2026 की शुरुआत से GDP, CPI, IIP के लिए नया आधार वर्ष

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ 

  • भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के लिए आगामी वर्ष से नया आधार वर्ष निर्धारित किया जाएगा।

परिचय

  • 2024 में, MoSPI ने राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी पर 26-सदस्यीय सलाहकार समिति गठित की है जो GDP डेटा के आधार वर्ष का निर्धारण करेगी।
    • इस समिति के अध्यक्ष के रूप में बिस्वनाथ गोल्डर को नियुक्त किया गया है।
  • GDP के लिए नई शृंखला 27 फरवरी, 2026 को जारी होगी, जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 को आधार वर्ष रखा जाएगा।
  • IIP के लिए 2022-23 को अस्थायी रूप से संशोधित आधार वर्ष के रूप में पहचाना गया है। इसका संशोधित डेटा वित्त वर्ष 2026-27 से जारी किया जाएगा
  • CPI के लिए 2024 को संशोधित आधार वर्ष के रूप में पहचाना गया है।
    • CPI की आइटम बास्केट और भार राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन (NSO) द्वारा 2023-24 में किए गए घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (HCES) पर आधारित होंगे।
    • नई CPI शृंखला 2026 की पहली तिमाही से प्रकाशित होगी

आधार वर्ष क्या होता है?

  • आधार वर्ष एक संदर्भ वर्ष होता है, जिसका उपयोग आर्थिक और सांख्यिकीय गणनाओं में तुलना करने के लिए किया जाता है। इससे GDP, CPI, और IIP जैसे संकेतकों के वर्तमान मूल्यों की तुलना करके वास्तविक परिवर्तन को मापा जाता है।
  • महत्त्व:
    • मुद्रास्फीति के प्रभाव को हटाकर वास्तविक वृद्धि को मापने में सहायता करता है।
    • सूचकांक संख्याएँ बनाने में सहायक (जैसे CPI = 100 आधार वर्ष में)।
    • आर्थिक संरचना, उपभोग पैटर्न और मूल्य संरचना को सही तरीके से दर्शाने में सहायता करता है।

आधार वर्ष को बदलने की आवश्यकता क्यों होती है?

  • आधार वर्ष सामान्यतः प्रत्येक 7-10 वर्षों में बदला जाता है ताकि यह दर्शा सके:
    • नए उपभोक्ता पैटर्न
    • आर्थिक संरचना में परिवर्तन
    • नए उत्पाद और सेवाओं का समावेश
  • इससे डेटा प्रासंगिक और सटीक बना रहता है। यह अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति को बेहतर तरीके से दर्शाने में शयत करता है, जिससे सरकार अपनी आर्थिक नीतियाँ सही तरीके से तैयार कर सकती है।

आर्थिक डेटासेट्स

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): GDP किसी निश्चित अवधि (सामान्यतः एक तिमाही या वर्ष) में देश की घरेलू सीमा के अन्दर उत्पन्न सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को मापता है। 
    • यह अर्थव्यवस्था में सभी व्ययों (व्यक्तिगत व्यय , सरकारी व्यय, निजी व्यवसायों द्वारा किए गए व्यय) को जोड़कर गणना किया जाता है। 
    • वर्तमान आधार वर्ष: 2011-12 
    • जारीकर्ता: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), MoSPI
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): IIP औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन की मात्रा को मापता है, जिसमें खनन, विनिर्माण, और विद्युत शामिल हैं। यह एक मात्रात्मक सूचकांक है, न कि मूल्य-आधारित (जैसे GDP)।
    •  यह औद्योगिक गतिविधियों को दर्शाता है, जिससे अल्पकालिक आर्थिक गति का आकलन किया जा सकता है। 
    • मासिक रूप से प्रकाशित किया जाता है। 
    • वर्तमान आधार वर्ष: 2011-12 (संशोधन 2022-23 में किया जा रहा है)।
    •  जारीकर्ता: NSO, MoSPI
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI): CPI समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में औसत परिवर्तन को मापता है—अर्थात्  यह खुदरा मुद्रास्फीति को ट्रैक करता है।
    • यह जीवनयापन की लागत और क्रय शक्ति को दर्शाता है। 
    • इसमें खाद्य पदार्थ, आवास, वस्त्र, परिवहन आदि शामिल होते हैं। 
    • मासिक रूप से प्रकाशित किया जाता है। 
    • वर्तमान आधार वर्ष: 2012 (संशोधन 2024 में किया जाएगा)। 
    • जारीकर्ता: NSO, MoSPI

निष्कर्ष

  • आधार वर्ष – GDP और IIP को 2022-23 तथा CPI को 2024 तक अद्यतन करके – भारत का लक्ष्य उपभोग पैटर्न, औद्योगिक उत्पादन और मूल्य संरचनाओं में हाल के बदलावों को दर्ज करना है।
  • ये बदलाव आर्थिक विश्लेषण और नीति निर्माण में अधिक सटीक, प्रासंगिक और अद्यतित डेटा प्रदान करेंगे। 
  • इसके परिणामस्वरूप सरकारी योजना, नीति-निर्माण और देश की आर्थिक प्रगति की निगरानी अधिक प्रभावी हो सकेगी।

Source: IE

 

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