वस्तु एवं सेवा कर (GST) के 8 वर्ष

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ 

  • भारत ने 1 जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के क्रियान्वयन के आठ वर्ष पूर्ण कर लिए हैं — यह एक महत्वपूर्ण सुधार था जिसका उद्देश्य “एक राष्ट्र, एक कर” व्यवस्था बनाना था।

GST के प्रमुख पहलू 

  • गंतव्य-आधारित अप्रत्यक्ष कर: GST एक गंतव्य-आधारित कर है, जिसका अर्थ है कि कर राजस्व उस राज्य को प्राप्त होता है जहाँ वस्तु या सेवा की खपत होती है, न कि जहाँ वह उत्पन्न हुई थी। यह पूर्ववर्ती उत्पत्ति-आधारित कर व्यवस्था से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
  • द्वैध GST मॉडल: भारत ने द्वैध GST मॉडल अपनाया है, जिसके अंतर्गत केंद्र और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दोनों वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाते हैं:
    • केंद्रीय GST (CGST): केंद्र सरकार द्वारा एकत्र
    • राज्य GST (SGST)/केंद्रशासित GST (UTGST): राज्यों/UTs द्वारा एकत्र
    • एकीकृत GST (IGST): अंतर्राज्यीय लेनदेन और आयात पर केंद्र द्वारा लगाया जाता है, जिसे बाद में केंद्र और उपभोग राज्य के बीच विभाजित किया जाता है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC): GST आपूर्ति श्रृंखला में इनपुट टैक्स क्रेडिट का सहज प्रवाह सक्षम बनाता है।
    • व्यवसाय वे करों का क्रेडिट प्राप्त कर सकते हैं जो उन्होंने उन इनपुट्स पर चुकाए हैं, जो वे वस्तुएं/सेवाएं प्रदान करने में प्रयोग करते हैं — इससे करों की दोहराव से बचाव होता है।
  • शून्य-रेटेड निर्यात: GST के अंतर्गत निर्यात को शून्य-रेटेड आपूर्ति माना जाता है। निर्यातक इनपुट करों की वापसी का दावा कर सकते हैं, जिससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
  • वर्तमान GST संरचना में चार मुख्य दर श्रेणियाँ हैं: 5%, 12%, 18% और 28%। तीन विशेष दरें भी हैं:
    • 3% सोना, चाँदी, हीरे और आभूषणों पर
    • 1.5% कटे और पालिश किए गए हीरों पर
    • 0.25% कच्चे हीरों पर GST क्षतिपूर्ति उपकर कुछ चयनित वस्तुओं पर लगाया जाता है जैसे कि तंबाकू उत्पाद, वातित पेय और मोटर वाहन। यह राज्यों को GST संक्रमण के कारण हुए राजस्व हानि की भरपाई हेतु उपयोग होता है।
GST के प्रमुख पहलू

8 वर्षों में GST की उपलब्धियाँ

  • एकीकृत कर संरचना: GST ने 17 केंद्रीय और राज्य करों एवं 23 उपकरों को समाहित किया, जिससे विखंडन घटा और कर प्रणाली सरलीकृत हुई।
  • राजस्व में वृद्धि: 2024–25 में, GST का अब तक का सर्वाधिक सकल संग्रह ₹22.08 लाख करोड़ रहा, जो 9.4% वार्षिक वृद्धि दर्शाता है। औसत मासिक संग्रह ₹1.84 लाख करोड़ रहा।
  • सक्रिय करदाताओं की संख्या में वृद्धि: 30 अप्रैल 2025 तक सक्रिय GST पंजीकरण की संख्या 1.51 करोड़ से अधिक हो गई।

GST की कमियाँ

  • प्रमुख क्षेत्रों का बहिष्करण: पेट्रोलियम उत्पाद (कच्चा तेल, डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, ATF) और मानव उपभोग हेतु शराब GST से बाहर हैं — इससे एकीकृत कर प्रणाली का लक्ष्य अधूरा रहता है।
  • जटिल दर संरचना: 0%, 5%, 12%, 18%, 28% के साथ-साथ 0.25%, 1%, 3% की विशेष दरें और क्षतिपूर्ति उपकर दरों का होना — वर्गीकरण विवाद और मुकदमों को बढ़ाता है।
  • नियमों और अनुपालन में बार-बार परिवर्तन: MSMEs सहित व्यवसायों को बार-बार रिटर्न फॉर्मेट बदलने, विलंब शुल्क और नियमों की व्याख्या की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
  • उलटा शुल्क ढांचा: वस्त्र और जूते-चप्पल जैसे क्षेत्रों में इनपुट पर कर दर आउटपुट से अधिक है, जिससे पूंजी प्रवाह में बाधा आती है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट पर प्रतिबंध: प्रक्रियात्मक त्रुटियों या आपूर्तिकर्ता की अनुपालन विफलता के कारण ITC अक्सर अस्वीकार कर दिया जाता है, जिससे प्राप्तकर्ता पर अनुचित भार पड़ता है।
  • विवाद समाधान में देरी: GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) वर्षों तक चालू नहीं रहा, जिससे हजारों अपील लंबित रहीं और उच्च न्यायालयों पर भार बढ़ा।

GST में आवश्यक सुधार (GST 2.0)

  • पेट्रोलियम उत्पादों और बिजली का समावेश: वर्तमान बहिष्करण से कर दोहराव होता है और इनपुट क्रेडिट की उपलब्धता घटती है।
    • समावेश से कर आधार विस्तृत होगा, मूल्य निर्धारण पारदर्शी बनेगा और क्षेत्रों में विकृति कम होगी।
  • MSMEs हेतु अनुपालन को सरल बनाना: छोटे करदाताओं के लिए त्रैमासिक रिटर्न और सरलीकृत फॉर्मेट लागू करें।
    • ITC मिलान उपकरण प्रदान करें ताकि विसंगतियाँ रोकी जा सकें।
  • कर आधार का विस्तार: छूटों की समीक्षा एवं युक्तिकरण करें, विशेष रूप से वे जो सीमित लाभ देती हैं या विकृति उत्पन्न करती हैं।
    • गिग अर्थव्यवस्था और डिजिटल सेवाओं को व्यापक रूप से शामिल करें।
  • ITC तंत्र में सुधार: प्रक्रियात्मक चूक (जैसे आपूर्तिकर्ता ने चालान अपलोड नहीं किया) के कारण ITC अस्वीकृति अनुचित है।
    • प्रोविजनल क्रेडिट की अनुमति दें और आपूर्तिकर्ता-क्रेता मिलान उपकरण बेहतर बनाएं।
  • GST दरों का युक्तिकरण: दरों की अधिकता को घटाएं जिससे अनुपालन सरल हो और विवाद घटें।
  • GST परिषद के कामकाज में सुधार: पारदर्शिता, हितधारक परामर्श, और समयबद्ध निर्णय को बढ़ावा दें।
    • गतिरोध की स्थिति में भारित मतदान पर विचार करें, ताकि सहकारी संघवाद बना रहे।
वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद 
– GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A के अंतर्गत 101वें संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा स्थापित की गई थी। केंद्रीय वित्त मंत्री इस परिषद के अध्यक्ष होते हैं।
– GST परिषद केंद्र और राज्यों को GST से संबंधित प्रमुख विषयों पर सिफारिशें देती है, जैसे:
1. GST में समाहित किए जाने वाले कर, उपकर और अधिभार
2. कौन-कौन सी वस्तुएँ और सेवाएँ GST के अंतर्गत आएँगी या छूट पाएँगी
3. मॉडल GST कानून, शुल्क की सिद्धांत और IGST के आवंटन
4. कर दरें, सीमाएँ, विशेष प्रावधान और GST से जुड़े अन्य विषय
विवाद समाधान: यह परिषद केंद्र और राज्यों या राज्यों के बीच GST से जुड़े विवादों के समाधान का मंच भी है।
केंद्र के पास कुल मतदान शक्ति का एक-तिहाई हिस्सा है, जबकि राज्यों के पास दो-तिहाई।

निष्कर्ष

  •  GST लागू होने के आठ वर्षों में भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, लेकिन यह अब भी सुधार की प्रक्रिया में है। 
  • जैसे-जैसे भारत $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, GST 2.0 सुधार केवल वांछनीय नहीं — बल्कि आवश्यक हैं ताकि विकास स्थायी रहे, राजस्व स्थिरता बनी रहे और सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिले।

Source: TH

 

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