पाठ्यक्रम: बौद्धिक संपदा अधिकार से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- हाल के वर्षों में, वैश्विक स्तर पर दायर पेटेंट आवेदनों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिससे नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं और उद्योग जगत के नेताओं के बीच नवाचार एवं आर्थिक विकास पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं।
पेटेंट आवेदनों में वैश्विक दृष्टिकोण: प्रमुख अवलोकन
- वैश्विक पेटेंट दाखिलों में मंदी: WIPO पेटेंट रिपोर्ट 2023 ने वैश्विक स्तर पर पेटेंट आवेदनों में मंदी को प्रकट किया।
- 2023 में, अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट दाखिलों में 1.8% की कमी आई, कुल 272,600 आवेदन हुए।
- वैश्विक प्रवृत्तियों में चीन की भूमिका: चीन एक दशक से अधिक समय से पेटेंट दाखिलों में अग्रणी देश रहा है।
- हालाँकि, चीन के पेटेंट आवेदनों में भी थोड़ी कमी देखी गई, जो तकनीकी नवाचारों में व्यापक मंदी को दर्शाता है।
- विकसित राष्ट्र के गति में कमी: संयुक्त राज्य अमेरिका पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) ने आवेदनों में गिरावट की सूचना दी, जो मुख्य रूप से आर्थिक अनिश्चितताओं एवं कॉर्पोरेट आर.एंड.डी. प्राथमिकताओं में बदलाव के कारण है।
- अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने नवाचार-संचालित पेटेंट में धीमी वृद्धि दर्ज की।
- विकास को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही उभरती अर्थव्यवस्थाएँ: ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका आदि सहित कई विकासशील देशों ने पेटेंट दाखिलों में ठहराव या गिरावट देखी है।
- भारत में पेटेंट आवेदनों में गिरावट: पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक कार्यालय (CGPDTM) के अनुसार, भारत में पेटेंट आवेदनों में 3.2% की गिरावट देखी गई।
- घरेलू पेटेंट फाइलिंग बनाम विदेशी फाइलिंग का अनुपात कम बना हुआ है, भारतीय आवेदकों की हिस्सेदारी कुल पेटेंट का केवल 30-35% है।
वैश्विक स्तर पर गिरावट में योगदान देने वाले कारक
- आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव: व्यापार युद्ध, प्रतिबंध और बदलते नियम (जैसे, अमेरिका-चीन प्रौद्योगिकी प्रतिद्वंद्विता) ने सीमा पार अनुसंधान और विकास सहयोग में बाधाएँ उत्पन्न की हैं।
- फलस्वरूप, कंपनियाँ दीर्घकालिक IP निवेशों पर तत्काल लाभप्रदता को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे पेटेंट दाखिल करने में कमी आई है।
- बढ़ती मुद्रास्फीति और ब्याज दरें: पूँजी की उच्च लागत ने व्यवसायों को दीर्घकालिक नवाचार में निवेश करने में हिचकिचाहट पैदा की है, विशेषकर उन उद्योगों में जहाँ निवेश पर रिटर्न (ROI) अनिश्चित है।
- उच्च लागत और जटिलता: छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) और व्यक्तिगत आविष्कारकों को पेटेंट दाखिल करने, रखरखाव एवं प्रवर्तन से जुड़ी लागतों को वहन करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है।
- यह संभावित आवेदकों को पेटेंट प्राप्त करने से रोक सकता है।
- व्यापार रहस्यों की ओर बदलाव: व्यापार रहस्य तब तक अनिश्चित सुरक्षा प्रदान करते हैं जब तक जानकारी गोपनीय रहती है, जबकि पेटेंट सीमित अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- यह उन उद्योगों में विशेष रूप से स्पष्ट है जहाँ तेजी से तकनीकी प्रगति दीर्घकालिक पेटेंट सुरक्षा को कम आकर्षक बनाती है।
- विघटनकारी क्षमता में कमी: शोध से पता चलता है कि समय के साथ शोधपत्र और पेटेंट कम विघटनकारी होते जा रहे हैं।
- आजकल नवाचार प्रायः अभूतपूर्व होने के बजाय वृद्धिशील होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेटेंट आवेदन कम हो सकते हैं।
भारत में गिरावट के कारण
- उच्च लागत और नौकरशाही देरी: भारत में स्टार्टअप और व्यक्तिगत आविष्कारकों के लिए पेटेंट आवेदन की लागत अपेक्षाकृत अधिक बनी हुई है।
- भारत में पेटेंट देने का औसत समय 4-6 वर्ष है, जो वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में बहुत कम है।
- R&D निवेश अंतर: दक्षिण कोरिया (4.5%), यू.एस. (~ 3%) और चीन (~ 2.2%) जैसे देशों की तुलना में भारत का R&D पर व्यय GDP के 1% से भी कम है।
- नवाचार में निवेश की कमी पेटेंट योग्य आविष्कारों की संख्या को प्रभावित करती है।
- कमजोर उद्योग-अकादमिक सहयोग: जर्मनी और यू.एस. जैसे देशों के विपरीत, जहाँ विश्वविद्यालय पेटेंट में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, भारत का अकादमिक-उद्योग संबंध कमजोर बना हुआ है।
- भारत में विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित पेटेंट चीन या अमेरिका की तुलना में बहुत कम हैं।
- बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (IPAB) का उन्मूलन: न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम, 2021 ने IPAB को समाप्त कर दिया और इसके कार्यों को वाणिज्यिक न्यायालयों और उच्च न्यायालयों को हस्तांतरित कर दिया।
- इसने बौद्धिक संपदा (IP) मामलों से संबंधित अपीलों को संभालने में एक शून्यता उत्पन्न कर दी है, जिससे संभावित विलंब और अदालतों पर अधिक भार पड़ रहा है।
- अनिवार्य लाइसेंसिंग: पेटेंट अधिनियम की धारा 84 के अंतर्गत , भारत अनिवार्य लाइसेंसिंग की अनुमति देता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के मामलों में तीसरे पक्ष के निर्माता पेटेंट धारक की सहमति के बिना पेटेंट उत्पाद का उत्पादन कर सकते हैं।
- भारत ने कैंसर की दवा नेक्सावर (सोराफेनीब) के लिए अनिवार्य लाइसेंस प्रदान किया, जिससे इसकी लागत ₹2.8 लाख से घटकर ₹8,800 प्रति माह हो गई।
- यद्यपि यह तंत्र दवाओं तक सस्ती पहुँच सुनिश्चित करता है, यह उच्च लागत वाले अनुसंधान क्षेत्रों में विदेशी निवेश और नवाचार को हतोत्साहित करता है।
- जटिल बौद्धिक संपदा (IP) कानून: भारतीय पेटेंट प्रणाली को जटिल और समय लेने वाली माना जाता है, जिसके कारण कई फर्म पेटेंट दाखिल करने से बचती हैं। प्रक्रियात्मक मुद्दों के कारण उच्च अस्वीकृति दर आवेदकों को हतोत्साहित करती है।
- जनशक्ति की कमी: उदाहरण के लिए, भारत के पेटेंट कार्यालय में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों की तुलना में काफी कम कर्मचारी हैं।
- इससे आवेदनों को संसाधित करने में देरी होती है और आविष्कारक पेटेंट दाखिल करने से हतोत्साहित हो सकते हैं।
वैश्विक प्रभाव
- नवाचार के लिए प्रोत्साहन में कमी: पेटेंट आवेदनों में कमी से आविष्कारकों के लिए नई तकनीक और समाधान विकसित करने की प्रेरणा कम हो सकती है।
- तकनीकी प्रगति में संभावित मंदी: पेटेंट आवेदनों में कमी तकनीकी प्रगति में मंदी का संकेत दे सकती है।
- पेटेंट का उपयोग प्रायः किसी देश की तकनीकी शक्ति और नवाचार क्षमता के संकेतक के रूप में किया जाता है।
- ओपन इनोवेशन और सहयोग का उदय:
- फार्मास्युटिकल्स: कंपनियाँ IP की कठोर सुरक्षा करने के बदले दवा की खोज में तीव्रता लाने के लिए पूर्व-प्रतिस्पर्धी सहयोग में संलग्न हैं।
- सॉफ्टवेयर और AI: ओपन-सोर्स AI फ्रेमवर्क ने प्रमुखता प्राप्त की है, जिससे पेटेंट की आवश्यकता कम हो गई है।
- ग्रीन टेक्नोलॉजी: कई फर्म और सरकारें सतत् समाधानों को अपनाने में तीव्रता लाने के लिए ओपन-एक्सेस पेटेंट को बढ़ावा दे रही हैं।
भारत पर प्रभाव
- नवाचार और स्टार्टअप: पेटेंट दाखिल करने में गिरावट से भारत की घरेलू नवाचार को बढ़ावा देने की क्षमता कम हो सकती है, जिससे स्टार्टअप विकास प्रभावित हो सकता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): मजबूत IP संरक्षण वाले देश उच्च तकनीक उद्योगों में अधिक FDI आकर्षित करते हैं। एक कमजोर पेटेंट प्रणाली विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती है।
- वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा: यदि पेटेंट गतिविधि कमजोर रही तो वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में गिरावट आ सकती है।
- मजबूत पेटेंटिंग गतिविधि वाले देश उच्च तकनीक निर्यात और वैश्विक अनुसंधान एवं विकास केंद्रों पर हावी होते हैं।
गिरावट को पलटने के लिए वैश्विक प्रयास
- नीति सुधार और प्रोत्साहन:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: U.S. पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) ने हरित ऊर्जा और AI जैसी कुछ प्रौद्योगिकियों के लिए फास्ट-ट्रैक कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं, जिससे स्वीकृति का समय कम हो गया है।
- चीन: चीन के राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रशासन (CNIPA) ने अनुसंधान और विकास में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए कर प्रोत्साहन एवं सब्सिडी का विस्तार किया है।
- यूरोपीय संघ: यूनिटरी पेटेंट सिस्टम की प्रारंभआत यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में पेटेंट दाखिल करने की लागत को सरल और कम करने के लिए की गई है।
- पेटेंट कार्यालयों में डिजिटलीकरण और AI:
- AI-सहायता प्राप्त पेटेंट परीक्षा: दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देश पूर्व कला खोजों और पेटेंट वर्गीकरण को गति देने के लिए AI-संचालित उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
- IP सुरक्षा के लिए ब्लॉकचेन: WIPO दाखिल करने की प्रक्रिया में सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ब्लॉकचेन-आधारित पेटेंट रजिस्ट्री की खोज कर रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सामंजस्य:
- पेटेंट अभियोजन राजमार्ग (PPH): यह कार्यक्रम कई अधिकार क्षेत्रों में आवेदनों के तेजी से प्रसंस्करण की अनुमति देता है।
- एकीकृत पेटेंट न्यायालय (UPC): यूरोपीय संघ के नए न्यायालय का उद्देश्य मुकदमेबाजी की लागत को कम करना और सदस्य राज्यों में प्रवर्तन में सुधार करना है।
- उद्योग-नेतृत्व वाली पहल:
- ओपन इनोवेशन का समर्थन करने वाली टेक दिग्गज: IBM, Google और Microsoft जैसी कंपनियाँ हाइब्रिड रणनीतियाँ अपना रही हैं, प्रमुख तकनीकों का पेटेंट करा रही हैं और साथ ही ओपन-सोर्स परियोजनाओं में भी भाग ले रही हैं।
- वेंचर कैपिटल और IP निवेश: निवेशक लगातार मजबूत पेटेंट पोर्टफोलियो वाले स्टार्टअप को फंड दे रहे हैं, जिससे निरंतर इनोवेशन सुनिश्चित हो रहा है।
पेटेंट दाखिल करने में भारत की पहल से वृद्धि
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति (2016): इसे जागरूकता को बढ़ावा देने, पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रियाओं को सरल बनाने और पेटेंट के व्यावसायीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रस्तुत किया गया था।
- स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) योजना: यह स्टार्टअप को पेटेंट दाखिल करने, लागत कम करने और तेजी से प्रसंस्करण की सुविधा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- नीति आयोग द्वारा अटल नवाचार मिशन (AIM): इसका उद्देश्य भारत में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है। इसने इन कार्यों का समर्थन करने के लिए चार कार्यक्रम बनाए हैं:
- अटल टिंकरिंग लैब्स;
- अटल इनक्यूबेशन सेंटर;
- अटल न्यू इंडिया चैलेंज और अटल ग्रैंड चैलेंज;
- मेंटर इंडिया;
- पेटेंट फाइलिंग का डिजिटलीकरण: ऑनलाइन फाइलिंग सिस्टम की शुरूआत और भारतीय पेटेंट कार्यालय के स्वचालन ने पेटेंट प्रसंस्करण में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार किया है।
- पेटेंट अभियोजन राजमार्ग (PPH): भारत ने पेटेंट जांच में तेजी लाने और अनुमोदन समयसीमा को कम करने के लिए जापान जैसे देशों के साथ समझौते किए।
- भारत 2019 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संधियों के नाइस, वियना और लोकार्नो जैसे समझौतों में शामिल हुआ, जो भारत के बौद्धिक संपदा कार्यालय (IPO) को वैश्विक मानकों के अनुरूप ट्रेडमार्क, डिजाइन और अन्य बौद्धिक संपदा को वर्गीकृत करने में सहायता करते हैं।
- नाइस समझौता: चिह्नों के पंजीकरण के प्रयोजनों के लिए वस्तुओं और सेवाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण;
- वियना समझौता: चिह्नों के आलंकारिक तत्वों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण;
- लोकार्नो समझौता: औद्योगिक डिजाइनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण।
आगे की राह: पेटेंट वृद्धि को पुनर्जीवित करना
- R&D निवेश को मजबूत करना: भारत को R&D फंडिंग को GDP के कम से कम 2% तक बढ़ाना चाहिए, जिससे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अधिक नवाचार को बढ़ावा मिले।
- R&D में निवेश करने वाली कंपनियों को कर प्रोत्साहन प्रदान करने से पेटेंट दाखिल करने को बढ़ावा मिल सकता है।
- पेटेंट प्रक्रिया को सरल बनाना: नौकरशाही की देरी को कम करना और पेटेंट कानूनों को सरल बनाना अधिक आवेदकों को प्रोत्साहित कर सकता है।
- भारत को वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए पेटेंट परीक्षा को डिजिटल और फास्ट-ट्रैक करने की आवश्यकता है।
- अकादमिक-उद्योग सहयोग को प्रोत्साहित करना: समर्पित IP सेल बनाकर विश्वविद्यालयों को पेटेंट दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- अनुसंधान संस्थानों और निजी कंपनियों के बीच सहयोग से पेटेंट उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है।
- स्टार्टअप और SMEs के लिए पेटेंट को अधिक सुलभ बनाना: आवेदन शुल्क कम करना और स्टार्टअप के लिए कानूनी सहायता प्रदान करना दाखिल करने में वृद्धि कर सकता है।
- स्टार्टअप के लिए फास्ट-ट्रैक पेटेंट प्रक्रिया प्रारंभ करने से नवाचार को गति देने में सहायता मिल सकती है।
- उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान दें: भारत में एक मजबूत IT क्षेत्र है और AI, ब्लॉकचेन और बायोटेक उद्योग बढ़ रहे हैं।
- इन क्षेत्रों में पेटेंट को प्राथमिकता देने से भारत की वैश्विक पेटेंट रैंकिंग में सुधार हो सकता है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] पेटेंट आवेदनों में हाल ही में आई गिरावट के लिए प्राथमिक कारक क्या हैं? नवाचार, आर्थिक विकास एवं कानूनी परिदृश्य पर संभावित प्रभाव पर चर्चा कीजिए और ऐसे उपाय प्रस्तावित कीजिए जो पेटेंट दाखिलों में पुनरुत्थान को प्रोत्साहित कर सकें। |
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