सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) दिवस 2025

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • विश्व सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) दिवस प्रतिवर्ष 27 जून को मनाया जाता है।
    • वर्ष 2025 की थीम है: “सतत विकास और नवाचार के प्रेरक के रूप में MSMEs की भूमिका को सशक्त बनाना।”

MSMEs का महत्व 

  • वैश्विक स्तर पर, MSMEs व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का सबसे प्रमुख खंड हैं, जो लगभग 90% उद्यमों और 50% से अधिक कुल रोजगार के लिए उत्तरदायी हैं। 
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) दिवस 2025
  • भारत में, MSMEs देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30% और निर्यात में 45% से अधिक का योगदान दे रहे हैं। 
  • MSMEs कृषि के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र हैं।
  • MSMEs से निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है — ₹3.95 लाख करोड़ (2020-21) से बढ़कर ₹12.39 लाख करोड़ (2024-25) तक।
Growth of MSEM Exports

भारत में MSMEs के समक्ष चुनौतियाँ

  • सीमित ऋण उपलब्धता: संपार्श्विक और औपचारिक क्रेडिट इतिहास की कमी के कारण ऋण प्राप्त करना कठिन।
  • पुरानी तकनीक: उच्च लागत और जागरूकता की कमी के कारण कई MSMEs पुरानी तकनीक का उपयोग करते हैं।
  • नियामकीय भार: कर कानूनों, श्रम नियमों और लाइसेंसों का जटिल अनुपालन।
  • भुगतान में देरी: बड़ी कंपनियों और सरकारी खरीदारों से भुगतान में देरी, जिससे नकदी प्रवाह प्रभावित होता है।
  • कम उत्पादकता: अनौपचारिक संचालन और आधुनिक प्रथाओं की कमी के कारण।
  • कुशल श्रमिकों की कमी: प्रशिक्षित मानव संसाधन की सीमित उपलब्धता।
  • सीमित बाज़ार पहुँच: ब्रांडिंग, विपणन और व्यापक घरेलू व वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच में कठिनाई।
  • अनौपचारिकता और डेटा की कमी: कई MSMEs पंजीकृत नहीं हैं, जिससे वे औपचारिक सहायता से वंचित रहते हैं।
  • बाहरी झटकों के प्रति संवेदनशीलता: COVID-19, महंगाई और वैश्विक मंदी जैसे संकटों से अत्यधिक प्रभावित।

MSMEs के समर्थन हेतु प्रमुख पहलें

  • पीएम विश्वकर्मा योजना (2023): पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उत्पाद गुणवत्ता सुधारने और व्यापक बाज़ार से जोड़ने हेतु।
  • उद्यम पंजीकरण पोर्टल (2020): निःशुल्क, कागज़ रहित और स्व-घोषित पंजीकरण प्रक्रिया।
  • प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना हेतु ऋण-सब्सिडी योजना।
  • SFURTI योजना (2005-06): पारंपरिक कारीगरों को समूहों में संगठित कर प्रतिस्पर्धात्मकता और आय सृजन को बढ़ावा देना।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए सार्वजनिक खरीद नीति (2012): केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य, जिसमें 4% SC/ST और 3% महिला उद्यमियों से।
  • MSME हैकाथॉन 4.0 (2024): 500 नवाचारकर्ताओं को ₹15 लाख तक की सहायता।
  • MSME-TEAM योजना (2024): ₹277.35 करोड़ की योजना, 5 लाख MSEs (2.5 लाख महिला-नेतृत्व वाली) को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ना।
  • खादी और ग्रामोद्योग: खादी और ग्रामोद्योग विकास योजना (KGVY) के माध्यम से प्रोत्साहन।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजना: MSMEs को वैश्विक बाज़ारों में भागीदारी हेतु अंतरराष्ट्रीय मेलों, प्रदर्शनियों और ज्ञान-साझा कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रतिपूर्ति आधारित सहायता।

निष्कर्ष

  •  MSMEs भारत की विकास गाथा को नवाचार, रोजगार सृजन और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर नया आकार दे रहे हैं। 
  • मजबूत नीति समर्थन, डिजिटल उपकरणों और नए बाज़ारों तक पहुँच के साथ ये उद्यम सतत एवं समावेशी विकास के इंजन बनते जा रहे हैं।

Source: DD

 

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