पाठ्यक्रम: GS1/शहरीकरण और संबंधित चुनौतियाँ
संदर्भ
- बेंगलुरु में हुई भारी बारिश के कारण बड़े पैमाने पर जलभराव, गंभीर हानि और यातायात बाधित हुआ है।
- पर्यावरणविदों और जल संरक्षण विशेषज्ञों ने शहर की वर्तमान जल निकासी व्यवस्था की खराब स्थिति को उजागर किया है, जो पुरानी एवं शहर की वर्तमान जनसंख्या और वर्षा की तीव्रता को संभालने में अक्षम है।
बाढ़ क्या है?
- बाढ़ प्राकृतिक घटनाओं/आपदाओं का सबसे सामान्य प्रकार है और तब घटित होती है जब जल का अधिशेष उस भूमि को आच्छादित कर लेता है जो सामान्यतः सूखी होती है।
बाढ़ के प्रकार
- फ्लैश फ्लड: तीव्र और अत्यधिक वर्षा के कारण अचानक जल स्तर बढ़ जाता है, जिससे नदियाँ, नाले, जल चैनल या सड़कें जलमग्न हो जाती हैं।
- नदी बाढ़: निरंतर बारिश या हिमपात के पिघलने से नदी का जल स्तर क्षमता से अधिक बढ़ जाता है।
- तटीय बाढ़: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और सुनामी से जुड़ी समुद्री तरंगों के कारण होती है।
- शहरी बाढ़: भूमि के विकास के कारण होती है। जब पारगम्य मृदा की परतों को अपारगम्य पक्की सतहों से बदल दिया जाता है, तो जल का अवशोषण बाधित होता है।
- इसके परिणामस्वरूप अधिक जल अपवाह उत्पन्न होता है, जिससे सड़कें नदियों में और पार्किंग स्थल तालाबों में परिवर्तित हो जाते हैं।
शहरी बाढ़ के कारण
- कम समय में भारी या तीव्र वर्षा।
- अवरुद्ध या कम क्षमता वाली जल निकासी प्रणाली।
- प्राकृतिक जलमार्गों, झीलों या आर्द्रभूमि का अतिक्रमण।
- हरित आवरण की हानि, जिससे जल अवशोषण में कमी आती है।
- बिना उचित योजना और ज़ोनिंग नियमों के तीव्रता से शहरीकरण।
- पुरानी आधारभूत संरचना, जो वर्तमान जनसंख्या और वर्षा स्तर को संभालने में असमर्थ है।
शहरी बाढ़ को कम करने के समाधान
- तूफानी जल निकासी अवसंरचना (stormwater drainage infrastructure) को उन्नत करना और उसका रखरखाव।
- आर्द्रभूमि, झीलों और प्राकृतिक जलमार्गों की सुरक्षा एवं पुनर्स्थापन।
- हरित बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देना: वर्षा उद्यान, हरित छतें, पारगम्य फुटपाथ।
- बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण को रोकने के लिए शहरी नियोजन नीतियों का कार्यान्वयन।
- वर्षा जल संचयन और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
सरकारी पहल
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): यह मिशन मुख्य रूप से स्वच्छता पर केंद्रित है, लेकिन यह ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण को भी प्रोत्साहित करता है, जो जलभराव और बाढ़ की रोकथाम में सहायता करता है।
- राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी मिशन: यह वर्षा जल संचयन, हरे क्षेत्रों और उचित जल निकासी प्रणाली के माध्यम से शहरी बाढ़ प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
- अटल मिशन फॉर रीजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT): यह मिशन मुख्य रूप से शहरों एवं कस्बों में जल आपूर्ति, सीवरेज, मलजल प्रबंधन और तूफानी जल निकासी जैसी बुनियादी शहरी अवसंरचना के विकास पर केंद्रित है।
- दिशानिर्देश और नियम: सरकार ने सतत शहरी विकास के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें पारगम्य फुटपाथ, हरित छतें और जलधारण तालाबों जैसे विशेषताओं को शामिल करने की सिफारिश की गई है।
शहरी बाढ़ को कम करने से जुड़े वैश्विक मॉडल – सिंगापुर: उच्च वर्षा और सघन शहरी जनसंख्या के बावजूद शहरी बाढ़ प्रबंधन में अग्रणी। – चीन – “स्पंज सिटी” पहल 1. चुनौती: तीव्र शहरी विस्तार और अपारगम्य सतहों के कारण शहरी बाढ़। 2. समाधान: वर्षा जल को अवशोषित और पुनः उपयोग करने के लिए स्पंज की तरह डिज़ाइन किए गए शहर। – संयुक्त राज्य अमेरिका – न्यूयॉर्क सिटी (हैरिकेन सैंडी के पश्चात्) 1. चुनौती: उष्णकटिबंधीय तूफानों और समुद्री लहरों के कारण गंभीर तटीय बाढ़। 2. समाधान: “बिग यू” परियोजना। 1.1 ऊँचे पार्क, बाढ़ प्रतिरोधी दीवारें, ऊँचे भूभाग और हरित अवसंरचना। 1.2 बहुउद्देश्यीय सार्वजनिक स्थल जो बाढ़ अवरोधक का कार्य करते हैं। – जापान – टोक्यो की भूमिगत बाढ़ जल निकासी प्रणाली – चुनौती: सघन शहरी जनसंख्या वाले क्षेत्र में तूफानों और नदी के जलभराव से बाढ़। – समाधान: विश्व की सबसे बड़ी भूमिगत बाढ़ जल मोड़ प्रणाली का निर्माण। |
निष्कर्ष
- इंजीनियरिंग समाधान, स्मार्ट शहरी योजना, रियल-टाइम तकनीकों और सामुदायिक भागीदारी को मिलाकर बाढ़-रोधी शहरों का निर्माण करना और भारत में शहरी बाढ़ की चुनौती को प्रभावी ढंग से कम करना आवश्यक है।
Source: IE
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संक्षिप्त समाचार 21-05-2025
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