हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 2025 के लिए मानव विकास रिपोर्ट (HDR) जारी की, जिसमें जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय के स्तर में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला गया है।
मानव विकास सूचकांक: वर्तमान स्थिति
आइसलैंड (HDI मूल्य 0.972) सूचकांक में शीर्ष स्थान पर है, जिसके बाद नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का स्थान है।
भारत ने अपने मानव विकास सूचकांक मूल्य को 2022 में 0.676 (133वें) से बढ़ाकर 2023 में 0.685 (130वें) कर लिया है, जो मध्यम मानव विकास श्रेणी में बना हुआ है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित सर्वोच्च न्यायालय के इक्कीस न्यायाधीशों ने शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों और देनदारियों का प्रकटीकरण किया है।
पृष्ठभूमि
न्यायिक जवाबदेही भारत में लंबे समय से परिचर्चा का विषय रही है, विशेषतः वित्तीय खुलासे और नैतिक मानकों के मामले में।
निर्वाचित प्रतिनिधियों या सिविल सेवकों के विपरीत, न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं किया जाता है।
नागरिक सेवाएँ लोकतंत्र को बनाए रखने और सशक्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन इसमें पार्श्व प्रवेशकों (लैटरल एंट्री) और अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है।
विषय
भारत में आधुनिक योग्यता-आधारित नागरिक सेवा की अवधारणा 1854 में शुरू की गई थी। 1922 से भारतीय सिविल सेवा परीक्षा भारत में आयोजित होने लगी।
स्वतंत्रता के पश्चात्, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को इन परीक्षाओं के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
पृथ्वी विज्ञान और हिमालय अध्ययन केंद्र (CESHS) ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के दिरांग में पूर्वोत्तर भारत के पहले भू-तापीय उत्पादन कुएँ की सफलतापूर्वक खुदाई की है।
परियोजना के बारे में
दिरांग क्षेत्र एक मध्यम-से-उच्च एंथाल्पी भू-तापीय क्षेत्र (~115°C) है, जिसकी भूवैज्ञानिक विशेषताएँ कुशल और कम प्रभावी ड्रिलिंग का समर्थन करती हैं।
इस परियोजना में CESHS, नॉर्वेजियन जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट (NGI), आइसलैंड की कंपनी Geotropy ehf, और गुवाहाटी बोरिंग सर्विस (GBS) शामिल हैं।
संस्कृति मंत्रालय ने सोथबीज़ हॉन्ग कॉन्ग द्वारा पवित्र पिपरहवा अवशेषों की नीलामी को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई की है।
पिपरहवा अवशेष
ये अवशेष पिपरहवा स्तूप से खुदाई के दौरान प्राप्त हुए थे, जिसे प्राचीन कपिलवस्तु—भगवान बुद्ध की जन्मस्थली—माना जाता है।
इनका ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व अत्यधिक है। इनकी खोज 1898 में विलियम क्लैक्सटन पेप्पे द्वारा की गई थी और इन अवशेषों में अस्थि खंड, कलश, और सोना व रत्न जैसी भेंट शामिल हैं।