पाठ्यक्रम: GS1/भूगोल; महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ
संदर्भ
- हाल ही में, दिल्ली-NCR में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसकी तीव्रता मध्यम होने के बावजूद भी तीव्र झटके महसूस किए गए।
- नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने भूकंप के लिए प्लेट टेक्टोनिक्स के बजाय इन-सीटू मैटीरियल हेटेरोजेनिटी (अंतर्स्थाने सामग्री विषमता का अर्थ है कि क्षेत्र में भूवैज्ञानिक विशेषताओं में भिन्नता)-प्राकृतिक भूवैज्ञानिक विविधताओं को जिम्मेदार ठहराया।
‘इन-सीटू मैटेरियल हेटेरोजेनिटी’ क्या है?
- विवर्तनिक प्लेट संचलन के कारण होने वाले भूकंपों के विपरीत, यह घटना पृथ्वी की भूपर्पटी के भौतिक गुणों में भिन्नता के कारण हुई। चट्टान के प्रकार, द्रव की उपस्थिति और तनाव की सांद्रता में अंतर स्थानीय भूकंपीय गतिविधि उत्पन्न कर सकता है।
दिल्ली में भूकंप से संबंधित जोखिम
- भूकंपीय क्षेत्र IV (भारत में दूसरा सबसे ऊँचा) में स्थित है।
- भारतीय और यूरेशियन प्लेट अभिसरण क्षेत्र के निकट, जहाँ भ्रंश रेखाओं के साथ तनाव निर्मित होता है।
- प्रमुख भ्रंश प्रणाली :
- दिल्ली-हरिद्वार कटक (भारतीय प्लेट का विस्तार)।
- अरावली भ्रंश प्रणाली (गहरी भूगर्भीय संरचना)।
तीव्र भूकंप के कारण
- उथली गहराई (5 किमी): भूकंपीय तरंगों की यात्रा करने की दूरी कम थी, जिससे प्रभाव तीव्र हो गया।
- दिल्ली के अन्दर भूकंप का केंद्र: शहर के घने शहरी परिदृश्य और ऊँची इमारतों ने प्रभावों को बढ़ा दिया।
- मुलायम जलोढ़ मिट्टी: सिंधु-गंगा के मैदान की भूविज्ञान तरंगों के प्रसार को बढ़ाती है, जिससे झटके अधिक प्रबल महसूस होते हैं।
भूकंप के बारे में
- यह पृथ्वी की सतह के नीचे होने वाली हलचल के कारण उत्पन्न धरातल का कंपन्न है, जब दो ब्लॉक एक भ्रंश के साथ एक दूसरे के निकट से खिसकते हैं।
- यह भूकंपीय तरंगों के रूप में संगृहित प्रत्यास्थ विकृति ऊर्जा या तनाव ऊर्जा को मुक्त करता है, जो धरातल में कंपन उत्पन्न करने का कारण बनता है।
- उपरिकेंद्र (Epicentre): पृथ्वी की सतह पर सीधे उसके ऊपर का स्थान;
- हाइपोसेंटर (Hypocenter): पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहाँ भूकंप उत्पन्न होता है;
- भूकंप का मापन:
- परिमाण: रिक्टर स्केल;
- तीव्रता: मर्केली स्केल;
भारत में भूकंप
- भारत विश्व के भूकंपीय रूप से सबसे सक्रिय क्षेत्रों में से एक है, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति भारतीय प्लेट के साथ है, जो यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है।
- भूकंप ने ऐतिहासिक रूप से देश के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र और अन्य भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण तबाही मचाई है।
- भूकंपों की बढ़ती संख्या को भ्रंश रेखाओं, विशेष रूप से उत्तरी भारत में, और अल्मोड़ा भ्रंश की सक्रियता के कारण टेविवर्तनिक तनाव में बदलाव से जोड़ा जा सकता है।
भारत के भूकंप क्षेत्र और जोखिम वाले क्षेत्र
- भारत भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, भारत का 58.6% भूभाग मध्यम से बहुत उच्च तीव्रता वाले भूकंपों के लिए प्रवण है।
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा दिया गया भारत देश का राज्यवार ‘भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र’।
- लगभग 11% क्षेत्र जोन V में, लगभग 18% जोन IV में, लगभग 30% जोन III में और शेष जोन II में सम्मिलित है।
भारत में भूकंपीय क्षेत्र
- जोन V (सबसे अधिक जोखिम): पूर्वोत्तर भारत, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और गुजरात के कुछ हिस्से। ये भारत में सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं, जो MSK-9 स्तर की तीव्रता या उससे अधिक के अनुरूप हैं।
- जोन IV: दिल्ली, महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, जम्मू और कश्मीर।
- इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं, जहाँ भूकंप के दौरान MSK-8-स्तर की तीव्रता का अनुभव होने की संभावना है।
- जोन III: मध्यम भूकंपीय गतिविधि वाले दक्षिणी और मध्य भारतीय राज्य।
- जोन II: सबसे कम जोखिम, जिसमें दक्षिणी भारत के कुछ हिस्से शामिल हैं।

महत्त्वपूर्ण पहल
- भूकंपीय निगरानी: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सक्रिय रूप से भूकंपीय गतिविधि की निगरानी करता है और वास्तविक समय पर अपडेट प्रदान करता है।
- NDMA दिशा-निर्देश: NDMA ने भूकंप की तैयारियों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम और संरचनात्मक सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
- स्मार्ट शहर और लोचशील बुनियादी ढाँचा: सरकारी नीतियाँ अब भूकंप-रोधी इमारतों पर बल देती हैं, विशेषकर उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में।
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