कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/अर्थव्यवस्था

समाचार में

  • भागथला खुर्द, कपूरथला और अमृतसर के किसान मक्का और मूंग की फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का प्रयोग कर रहे हैं।
क्या आप जानते हैं ?
ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (UAVs), कम्प्यूटरीकृत उड़ने वाले वाहन हैं जो स्वायत्त रूप से संचालित हो सकते हैं या दूर से नियंत्रित किए जा सकते हैं। ड्रोन मार्ग नियोजन और नेविगेशन के लिए GPS का उपयोग करते हैं। सटीक नियंत्रण के लिए उन्हें दूरस्थ ऑपरेटरों के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है। ड्रोन विभिन्न सेंसर से लैस हो सकते हैं, जिनमें सम्मिलित हैं:स्पेक्ट्रल कैमरे: विभिन्न तरंगदैर्घ्यों में विस्तृत चित्र कैप्चर करने के लिए। थर्मल इमेजिंग यूनिट: फसलों में तापमान भिन्नता की निगरानी के लिए। LiDAR सिस्टम: खेतों के उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र और 3D मॉडल बनाने के लिए।

कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी

  • कृषि के लिए भारतीय ड्रोन बाजार अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसमें आशाजनक वृद्धि दिख रही है।
  •  पंजाब में, केंद्र की ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) द्वारा किसानों को उपलब्ध कराए गए 100 में से 93 ड्रोन पहले से ही चालू हैं।
  •  इन ड्रोन की कीमत 16 लाख रुपये प्रति ड्रोन है और इनमें 12 लीटर पानी की टंकी लगी हुई है।
कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी

लाभ

  • स्वास्थ्य सुरक्षा: ड्रोन किसानों को हानिकारक कीटनाशकों के सीधे संपर्क में आने से बचाते हैं, जिससे कैंसर और किडनी की बीमारियों जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • दक्षता: ड्रोन प्रति एकड़ 5-7 मिनट में छिड़काव कार्य पूरा कर लेते हैं, जबकि मैन्युअल रूप से छिड़काव करने में कई घंटे लगते हैं।
    • वे एकसमान अनुप्रयोग भी सुनिश्चित करते हैं, जिससे फसल की पैदावार में सुधार होता है। 
    • ड्रोन से प्राप्त डेटा उन क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करता है, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे फसल की पैदावार में सुधार हो सकता है और मुनाफ़ा बढ़ सकता है।
  • नैनो उर्वरक: ड्रोन नैनो उर्वरकों को कुशलतापूर्वक संभालते हैं, जिससे छोटी मात्रा में समान रूप से छिड़काव सुनिश्चित होता है, जिसे अन्यथा मैन्युअल रूप से फैलाना चुनौतीपूर्ण होता है।
  • कीट नियंत्रण: ड्रोन गुलाबी बॉलवर्म, टिड्डे और सफेद मक्खियों जैसे कीटों के संक्रमण के दौरान समय पर और प्रभावी छिड़काव प्रदान करते हैं।
  • पर्यावरणीय लाभ: ड्रोन नैनो उर्वरकों से पोषक तत्वों के अवशोषण को 90% तक बढ़ा सकते हैं, जिससे अपवाह और प्रदूषण कम हो सकता है।
    • पत्ती-आधारित अनुप्रयोग, मृदा-आधारित विधियों की तुलना में कम प्रदूषणकारी है।
  • जल संरक्षण: पारंपरिक कीटनाशक अनुप्रयोग विधियों की तुलना में ड्रोन पानी के उपयोग में 90% तक की कटौती करते हैं।
  • कम लागत: ड्रोन मैनुअल श्रम की आवश्यकता को कम करते हैं और कीटनाशक तथा रासायनिक उपयोग को कम करते हैं, जिससे कुल लागत कम हो जाती है।
  • अतिरिक्त उपयोग: ड्रोन का उपयोग संभावित पुनर्वनीकरण परियोजनाओं के लिए बीज गेंदें (बीज के साथ मिट्टी और गोबर की गेंदें) गिराने के लिए भी किया जा रहा है।

ड्रोन प्रौद्योगिकी अपनाने की चुनौतियाँ

  • रोजगार की हानि: ड्रोन के प्रयोग से मैनुअल श्रम की मांग कम हो सकती है, जिससे मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर प्रभावित हो सकते हैं।
  • ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी: किसानों के पास ड्रोन को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण की कमी हो सकती है।
  • लागत: ड्रोन की उच्च लागत विभिन्न किसानों के लिए बाधा बन सकती है।
  • नियामक बाधाएँ: ऐसी नियामक चुनौतियाँ हो सकती हैं जो कृषि में ड्रोन को अपनाना जटिल बनाती हैं।

पहल:

  • डिजिटल इंडिया अभियान का उद्देश्य डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार करना और प्रशिक्षण प्रदान करना है।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) जैसे संगठन ड्रोन सहित सटीक कृषि प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: यह योजना घरेलू ड्रोन निर्माण को प्रोत्साहित करने और आयात निर्भरता को कम करने के लिए 120 करोड़ रुपये (US$ 14.39 मिलियन) का काफी वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM): यह पहल ड्रोन खरीदने वाले किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे यह तकनीक अधिक सुलभ हो जाती है।
  • भारत सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) को सशक्त बनाने और आधुनिक कृषि तकनीक तक पहुँच प्रदान करने के उद्देश्य से नमो ड्रोन दीदी योजना शुरू की है।
  • सहायता और प्रशिक्षण: ड्रोन अपनाने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

निष्कर्ष और आगे की राह 

  • ड्रोन तकनीक में दक्षता, पैदावार और लागत-प्रभावशीलता को बढ़ाकर कृषि में क्रांति लाने की क्षमता है। 
  • ड्रोन पंजाब के खेतों में कीटनाशक या उर्वरक के अनुप्रयोग में क्रांति ला सकते हैं, जो परंपरागत रूप से या तो किराए के मजदूरों या किसानों द्वारा मैन्युअल रूप से किया जाता है। 
  • इसलिए किसानों तथा नीति निर्माताओं के लिए चुनौतियों का समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी चिंता को कम करते हुए ड्रोन के लाभों को प्राप्त किया जाए।

Source:IE

 

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