पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- केंद्र सरकार ने अर्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक घटक निर्माण इकाइयों की स्थापना को आसान बनाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नियम, 2006 में प्रमुख संशोधन अधिसूचित किए।
SEZ विनियमों में प्रमुख सुधार
- न्यूनतम भूमि आवश्यकताओं में कमी: अनुच्छेद 5 को संशोधित कर अर्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक्स घटक निर्माण SEZ के लिए न्यूनतम भूमि आवश्यकता को 50 हेक्टेयर से 10 हेक्टेयर कर दिया गया है।
- प्रभाव: इस परिवर्तन से इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में संचालन स्थापित करने के लिए कंपनियों के प्रवेश बाधाएं कम होंगी, जिससे छोटे खिलाड़ी भी बाजार में प्रवेश कर सकेंगे।
- भूमि भारमुक्ति आवश्यकताओं में छूट: अनुच्छेद 7 के अंतर्गत अब अनुमोदन बोर्ड (Board of Approval) को SEZ भूमि को भारमुक्त (encumbrance-free) रखने की शर्त में छूट देने की अनुमति दी गई है।
- प्रभाव: यह लचीलापन कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण की चुनौतियों को दूर करने में सहायक होगा।
- नेट विदेशी मुद्रा (NFE) गणना में मुफ्त वस्तुओं को शामिल करना: संशोधित अनुच्छेद 53 के तहत अब SEZ इकाइयों के लिए नि:शुल्क वस्तुओं को नेट विदेशी मुद्रा (NFE) गणना में शामिल करने की अनुमति दी गई है।
- NFE: यह वह शुद्ध विदेशी मुद्रा राशि है, जिसे कोई कंपनी अपने निर्यात (जैसे विदेशी बाजारों में माल या सेवाओं की बिक्री) के माध्यम से अर्जित करती है, जिसमें उसके आयात (जैसे विदेशी देशों से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद) को घटाया जाता है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) के बारे में
- परिभाषा: SEZs वे निर्धारित क्षेत्र हैं जो किसी देश के भीतर अलग आर्थिक नियमों के अंतर्गत संचालित होते हैं।
- उद्देश्य: SEZs की स्थापना का मुख्य लक्ष्य तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, जिससे घरेलू और विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके, निर्यात को बढ़ावा मिले और रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।
- वैधानिकता: भारत एशिया के पहले देशों में से एक था जिसने 1965 में कांडला EPZ मॉडल अपनाया।
- भारत में 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम पारित किया गया, जिससे SEZs के लिए एक कानूनी ढाँचा प्रदान किया गया।
- बाबा कल्याणी समिति (2018): SEZ नीति की समीक्षा और इसे पुनर्जीवित करने के लिए गठित की गई थी।
- इसकी प्रमुख सिफारिशों में SEZs को WTO-अनुकूल बनाना, भूमि उपयोग को अधिकतम करना और इसे अन्य सरकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करना शामिल था।
- प्रस्तावित DESH विधेयक (Development of Enterprise and Service Hubs): यह वर्तमान SEZ अधिनियम को प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
अर्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए प्रमुख पहलें – भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): दिसंबर 2021 में लॉन्च किया गया, ISM अर्धचालक और डिस्प्ले योजनाओं के कुशल और निर्बाध कार्यान्वयन के लिए प्रमुख एजेंसी है। – डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना: अर्धचालक डिजाइनों के विकास और तैनाती के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन और डिजाइन अवसंरचना सहायता प्रदान करता है। – PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना – बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण: अप्रैल 2020 में अधिसूचित, यह भारत में निर्मित वस्तुओं की अतिरिक्त बिक्री (आधार वर्ष से अधिक) पर 4% से 6% तक का प्रोत्साहन प्रदान करता है। – सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला (SCL), मोहाली: इसकी दक्षता और साइकिल समय में सुधार लाने के लिए कार्य किया जा रहा है, जिससे स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास (R&D) और विशेषीकृत निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। |
Source: TH
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