राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन: जनजातीय समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवा

पाठ्यक्रम :GS 1/समाज

समाचार में

  • राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन 2025 भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

जनजातीय समुदायों का परिचय

  • जनजातीय समुदायों में समृद्ध परंपराएँ, संस्कृतियाँ एवं विरासत होती हैं, साथ ही उनकी जीवन शैली और रीति-रिवाज़ भी अद्वितीय होते हैं। 
  • जनजातियाँ प्रायः भौगोलिक रूप से अलग-थलग रहती हैं और गैर-जनजातीय समुदायों की तुलना में अधिक समरूप तथा आत्मनिर्भर होती हैं।

भारत में स्थिति

  • भारत में जनजातियों को सबसे पुराने नृवंशविज्ञान समूहों में से एक माना जाता है, जिन्हें प्रायः “आदिवासी” (मूल निवासी) कहा जाता है।
    • “आदिवासी” शब्द को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने उन्हें “स्वदेशी” के रूप में वर्गीकृत किया है।
  • भारत में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनजातीय जनसंख्या है, जिसमें लगभग 100 मिलियन जनजातीय लोग (आदिवासी) हैं।
    • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में जनजातीय जनसंख्या कुल जनसंख्या का लगभग 8.9% है।
  • बस्ती: पूर्वोत्तर राज्यों में विशिष्ट जातीयता वाली जनजातियाँ निवास करती हैं, और वे सामान्यतः मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग हैं।
    • भारत की 80% से अधिक जनजातियाँ मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में रहती हैं: इन जनजातियों का पूर्वोत्तर जनजातियों की तुलना में गैर-आदिवासी समुदायों के साथ अधिक संपर्क है।
क्या आप जानते हैं ?
– रामायण और महाभारत काल से ही आदिवासी लोग भारतीय समाज का अभिन्न अंग रहे हैं। 
– खासी-गारो, मिज़ो और कोल आंदोलन जैसे आदिवासी आंदोलन भारत के इतिहास एवं स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण अध्याय हैं। 
1. महाराणा प्रताप के साथ लड़ने वाले गोंड महारानी वीर दुर्गावती, रानी कमलापति और भीलों जैसे आदिवासी नायकों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
– केंद्र सरकार ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में आदिवासी समुदायों के योगदान को मान्यता देते हुए भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में 15 नवंबर, 2021 को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया।

जनजातीय विकास के लिए सरकारी पहल:

  • भारत सरकार ने आदिवासी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए अनेक पहल प्रारंभ की हैं।
  • ट्राइफेड(TRIFED ): ट्राइफेड (भारतीय आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड) की स्थापना 1987 में आदिवासी समुदायों को समर्थन देने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी।
  • प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY) का उद्देश्य महत्त्वपूर्ण आदिवासी जनसंख्या वाले गांवों में बुनियादी ढाँचा प्रदान करना है।
  • प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN), विशेष रूप से सुभेद्य आदिवासी समूहों (PVTGs) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए 2023 में प्रारंभ किया गया।
  • राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य सम्मेलन: इसका आयोजन जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA) द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH&FW) के सहयोग से किया जाता है।
    • यह धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य भारत के आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करना है।
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन की शुरुआत की गई। 
    • आदिवासी स्वास्थ्य पर शोध के लिए एम्स दिल्ली में आदिवासी स्वास्थ्य और हेमटोलॉजी की भगवान बिरसा मुंडा पीठ की स्थापना की गई। 
  • आदिवासियों के लिए संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान में आदिवासी समुदायों, उनकी संस्कृति और विकास की सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं।
    • आदिवासी कल्याण और विकास को बढ़ावा देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत राज्यों को धन आवंटित किया जाता है।

चुनौतियाँ:

  • भारतीय जनजातीय समुदायों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, आर्थिक एवं सामाजिक असमानताओं को दूर करना और उनके अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करना शामिल है।
  • कई जनजातियों को गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच और बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।
  • भेदभाव, निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व की कमी और पारंपरिक ज्ञान का ह्रास उनकी कमज़ोरियों को बढ़ाता है।

निष्कर्ष और की राह 

  • जनजातीय क्षेत्र काफी हद तक अविकसित हैं और भारत की जनसंख्या का एक बड़ा भाग यहीं रहता है। 
  • उनके कल्याण को बढ़ावा देने के लिए, उनकी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान करना और समझना, उनके पारंपरिक ज्ञान एवं प्रथाओं को पहचानना तथा उनकी भूमि एवं संसाधनों से संबंधित निर्णयों में उन्हें शामिल करना आवश्यक है। 
  • इन चुनौतियों का समाधान करने और उनकी अद्वितीय सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने के लिए सरकारी नीतियाँ एवं पहल महत्त्वपूर्ण हैं। और जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए एक व्यापक योजना की आवश्यकता है, जिससे उनकी अद्वितीय चुनौतियों का समाधान हो सके।

Source :PIB

 

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