राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण (NAKSHA)

पाठ्यक्रम: GS2/शासन व्यवस्था

संदर्भ

  • हाल ही में सरकार ने एक पायलट परियोजना, राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित शहरी आवास भूमि सर्वेक्षण (NAKSHA) का शुभारंभ किया।

परिचय

  • 2024-25 के बजट में घोषित किया गया।
  • उद्देश्य: रिकॉर्ड रखने का मानकीकरण, प्रक्रियाओं को सरल बनाना और भूमि लेनदेन में पारदर्शिता लाना।
  • बजट: पहले चरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये।
  • विशेषताएँ:
    • आगामी वर्ष में देश भर के 150 शहरों में अद्यतन डिजिटल भूमि रिकॉर्ड बनाना।
    • प्रत्येक भूमि पार्सल को भूमि के मालिक और उस पर विकास के प्रकार के विवरण के साथ जोड़ना।
    • 5 वर्षों की अवधि के अंदर देश के पूरे शहरी क्षेत्र को कवर करना।
  • पृष्ठभूमि: 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2030 तक भारत की लगभग 40% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहने की संभावना है।
    • शहरों के नियोजित विकास के लिए भूमि और संपत्ति रिकॉर्ड प्रणालियों को सुव्यवस्थित करना आवश्यक है।
    • कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे कुछ ही राज्यों में शहरी भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन की व्यवस्था है।
    • कई एजेंसियों की भागीदारी के कारण अधिकांश शहरों में पुराने भूमि रिकॉर्ड हैं।
  • अन्य पहल: केंद्र सरकार की दो महत्त्वपूर्ण योजनाओं – डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) और गाँवों का सर्वेक्षण एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण (SVAMITVA) योजना का सफल कार्यान्वयन हुआ है।
    •  इन योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि पार्सल और आवासीय क्षेत्रों के लिए भूमि अभिलेखों का आधुनिकीकरण करना था।

भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की आवश्यकता

  • यह विवादों, धोखाधड़ी और अकुशल मैनुअल प्रक्रियाओं जैसी पारंपरिक चुनौतियों का समाधान करके भूमि प्रबंधन को परिवर्तित कर देगा। 
  • स्वामित्व संबंधी जानकारी ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध होगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध अतिक्रमण कम होंगे। 
  • यह विवाद समाधान को सरल बनाता है, न्यायालयी भार को कम करता है और भूमि अधिकारों तक पहुँच में सुधार करके हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाता है। 
  • भू-स्थानिक मानचित्रण के साथ एकीकरण भूमि प्रबंधन को बढ़ाता है, जिससे सटीक सर्वेक्षण और योजना बनाना संभव होता है। 
  • भूमि अधिग्रहण या आपदाओं के दौरान, डिजिटल रिकॉर्ड उचित और समय पर मुआवज़ा सुनिश्चित करते हैं।

DILRMP के अंतर्गत उपलब्धियाँ

  • आधुनिक और पारदर्शी भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली स्थापित करने के लिए 2016 में इसे केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
  • उपलब्धियाँ:
    • लगभग 95% भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर कैडस्ट्रल मानचित्रों का डिजिटलीकरण 68.02% तक पहुँच गया है।
    • 87% उप-पंजीयक कार्यालयों को भूमि अभिलेखों के साथ एकीकृत किया गया है।

निष्कर्ष

  • भारत भूमि प्रशासन में एक परिवर्तनकारी बदलाव देख रहा है, जो भूमि संबंधी जानकारी की पारदर्शिता और पहुँच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। 
  • यह परिवर्तन हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें स्वामित्व के सुरक्षित और सुलभ प्रमाण के साथ सशक्त बनाता है। 
  • जैसे-जैसे भूमि रिकॉर्ड स्पष्ट एवं अधिक सुलभ होते जाते हैं, वे अधिक समावेशी और समतावादी समाज का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Source: TP

 

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