जैविक खेती को बढ़ावा

पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि

संदर्भ 

  • इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), अमूल और रिच प्लस ने भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।

समाचार की विस्तृत जानकारी

  • जैविक खेती कार्ड की शुरुआत: IOB के खाताधारकों के लिए एक सह-ब्रांडेड जैविक खेती कार्ड लॉन्च किया गया है, जो जैविक खेती में संलग्न हैं।
  • यह कार्ड किसानों को अमूल के प्रमाणित खुदरा आउटलेट्स से छूट वाली जैविक कृषि सामग्रियों तक पहुँच प्रदान करेगा।
  • हरित क्रांति योजना: IOB ने विशेष रूप से जैविक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक समर्पित क्रेडिट योजना “हरित क्रांति” की घोषणा की है।
  • रिच प्लस: यह कंपनी जैविक खेती प्रथाओं पर किसानों को तकनीकी विशेषज्ञता और प्रशिक्षण प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जैविक खेती क्या है? 

  • जैविक खेती एक सतत् कृषि प्रणाली है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे सिंथेटिक इनपुट को बाहर रखा जाता है।
    • यह फसल अवशेषों, फार्मयार्ड खाद, और कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करता है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य बनाए रखने और कीटों एवं रोगों का प्रबंधन किया जा सके।

भारत में जैविक खेती

  • अंतरराष्ट्रीय जैविक कृषि आंदोलनों महासंघ (IFOAM) सांख्यिकी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, प्रमाणित क्षेत्र के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर है।
  • मध्य प्रदेश जैविक प्रमाणन के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र रखने वाला राज्य है, इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक आते हैं।
  • सिक्किम भारत का प्रथम पूर्ण जैविक राज्य है, जहाँ लगभग 75,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर जैविक खेती अपनाई गई है।
  • जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर पहले स्थान पर है।
  • भारत के जैविक उत्पादों का निर्यात 2022-23 में 708 मिलियन डॉलर रहा, और वैश्विक बाजार का आकार 138 बिलियन डॉलर होने के कारण भविष्य में जैविक निर्यात को बढ़ाने की व्यापक संभावनाएँ हैं।

जैविक खेती के लाभ

  • स्वस्थ खाद्य उत्पाद: जैविक खेती ऐसे खाद्य उत्पाद प्रदान करती है, जिनमें हानिकारक रासायनिक अवशेष नहीं होते और आवश्यक पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं।
  • मृदा के स्वास्थ्य में सुधार: जैविक खेती जैविक पदार्थ की मात्रा, सूक्ष्मजीवों की गतिविधि और पोषक तत्वों के चक्र को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • आर्थिक अवसर: किसानों को प्रीमियम मूल्य, विशिष्ट बाजारों तक पहुँच, और दीर्घकालिक रूप से इनपुट लागत में कमी से आर्थिक लाभ मिलता है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन: कम्पोस्टिंग और जैविक मृदा प्रबंधन जैसी जैविक खेती पद्धतियाँ कार्बन अवशोषण में योगदान देती हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है।
  • जैव विविधता संरक्षण: जैविक खेती कीटों, पक्षियों और अन्य वन्यजीवों के लिए अनुकूल आवास प्रदान करके जैव विविधता को बढ़ावा देती है।

भारत में जैविक प्रमाणन प्रणाली

  • राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP): यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत निर्यात बाजार के विकास हेतु कार्यरत है।
  • पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम (PGS-India): कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत, यह प्रणाली किसानों/उत्पादकों को प्रमाणन प्रक्रिया में भाग लेने, निरीक्षण करने और उत्पादन प्रथाओं का मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करती है।
  • खाद्य सुरक्षा नियमन: घरेलू बाजार में जैविक उत्पादों की बिक्री के लिए NPOP या PGS के तहत प्रमाणन अनिवार्य किया गया है और जयविक भारत लोगो के तहत इसे बेचा जाता है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA)
स्थापना: 1986 में भारतीय संसद के एक अधिनियम द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत किया गया।
मुख्यालय: नई दिल्ली
उत्तरदायित्व: यह फलों, सब्जियों, मांस, पोल्ट्री और संबंधित उत्पादों के निर्यात संवर्धन एवं विकास का कार्य करता है।
भूमिका: APEDA राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NAB) का सचिवालय के रूप में कार्य करता है और राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) के तहत प्रमाणन निकायों की प्रत्यायन प्रक्रिया को लागू करता है।

सरकारी पहलें

  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY): इस योजना में जैविक खेती से जुड़े किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन, विपणन और फसल कटाई के बाद प्रबंधन तक पूर्ण सहायता प्रदान की जाती है।
  • मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (MOVCDNER): यह योजना विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों में जैविक खेती करने वाले किसानों को समर्थन देने के लिए लागू की गई है।
  • जयविक खेती पोर्टल: यह जैविक किसानों के उत्पादों की बिक्री और जैविक खेती को बढ़ावा देने का एक केंद्रीकृत समाधान है। इसमें स्थानीय समूह, व्यक्तिगत किसान, खरीदार और इनपुट आपूर्तिकर्त्ता शामिल हैं।

आगे की राह

  • बाजार पहुँच में सुधार: अमूल और जैविक खेती जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से जैविक उत्पादों की खरीद, ब्रांडिंग और खुदरा बिक्री को बढ़ावा देना।
  • जागरूकता और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: किसानों को प्रमाणन मानकों और बाज़ार की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • प्रमाणन अवसंरचना का विस्तार: प्रमाणन प्रक्रियाओं को सरल बनाना और स्थानीय प्रमाणन निकायों की उपलब्धता बढ़ाना।

Source: TH

 

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