भारत में पंचायत स्तर पर ‘माइक्रोपिक्चर’ प्राप्त करना

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

संदर्भ 

  • भारत में स्थानीय शासन प्रायः सुलभ और विस्तृत डेटा की कमी का सामना कर रहा है, जिससे पंचायत नेताओं के लिए अपने समुदायों का प्रभावी मूल्यांकन करना कठिन हो जाता है।

भारत में स्थानीय शासन में माइक्रो डेटा की आवश्यकता

  • पंचायती राज प्रणाली और नगरपालिका निकाय नागरिकों और राज्य के बीच प्रथम संपर्क बिंदु हैं।
    • ये विभिन्न डेटा सेटों पर निर्भर होते हैं ताकि आवश्यकताओं का आकलन, संसाधनों का आवंटन और प्रगति की निगरानी की जा सके।
  • परिवारों, रोजगार, बुनियादी ढाँचे, शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपरिष्कृत डेटा एकत्र करना आवश्यक है, जिससे—
    • गाँव के अन्दर असमानताओं और सामाजिक संरचनाओं को समझने में सहायता मिलती है।
    • अल्ट्रा-लोकल प्राथमिकताओं की पहचान होती है, जो जिला या राज्य स्तर के योजनाकारों के लिए अदृश्य रह सकती हैं
  • विस्तृत डेटा पंचायतों को सशक्त करता है, जिससे वे—
    • तथ्य-आधारित निर्णय ले सकें।
    • जन सेवा वितरण में सुधार कर सकें (जैसे, जल आपूर्ति, स्वच्छता, विद्यालय)।
    • कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को अधिक कुशलता से मॉनिटर कर सकें।

चिंताएँ और चुनौतियाँ

  • डेटा की उपयोगिता:
    • विभिन्न मंत्रालय पोर्टलों और राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और सुलभता नीति (NDSAP), 2012 जैसे ढाँचों में वृहद डेटा सेट उपलब्ध हैं।
    • खुले डेटा ढाँचे के बावजूद, डेटा प्रारूप जनता या प्रशिक्षित शोधकर्त्ताओं के लिए भी उपयोगी नहीं हैं।
  • स्थानीय समस्याएँ:
    • ‘टॉप-डाउन’ और मैक्रो-स्तरीय मॉडल प्रायः जातिगत बहिष्कार, महिलाओं की अवैतनिक श्रम, जल संकट, या प्रवासन पैटर्न जैसी स्थानीय समस्याओं को पकड़ने में विफल रहते हैं।
  • स्थानीय स्तर पर असंगत डेटा:
    • पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर डेटा मुख्यतः उच्च प्रशासनिक पदों (जैसे सचिव और विभाग प्रमुखों) के लिए तैयार किया जाता है।
    • स्थानीय प्रतिनिधियों के पास जटिल डेटा सेटों को समझने के लिए सीमित तकनीकी विशेषज्ञता होती है।
  • जनगणना में विलंब:
    • सबूत-आधारित नीति निर्माण भारत में जनगणना संचालन में विलंब और समय-शृंखला डेटा की असंगत उपलब्धता के कारण चुनौतियों का सामना करता है।

भारत में पंचायतों की अन्य चुनौतियाँ

  • अपर्याप्त वित्तपोषण:
    • अधिकांश पंचायतें सरकारी अनुदानों पर अत्यधिक निर्भर हैं और स्वतंत्र राजस्व उत्पन्न करने के सीमित साधन हैं।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अध्ययन (2022-23) के अनुसार, औसत पंचायत राजस्व ₹21.23 लाख था, जिसमें केवल 1.1% स्थानीय करों और शुल्कों से आया।
  • तकनीकी और डिजिटल साक्षरता की कमी:
    • सीमित तकनीकी बुनियादी ढाँचा और कम डिजिटल साक्षरता प्रगति की प्रभावी निगरानी, मूल्यांकन और रिपोर्टिंग में बाधा डालती है।
    • डिजिटल उपकरणों के बिना, सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की वास्तविक समय ट्रैकिंग कठिन बनी रहती है।
  • ग्रामीण शासन में विखंडन:
    • गाँवों में कई सरकारी विभाग कार्य करते हैं लेकिन समुचित समन्वय की कमी के कारण कार्य की पुनरावृत्ति और संसाधनों का अप्रभावी उपयोग होता है।
    • विभिन्न योजनाओं और विभागों के असंगत तालमेल के कारण समग्र विकास कठिन बनता है

सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम

  • पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) बेसलाइन रिपोर्ट 2022-23:
    • यह पंचायतों का सूक्ष्म स्तर पर आकलन करता है, जिससे नेताओं को सूचित निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
    • यह स्थानीयकरण सतत विकास लक्ष्यों (LSDGs) के अनुरूप है।
    • PAI यह निर्धारित कर सकता है कि कोई ग्राम पंचायत ‘स्वस्थ पंचायत’ के रूप में योग्य है या नहीं, जिससे विशिष्ट अंतराल की पहचान और तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई संभव होती है।
  • राष्ट्रीय डेटा और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म (NDAP):
    • यह सरकारी डेटा सेटों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाता है, जिससे उपयोगकर्त्ता डेटा खोज, संयोजन, विज़ुअलाइज़ और डाउनलोड कर सकते हैं।
    • यह स्थानीय निकायों को प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने और शासन में सुधार करने में सहायता करता है
  • ओपन गवर्नमेंट डेटा (OGD) प्लेटफॉर्म:
    • यह विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से डेटा को सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाता है।
    • यह डेटा-आधारित नीति निर्माण और शासन में पारदर्शिता को सक्षम बनाता है।
  • संस्थानों और नागरिक समाज संगठनों (CSOs) की भूमिका:
    • सरकार ‘उन्नत भारत अभियान’ के तहत 4,000 से अधिक संस्थानों का लाभ उठाकर अधिकतम प्रभाव प्राप्त कर सकती है।
    • CSOs और संस्थागत विशेषज्ञता द्वारा पूरक ‘हैंड-होल्डिंग’ मॉडल विभागीय प्रयासों को सुदृढ़ कर सकता है और SDG प्राप्ति को तेज कर सकता है।

तकनीकी एकीकरण

  • ई-ग्रामस्वराज:
    • 22 भाषाओं में उपलब्ध डिजिटल शासन पहल, जो पारदर्शी निधि प्रबंधन और वास्तविक समय निगरानी को सक्षम बनाती है।
  • स्वामित्व योजना:
    • 3.17 लाख गाँवों में ड्रोन सर्वेक्षण किए गए, जिससे 2.19 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए गए, जो ग्रामीण संपत्ति मालिकों को सशक्त बनाते हैं।
  • माइक्रो मैटर्स पहल:
    • भारत की G20 अध्यक्षता के अंतर्गत डेटा-आधारित विकास पर केंद्रित, जो बिग डेटा एनालिटिक्स, AI और IoT के उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय शासन में सुधार होता है।

निष्कर्ष 

  • डेटा एनालिटिक्स को शासन में एकीकृत करके, भारत स्थानीय संस्थानों को सशक्त बना सकता है, जिससे लक्षित नीतियों का निर्माण, सेवा वितरण में सुधार और जवाबदेही में वृद्धि होगी—अंततः मजबूत और अधिक उत्तरदायी स्थानीय शासन की दिशा में अग्रसर होगा। 
  • भारत डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश कर रहा है, जिसमें गाँवों के लिए ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क और AI-संचालित डेटा एनालिटिक्स शामिल हैं। ये उन्नतियाँ सेवा वितरण और शासन दक्षता में सुधार करने के उद्देश्य से की जा रही हैं।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] सूक्ष्म स्तर के डेटा से पंचायत स्तर पर शासन में किस प्रकार सुधार लाया जा सकता है, तथा नीति निर्माण के लिए ऐसे डेटा का प्रभावी उपयोग करने में क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं?

Source: TH

 

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