पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/ अर्थव्यवस्था
सन्दर्भ
- केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री ने बल देकर कहा है कि देश का फार्मास्युटिकल क्षेत्र 2030 तक 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को प्राप्त कर लेगा।
भारत का फार्मास्युटिकल क्षेत्र
- भारत में दवा उद्योग का वर्तमान मूल्य $50 बिलियन है।
- उद्योग के प्रमुख क्षेत्रों में जेनेरिक दवाएँ, ओटीसी दवाएँ, थोक दवाएँ, टीके, अनुबंध अनुसंधान और विनिर्माण, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स सम्मिलित हैं।
- भारत में दवा उद्योग मात्रा के मामले में विश्व में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के मामले में 14वाँ सबसे बड़ा है।
- फार्मा क्षेत्र वर्तमान में देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1.72% का योगदान देता है।
- भारत API का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसकी वैश्विक API उद्योग में 8% हिस्सेदारी है।
भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र की उपलब्धियां
- भारत वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का 60% भाग +है, जो डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DPT) और बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) टीकों के लिए WHO की मांग का 70% और खसरे के टीके के लिए WHO की मांग का 90% योगदान देता है।
- भारत अफ्रीका की जेनेरिक दवाओं की 50% से अधिक आवश्यकता, अमेरिका में जेनेरिक मांग का ~40% और यूके में सभी दवाओं का ~25% आपूर्ति करता है।
- 2000-2024 की अवधि के दौरान ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स उद्योग में संचयी FDI इक्विटी प्रवाह 22.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो सभी क्षेत्रों में प्राप्त कुल प्रवाह का लगभग 3.4% है।
- देश वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है, जो मात्रा के हिसाब से वैश्विक आपूर्ति में 20% हिस्सेदारी रखता है, और वैश्विक स्तर पर अग्रणी वैक्सीन निर्माता है।
- भारत को अपनी दवाओं की कम लागत और उच्च गुणवत्ता के कारण “विश्व की फार्मेसी” के रूप में जाना जाता है।
भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र के लिए चुनौतियाँ
- बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण: भारत के पेटेंट कानून, विशेष रूप से अनिवार्य लाइसेंसिंग और भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 3 (d) के संबंध में, बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ प्रायः विवादों को जन्म देते हैं।
- आयात पर निर्भरता: APIs और प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (KSMs) के आयात पर निर्भरता उद्योग को आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और मूल्य में उतार-चढ़ाव से संबंधित कमजोरियों के प्रति प्रकट करती है।
- कुशल मानव संसाधन: भारतीय दवा उद्योग को अनुसंधान तथा विकास को आगे बढ़ाने, संचालन का प्रबंधन करने और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता है।
- गुणवत्ता परीक्षणों में विफल होना: देश का फार्मा उद्योग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा व्यक्त की गई गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को अधिक सीमा तक मना करता रहा है।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के 2014-2016 के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग पांच प्रतिशत भारतीय दवाएं, जिनमें से विभिन्न बड़ी फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित हैं, गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं।
सरकारी पहल
- भारत की विनिर्माण क्षमता को प्रोत्साहन देने, निवेश को बढ़ाने और क्षेत्र में उत्पाद पेशकशों में विविधता लाने के लिए 2020-21 से 2028-29 तक 15,000 करोड़ रुपये (2.04 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कुल परिव्यय के साथ फार्मास्यूटिकल्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना क्रियान्वित की जा रही है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP): प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (PMBJK) के रूप में जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट्स के माध्यम से सभी को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयाँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
- फार्मास्युटिकल उद्योग को मजबूत बनाना (SPI): यह योजना वित्त वर्ष 21-22 से वित्त वर्ष 25-26 की अवधि के लिए लागू की गई है।
- इसका उद्देश्य देश भर में वर्तमान फार्मा क्लस्टरों और MSMEs को सहायता प्रदान करना है, ताकि उनकी उत्पादकता, गुणवत्ता और स्थिरता में सुधार हो सके और फार्मा MSMEs क्लस्टरों में वर्तमान बुनियादी सुविधाओं को दृढ किया जा सके।
- बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की योजना: इसका उद्देश्य पार्कों में स्थित इकाइयों को विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान करना है, जिससे थोक औषधियों की विनिर्माण लागत में उल्लेखनीय कमी लाने में सहायता मिलेगी और इस तरह भारत आत्मनिर्भर बन सकेगा।
- ग्रीनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स के लिए स्वचालित मार्ग के तहत फार्मास्युटिकल क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति है।
- फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में ब्राउनफील्ड फार्मास्यूटिकल्स में 100% FDI की अनुमति है; जिसमें 74% की अनुमति स्वचालित मार्ग से तथा उसके बाद सरकारी अनुमोदन मार्ग से दी जाती है।
आगे की राह
- भारत में दवा उद्योग देश के विदेशी व्यापार का एक महत्वपूर्ण भाग है और निवेशकों के लिए आकर्षक संभावनाएं प्रदान करता है।
- जेनेरिक दवाओं को बाजार में तेजी से प्रस्तुत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इससे भारतीय दवा कंपनियों को लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है।
- इसके अतिरिक्त, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रमों, जीवन रक्षक दवाओं और निवारक टीकों पर बल भी दवा कंपनियों के लिए अच्छा संकेत है।
Source: AIR
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