शिक्षा मंत्रालय ने साक्षरता और पूर्ण साक्षरता को परिभाषित किया

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-2/ शिक्षा

सन्दर्भ

  • सभी राज्यों को लिखे पत्र में शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने ‘साक्षरता’ को परिभाषित किया है तथा बताया है कि न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (NILP) के तहत वयस्क साक्षरता के लिए नए सिरे से किए जा रहे प्रयासों के मद्देनजर ‘पूर्ण साक्षरता’ प्राप्त करने का क्या अर्थ है।

साक्षरता और पूर्ण साक्षरता क्या है?

  • शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने कहा है कि साक्षरता को पढ़ने, लिखने और समझ के साथ गणना करने की क्षमता के रूप में समझा जा सकता है, अर्थात् डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता आदि जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल के साथ-साथ पहचान करना, समझना, व्याख्या करना तथा निर्माण करना।
  •  पूर्ण साक्षरता, जिसे 100% साक्षरता के बराबर माना जाता है, एक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश में 95% साक्षरता प्राप्त करना होगा जिसे पूरी तरह से साक्षर के बराबर माना जा सकता है।
न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम (NILP)
– यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है जिसे वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों के दौरान 1037.90 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया जाएगा।
1. इसमें केन्द्रीय हिस्सा 700.00 करोड़ रूपये तथा राज्य हिस्सा 337.90 करोड़ रूपये है।
– इस योजना का लक्ष्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के 5.00 करोड़ निरक्षरों को समायोजित करना है। 
– इस योजना के पांच घटक हैं; जैसे आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, व्यावसायिक कौशल विकास, बुनियादी शिक्षा और सतत शिक्षा।
योजना के अंतर्गत लाभार्थी
– राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा मोबाइल ऐप पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण के माध्यम से लाभार्थियों की पहचान की जाती है।
1. अशिक्षित व्यक्ति भी मोबाइल ऐप के माध्यम से किसी भी स्थान से सीधे पंजीकरण कराकर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
– शिक्षण सामग्री और संसाधन NCERT के DIKSHA प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करा दिए गए हैं और इन्हें मोबाइल ऐप के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
1. इसके अतिरिक्त, आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के प्रसार के लिए टीवी, रेडियो, सामाजिक चेतना केंद्र आदि जैसे अन्य माध्यमों का भी उपयोग किया जाना है।

भारत में साक्षरता चुनौतियाँ

  • जनगणना 2011 के अनुसार, देश में साक्षरता दर 2001 में 64.8% की तुलना में 2011 में 74% थी।
    • 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में 25.76 करोड़ निरक्षर व्यक्ति हैं, जिनमें 9.08 करोड़ पुरुष और 16.68 करोड़ महिलाएं सम्मिलित हैं।
  • साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत हुई प्रगति के बावजूद, जिसके तहत 2009-10 और 2017-18 के बीच 7.64 करोड़ व्यक्तियों को साक्षर प्रमाणित किया गया, अनुमान है कि भारत में 18.12 करोड़ वयस्क निरक्षर हैं।

भारत में कम साक्षरता के कारण

  • शैक्षिक उपयोगिता: ग्रामीण क्षेत्रों में, सीमित आर्थिक अवसरों के कारण शिक्षा को मूल्यवान नहीं माना जाता है, जिसके परिणामस्वरूप नामांकन दर कम होती है।
    • इसके अतिरिक्त, आस-पास स्कूलों की उपलब्धता प्रायः सीमित होती है, जिससे शिक्षा तक पहुंच भी सीमित हो जाती है।
  • जातिगत असमानताएँ: निचली जातियों के खिलाफ़ भेदभाव के कारण स्कूल छोड़ने की दर बहुत अधिक है और नामांकन दर कम है।
  • महिला साक्षरता: भारत में निरक्षर व्यक्तियों का एक महत्वपूर्ण अनुपात महिलाएँ हैं, जो समग्र रूप से कम साक्षरता दर में योगदान देती हैं।
  • बुनियादी सुविधाओं का अभाव: स्कूलों में पीने के पानी, शौचालय और बिजली जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव, विशेष रूप से लड़कियों के लिए उपस्थिति को कम करता है।

निरक्षर व्यक्तियों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ

  • निरक्षर व्यक्तियों को प्रायः सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण उनके समुदायों में आत्म-सम्मान कम हो सकता है और उन्हें हाशिए पर धकेला जा सकता है।
  • संचार, शिक्षा और सेवाओं के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी पर बढ़ती निर्भरता निरक्षर व्यक्तियों के लिए चुनौती है।
  • निरक्षर व्यक्तियों को उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों से बाहर रखा जाता है, जिनमें तकनीकी कौशल या औपचारिक शिक्षा की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी आर्थिक गतिशीलता सीमित हो जाती है और वे गरीबी के चक्र में फंस जाते हैं।
  • निरक्षरता का चक्र पीढ़ियों तक जारी रह सकता है, क्योंकि निरक्षर माता-पिता के बच्चों के स्कूल छोड़ने या उन्हें आवश्यक शैक्षिक सहायता न मिलने का जोखिम अधिक हो सकता है।

सरकारी पहल

  • निपुण भारत: इसे 2026-27 तक कक्षा 3 के बच्चों के लिए सार्वभौमिक साक्षरता और संख्यात्मकता सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था।
    • इसमें केंद्र प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के तत्वावधान में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय-राज्य-जिला-ब्लॉक-स्कूल स्तर पर स्थापित पांच स्तरीय कार्यान्वयन तंत्र की परिकल्पना की गई थी।
  • समग्र शिक्षा अभियान: स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक की शिक्षा सम्मिलित है। इसका उद्देश्य समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना है। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020: इसमें सभी प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करने के लिए आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर राष्ट्रीय मिशन के प्रावधान हैं।
    • इसका उद्देश्य 2025 तक प्राप्त किये जाने वाले राज्यवार लक्ष्यों और उद्देश्यों की पहचान करना भी है।
  • जन शिक्षण संस्थान (JSS): ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देते हुए, गैर-साक्षर और नव-साक्षर व्यक्तियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास प्रदान करता है।

निष्कर्ष

  • ये पहल भारत भर में साक्षरता और शैक्षिक परिणामों में सुधार लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं, जिसमें समावेशिता और समानता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  •  शिक्षा को अधिक सुलभ, इंटरैक्टिव और विविध शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाकर भारत में साक्षरता दर में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी की क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए।

Source:TH

 

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