूमिगत जल को प्रदूषित कर सकता है।
- संरचनात्मक समस्या का अस्थायी समाधान: पराली जलाना, वाहनों से उत्सर्जन और शहरी नियोजन जैसी मूल समस्याएं अभी भी बनी रहती हैं।
- नैतिक और कानूनी मुद्दे: मौसम में कृत्रिम बदलाव लाने की क्षमता से प्राकृतिक प्रक्रियाओं में मानव हस्तक्षेप से जुड़े जटिल नैतिक प्रश्न उत्पन्न होते हैं।
- स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा: दीर्घकालिक रूप से मृदा में रसायनों के जमाव से पौधों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है, उपजाऊपन घट सकता है, और यह खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है।
आगे की राह
- कृत्रिम वर्षा को अंतिम उपाय के रूप में अपनाएं: इसका प्रयोग तभी किया जाए जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुँच जाए।
- ठोस वैज्ञानिक आधार: रियल-टाइम उपग्रह डेटा, डॉप्लर राडार और मौसम मॉडलिंग की आवश्यकता है।
- स्थायी वायु गुणवत्ता समाधानों में निवेश करें:
- इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
- हरित बुनियादी ढांचा (शहरी वन, वर्टिकल गार्डन)
- पराली प्रबंधन (जैसे PUSA बायोडीकंपोजर)
Source: TOI
Previous article
भारत का विदेशी ऋण बढ़कर 736 अरब डॉलर पर पहुंचा
Next article
संक्षिप्त समाचार 30-06-2025