76वीं गणतंत्र दिवस परेड

पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन व्यवस्था

संदर्भ

  • 76वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भारत ने अपनी सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया।

परिचय

  • इस परेड की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति करते हैं, जो सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं।
76वीं गणतंत्र दिवस परेड
  • इस कार्यक्रम में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि थे।
    • इंडोनेशियाई राष्ट्रीय सशस्त्र बलों के 342 सदस्यों की एक टुकड़ी ने भी परेड में भाग लिया, यह प्रथम बार था जब इंडोनेशिया के सैनिक किसी विदेशी परेड में शामिल हुए। 
    • 2016 में प्रथम बार विदेशी सैनिकों ने फ्रांसीसी सेना की टुकड़ी की भागीदारी के साथ परेड में हिस्सा लिया।
क्या आप जानते हैं? 
– 1950 में पहले गणतंत्र दिवस समारोह में, भारत के प्रथम राष्ट्रपति, इरविन एम्फीथिएटर (अब मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) गए, जहाँ उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और बैंड ने राष्ट्रगान बजाया।
1. हालाँकि, इस परेड में सांस्कृतिक झांकियों का कोई उल्लेख नहीं है।
– आगामी वर्षों में प्रत्येक राज्य को भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करते हुए कुछ विशिष्ट विशेषता का प्रतिनिधित्व करने वाली एक झांकी भेजने के लिए आमंत्रित किया गया था।
– रॉबर्ट टोर रसेल द्वारा डिज़ाइन किया गया इरविन एम्फीथिएटर 1933 में भावनगर के महाराजा की ओर से एक उपहार के रूप में बनाया गया था।
1. 1951 में एशियाई खेलों की मेजबानी से ठीक पहले इसका नाम बदलकर नेशनल स्टेडियम कर दिया गया।

सैन्य शक्ति की मुख्य विशेषताएं

  • संजय और प्रलय: सेना की युद्ध निगरानी प्रणाली “संजय” और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की सतह से सतह पर मार करने वाली सामरिक मिसाइल “प्रलय” को पहली बार प्रदर्शित किया गया। 
  • संयुक्त त्रि-सेवाएँ: पहली बार, देश के सशस्त्र बलों के के मध्य बढे हुए सामंजस्य को उजागर करने वाली त्रि-सेवाओं की झांकी प्रदर्शित की गई।
    • इसमें भूमि, वायु और नौसेना संचालन की विशेषता वाले समन्वित युद्धक्षेत्र परिदृश्य को दर्शाया गया। 
  • प्रमुख सैन्य संपत्तियाँ: ब्रह्मोस, पिनाका और आकाश प्रणाली। 
  • भारतीय नौसेना: इसमें स्वदेशी युद्धपोत डिजाइन का प्रदर्शन किया गया और इसमें INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर जैसे जहाजों के मॉडल शामिल थे, जो समुद्री सुरक्षा में देश की प्रगति को रेखांकित करते हैं।

महिला सशक्तिकरण का प्रदर्शन

  • भारतीय सेना की डिंपल सिंह भाटी ने राष्ट्रपति को सलामी देने वाली प्रथम महिला अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया।
  • केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक महिला मार्चिंग टुकड़ी।
  • दिल्ली पुलिस की महिला बैंड में चार महिला सब-इंस्पेक्टर और ब्रास और पाइप बैंड इकाइयों की 64 महिला कांस्टेबल शामिल थीं।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय की झांकी “लखपति दीदी पहल” पर आधारित है, जो उद्यमिता और आत्मनिर्भरता के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देती है।

भारतीय संस्कृति

  • गणतंत्र दिवस परेड में 16 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रालयों और संगठनों की 31 झांकियाँ शामिल थीं।
  • थीम: स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास।
  • उत्तर प्रदेश की झांकी ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ को दर्शाया, जिसमें ‘समुद्र मंथन’, ‘अमृत कलश’ और संगम में पवित्र स्नान के दृश्य दिखाए गए।
  • सांस्कृतिक प्रदर्शन: यह प्रथम बार पूरे कर्त्तव्य पथ पर फैला, 5,000 से अधिक लोक और आदिवासी कलाकारों ने 45 नृत्य रूपों का प्रदर्शन किया।
    • “जयति जय ममः भारतम्” शीर्षक से 11 मिनट का प्रदर्शन संगीत नाटक अकादमी द्वारा क्यूरेट किया गया था।

अन्य प्रमुख विशेषताएँ

  • मध्य प्रदेश की झांकी राज्य में चीतों के पुन: आगमन पर केंद्रित थी। 
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक झांकी प्रस्तुत की।

महत्त्व

  • यह 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान को अपनाने का प्रतीक है।
    • 26 जनवरी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 26 जनवरी, 1930 को की गई पूर्ण स्वराज की घोषणा का सम्मान करने के लिए चुना जाता है।
  •  यह देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को सम्मानित करता है और सैन्य कर्मियों एवं नागरिकों को बहादुरी पुरस्कार प्रदान करता है। 
  • यह संविधान के सिद्धांतों और इसके द्वारा स्थापित लोकतांत्रिक ढांचे को भी श्रद्धांजलि देता है, न्याय, समानता एवं बंधुत्व जैसे मूल्यों पर प्रकाश डालता है।
बीटिंग रिट्रीट समारोह
– यह एक ऐसा समारोह है जो गणतंत्र दिवस के उत्सव के समापन का प्रतीक है।
– गणतंत्र दिवस के तीन दिन पश्चात् 29 जनवरी को विजय चौक, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है।
– इसमें भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के बैंड द्वारा संगीतमय प्रदर्शन किया जाता है।
– इस समारोह की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति करते हैं।
– यह पहली बार 1950 के दशक में महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस फिलिप की राजकीय यात्रा के दौरान आयोजित किया गया था।
1. तब से, यह समारोह भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया है।

Source: TOI