पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था/GS2अन्तर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता को “और गति” देने के लिए ओमान की यात्रा करेंगे।
परिचय
- वार्ता में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर बातचीत को आगे बढ़ाने, व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने एवं द्विपक्षीय साझेदारी को और गहरा करने के लिए रास्ते खोजने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- FTA: ऐसे समझौतों में, दो व्यापारिक साझेदार अपने मध्य व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को या तो काफी कम कर देते हैं या समाप्त कर देते हैं।
- वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
- यह यात्रा इस बात को रेखांकित करती है कि भारत खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारों में से एक ओमान के साथ अपने व्यापार और निवेश संबंधों को कितना महत्त्व देता है।
- भारत का पहले से ही GCC के एक अन्य सदस्य UAE के साथ एक ऐसा ही समझौता है जो 2022 में लागू हुआ।
भारत-ओमान संबंध
- व्यापार संबंध: वित्त वर्ष 2023-2024 में ओमान भारत का 30वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका कुल व्यापार 8.947 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- भारत ओमान के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
- वर्ष 2023 के लिए ओमान के कच्चे तेल के निर्यात के लिए भारत चौथा सबसे बड़ा बाज़ार है।
- रक्षा सहयोग: भारत और ओमान तीनों सेनाओं के बीच नियमित द्विवार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास आयोजित करते हैं।
- सेना अभ्यास: अल नजाह
- वायुसेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
- नौसेना अभ्यास: नसीम अल बहर
- समुद्री सहयोग: ओमान होर्मुज जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर है, जिसके माध्यम से भारत अपने तेल आयात का पाँचवाँ भाग आयात करता है।
- भारत ने 2018 में ओमान के दुक़म बंदरगाह तक पहुँचने के लिए देश के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- दुक़म बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर स्थित है, जहाँ से अरब सागर और हिंद महासागर दिखाई देते हैं। यह रणनीतिक रूप से ईरान के चाबहार बंदरगाह के बहुत नज़दीक स्थित है।
GCC के संबंध में
- यह छह मध्य पूर्वी देशों-सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन और ओमान का एक राजनीतिक और आर्थिक गठबंधन है।
- इसकी स्थापना 1981 में हुई थी।
- इसका उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच उनके सामान्य उद्देश्यों और उनकी समान राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहचान के आधार पर एकता प्राप्त करना है, जो अरब तथा इस्लामी संस्कृतियों में निहित हैं।
- परिषद की अध्यक्षता वार्षिक परिवर्तित होती रहती है।

आगे की राह
- भारत को खाड़ी देशों के पास लाने में वास्तविक राजनीति और रणनीतिक हित महत्त्वपूर्ण रहे हैं, दोनों पक्ष हाल ही में अपने कुछ वैचारिक मतभेदों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं।
- लंबे समय में, रक्षा औद्योगिक सहयोग और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण संभवतः उनके रणनीतिक सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण घटक बन जाएगा।
- इसलिए, राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और सैन्य-सुरक्षा हितों का अभिसरण, खाड़ी देशों के साथ भारत की सैन्य कूटनीति को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
Source: BS
Previous article
सिविल सेवाओं में पार्श्व प्रवेश
Next article
बाह्य वाणिज्यिक उधार ( ECB) परिदृश्य