पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW) के नए आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2024 में 18,200 हेक्टेयर (ha) प्राथमिक वन खो दिए, जबकि 2023 में यह आँकड़ा 17,700 हेक्टेयर था।
वैश्विक निष्कर्ष
- उष्णकटिबंधीय प्राथमिक वन हानि: 2024 में विश्व भर में 6.7 मिलियन हेक्टेयर प्राथमिक वन नष्ट हुए – यह 2023 की तुलना में लगभग दोगुना है।
- आग ने कृषि को पीछे छोड़ दिया: दो दशक में प्रथम बार, आग उष्णकटिबंधीय वन हानि का प्रमुख कारण बनी, जिससे कुल हानि का लगभग 50% हुआ।
- जलवायु परिवर्तन और एल नीनो के प्रभाव: अत्यधिक गर्मी और सूखे ने जंगल की आग के अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न कीं।
- क्षेत्रीय प्रभाव:
- ब्राजील ने वैश्विक उष्णकटिबंधीय वन हानि का 42% योगदान दिया।
- बोलीविया में वन हानि 200% बढ़ी, जिससे वह पहली बार डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो से आगे निकल गया।
भारतीय निष्कर्ष
- कुल वृक्ष आच्छादन हानि में कमी: 2023–2024 के बीच भारत में कुल वृक्ष आच्छादन हानि 6.9% घटी, जिससे कुछ संरक्षण प्रयासों की सफलता का संकेत मिलता है।
- नमी युक्त प्राथमिक वन हानि में वृद्धि: इसके विपरीत, 2024 में इस प्रकार के वन हानि में 5.9% की वृद्धि हुई, जिससे पुराने वन बचाने की चुनौतियाँ उजागर हुईं।
- आग से संबंधित वन हानि में तीव्रता: 2024 में आग से प्रेरित प्राथमिक वन हानि 950 हेक्टेयर तक पहुँच गई, जो विगत वर्ष की तुलना में 158% अधिक है।
- क्षेत्रीय हॉटस्पॉट:
- पूर्वोत्तर राज्यों – असम, नागालैंड और मिजोरम – सबसे अधिक प्रभावित हुए।
- कारणों में स्थानांतरित खेती, कृषि विस्तार और लकड़ी कटाई शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार: 2015–2020 के बीच भारत में विश्व में दूसरी सबसे अधिक वन हानि हुई, जिसमें प्रति वर्ष लगभग 6,68,000 हेक्टेयर वन नष्ट हुए।
भारत की वन हानि को रोकने की पहल
- नीतिगत और विधायी उपाय
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980 (संशोधित 2023): वन भूमि को गैर-वन उद्देश्यों के लिए हस्तांतरित करने को विनियमित करता है, हालिया संशोधन इसे सुव्यवस्थित करने का प्रयास करते हैं।
- राष्ट्रीय वन नीति, 1988: भारत के कम से कम 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन या वृक्ष आवरण में बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित करती है।
- प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम, 2016 (CAMPA): वन भूमि हस्तांतरण से एकत्रित धन को वनीकरण और पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन के लिए सुनिश्चित करता है।
- वनीकरण और पुनर्वनीकरण कार्यक्रम
- ग्रीन इंडिया मिशन: यह राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) का हिस्सा है और वन आच्छादन व पारिस्थितिकी सेवाओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- राज्य स्तरीय पहल: उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश ने 2025 में 35 करोड़ पौधे लगाने की योजना बनाई है।
- सामुदायिक भागीदारी और अधिकार
- संयुक्त वन प्रबंधन (JFM): स्थानीय समुदायों और वन विभागों के संयुक्त प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
- वन अधिकार अधिनियम, 2006: वन-निवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देकर उन्हें वन संरक्षण और प्रबंधन के लिए सशक्त करता है।
- तकनीकी हस्तक्षेप
- उपग्रह निगरानी: वन आच्छादन और अवैध गतिविधियों की वास्तविक समय निगरानी के लिए उपग्रह डेटा का उपयोग।
- मोबाइल एप्लिकेशन: ‘My Plants’ जैसे ऐप रोपण डेटा दर्ज करने और जनता को वनीकरण प्रयासों में शामिल करने के लिए विकसित किए गए हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- Forest-PLUS 3.0: एक अमेरिका-भारत पहल, जो सतत वन प्रबंधन और जलवायु अनुकूलन क्षमता बढ़ाने पर केंद्रित है।
ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच – विश्व संसाधन संस्थान (WRI) ने 1997 में ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW) की स्थापना वन फ्रंटियर्स पहल के अंतर्गत की थी। – यह एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जो वन निगरानी के लिए डेटा और उपकरण प्रदान करता है। – GFW किसी को भी वास्तविक समय में विश्व भर में वन परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा देता है। – इसके उपयोगकर्ता सरकारें, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठन, पत्रकार, विश्वविद्यालय और आम जनता हैं। |
आगे की राह
- स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना: वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकारों की मान्यता को तीव्र करना।
- तकनीक का लाभ उठाना: AI-आधारित प्रणाली और उपग्रह इमेजरी का उपयोग कर वन स्वास्थ्य, वन्यजीव गतिविधियों और अवैध कार्यों की निगरानी बढ़ाना।
- कानूनी और नीतिगत ढाँचे को सुदृढ़ बनाना: वन संरक्षण अधिनियम के हालिया संशोधनों की गहन समीक्षा कर यह सुनिश्चित करना कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे।
- सतत आजीविका और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना: कृषि के साथ वृक्षारोपण को एकीकृत करने वाले कृषि-वनीकरण प्रथाओं को प्रोत्साहित करना, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिले और हरित आवरण बढ़े।
Source: BS
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संक्षिप्त समाचार 22-05-2025