पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-2/अंतरराष्ट्रीय संबंध
सन्दर्भ
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर वाशिंगटन डीसी पहुंचे।
परिचय
- भारत और अमेरिका ने दो प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए – एक गैर-बाध्यकारी आपूर्ति सुरक्षा व्यवस्था (SOSA) और दूसरा संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में समझौता ज्ञापन।
आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा(SOSA)
- SOSA अमेरिका और भारत को राष्ट्रीय रक्षा को प्रोत्साहन देने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए पारस्परिक प्राथमिकता समर्थन प्रदान करने का अधिकार देगा।
- यह व्यवस्था दोनों देशों को राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अप्रत्याशित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों को हल करने के लिए एक दूसरे से आवश्यक औद्योगिक संसाधन प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, इजरायल, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, नीदरलैंड, नॉर्वे, कोरिया गणराज्य, सिंगापुर, स्पेन, स्वीडन और यूके के बाद भारत अमेरिका का 18वां SOSA भागीदार है। दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग को गहरा करने के लिए संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए।
- इस समझौते का उद्देश्य आपसी हित के मामलों पर सहयोग, समझ, अंतरसंचालनीयता और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ाना है।
भारत और अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों का अवलोकन
- भारत की स्वतंत्रता के पश्चात्, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों में शीत युद्ध युग के भारत के परमाणु कार्यक्रम पर अविश्वास और तनाव की स्थिति बनी हुई है।
- हाल के वर्षों में संबंधों में प्रगाढ़ता आई है तथा विभिन्न आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सहयोग मजबूत हुआ है।
- द्विपक्षीय व्यापार: 2017-18 और 2022-23 के बीच दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2021-22 के दौरान भारत में सकल FDI प्रवाह में अमेरिका का योगदान 18 प्रतिशत रहा, जो सिंगापुर के बाद दूसरे स्थान पर है।
- रक्षा और सुरक्षा: भारत और अमेरिका ने गहन सैन्य सहयोग के लिए तीन “आधारभूत समझौतों” पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनकी शुरुआत 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) से हुई, इसके बाद 2018 में पहली 2+2 वार्ता के बाद संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) और फिर 2020 में बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) पर हस्ताक्षर किए गए।
- 2016 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को एक प्रमुख रक्षा साझेदार का दर्जा दिया, जो दर्जा किसी अन्य देश को प्राप्त नहीं है।
- अंतरिक्ष: भारत द्वारा हस्ताक्षरित आर्टेमिस समझौते ने समस्त मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण स्थापित किया।
- संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत द्विपक्षीय नागरिक अंतरिक्ष संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से सहयोग करते हैं।
- बहुपक्षीय सहयोग: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका बहुपक्षीय संगठनों और मंचों में निकटता से सहयोग करते हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) से संबंधित मंच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सम्मिलित हैं।
- ऑस्ट्रेलिया एवं जापान के साथ मिलकर, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा भारत एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए एक कूटनीतिक नेटवर्क, क्वाड के रूप में एकत्रित हुए हैं।
- परमाणु सहयोग: असैन्य परमाणु समझौते पर 2005 में हस्ताक्षर किए गए थे, इस समझौते के तहत भारत अपनी असैन्य तथा सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने तथा अपने सभी असैन्य संसाधनों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के अंतर्गत रखने पर सहमत है।
- बदले में, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में कार्य करने पर सहमत है।
चुनौतियाँ
- भारत की स्वयं सामरिक स्वायत्तता को प्राथमिकता: जबकि अमेरिका के साथ उसका सम्बन्ध दृढ, गहरा और व्यापक होता जा रहा है, भारत अपनी सामरिक स्वायत्तता को बनाए रखने की आवश्यकता से भी परिचित है।
- विरोधाभासी स्थितियाँ: 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की भारत की दबी हुई आलोचना ने पश्चिम में कुछ निराशा उत्पन्न की, जिससे सुरक्षा साझेदार के रूप में भारत की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठे।
- रूस के साथ रक्षा संबंध: संयुक्त राज्य अमेरिका ने S-400 वायु रक्षा प्रणाली जैसे हथियारों की नई धाराओं के बारे में विशेष चिंता व्यक्त की है, क्योंकि वे रूसी शक्ति को प्रोत्साहन देते हैं, अमेरिकी और भारतीय सेनाओं के बीच अंतर-संचालन तथा सुरक्षित संचार की संभावनाओं को कम करते हैं, और वर्तमान संवेदनशील हथियार प्रौद्योगिकियों को साझा करने से रोकते हैं।
निष्कर्ष
- भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका को मध्य विकसित होते सम्बन्ध 21वीं सदी की वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
- इस साझेदारी की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए, दोनों सरकारों को द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय बाधाओं को कम करने और एक व्यापक एवं रणनीतिक वैश्विक गठबंधन के लिए एक मार्ग तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- दोनों सेनाओं के मध्य सहयोग के तंत्र को मजबूत करना तेजी से आक्रामक होते चीन के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
Source: IE