निवेश के लिए भारत की FDI नीति रूपरेखा

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के लिए एक नीतिगत ढाँचा तैयार किया है जो पारदर्शी, पूर्वानुमान योग्य और आसानी से समझने योग्य है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) क्या है?

  • यह विदेशी संस्थाओं (व्यक्तियों या कंपनियों) द्वारा किसी अन्य देश के व्यावसायिक हितों में किए गए निवेश को संदर्भित करता है, जो सामान्यतः  उद्यमों के स्वामित्व या नियंत्रण के रूप में होता है। 
  • वर्तमान में, लॉटरी, जुआ और सट्टेबाजी, चिट फंड, निधि कंपनी, रियल एस्टेट व्यवसाय और तंबाकू का उपयोग करके सिगार, चुरूट, सिगारिलोस एवं सिगरेट के निर्माण में FDI प्रतिबंधित है।

भारत में FDI के मार्ग

  • स्वचालित मार्ग: किसी पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है।
    • निवेशकों को निवेश करने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सूचित करना होगा।
    • विनिर्माण और सॉफ्टवेयर जैसे अधिकांश क्षेत्र इस मार्ग के अंतर्गत आते हैं।
  • सरकारी स्वीकृति मार्ग: संबंधित मंत्रालय या विभाग से पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होती है।
    • दूरसंचार, मीडिया, फार्मास्यूटिकल्स और बीमा जैसे क्षेत्र इस मार्ग के अंतर्गत आते हैं।

FDI नीति ढाँचे की मुख्य विशेषताएँ

  • FDI के लिए स्वचालित मार्ग: 90% से अधिक FDI प्रवाह स्वचालित मार्ग से होता है, जिससे विनियामक समस्याएँ कम होती हैं।
  • क्षेत्रीय उदारीकरण: रक्षा, बीमा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, दूरसंचार और अंतरिक्ष में हाल ही में नीतिगत छूट ने निवेश के अवसरों में सुधार किया है।
  • बीमा क्षेत्र में सुधार: केंद्रीय बजट 2025 में बीमा क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करने की घोषणा की गई, बशर्ते कि पूरा प्रीमियम भारत में निवेश किया जाए।
  • प्रतिस्पर्धी संघवाद: सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सकारात्मक व्यावसायिक पारिस्थितिकी तंत्र और रसद प्रदर्शन को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न पहलों के माध्यम से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है।
    • बिजनेस रिफॉर्म्स एक्शन प्लान (BRAP) रैंकिंग,
    • विभिन्न राज्यों में रसद सुगमता (LEADS) रिपोर्ट, और
    • राज्यों का निवेश मित्रता सूचकांक (केंद्रीय बजट 2025 में घोषित)।

FDI का महत्त्व

  • भुगतान संतुलन (BoP): FDI विदेशी पूँजी लाकर चालू खाता घाटे को समाप्त करने में सहायता करता है।
  • मुद्रा स्थिरता: स्वस्थ अंतर्वाह वैश्विक बाजारों में रुपये के मूल्य का समर्थन करता है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: FDI उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रबंधकीय कौशल के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उत्पादकता एवं प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है।
  • गुणक प्रभाव: FDI का संबंधित क्षेत्रों पर अप्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे उत्पादन, निर्यात और रोजगार सृजन में वृद्धि होती है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • उदारीकृत FDI नीति: रक्षा (74%), बीमा (74%), और एकल-ब्रांड खुदरा (100%) में FDI सीमा बढ़ाई गई। 
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, कपड़ा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में प्रारंभ की गईं। 
  • बुनियादी ढाँचा विकास: गति शक्ति, भारतमाला और सागरमाला जैसे कार्यक्रम कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। 
  • डिजिटल इकोसिस्टम: डिजिटल भुगतान, ई-गवर्नेंस और प्रौद्योगिकी-संचालित सुधारों को बढ़ावा देना।

आगे की राह

  • इंफ्रास्ट्रक्चर कैपेक्स को प्राथमिकता दें: समय पर परियोजना निष्पादन सुनिश्चित करें और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPPs) को आकर्षित करना। 
  • कार्यबल कौशल: उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए कार्यबल को बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग करना। 
  • अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को मजबूत करें: प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादकता और नवाचार को बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।

Source: PIB