पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- महत्त्वपूर्ण विनिर्माण उपकरणों के निर्यात पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों और भारतीय संयंत्रों से चीनी इंजीनियरों एवं तकनीशियनों को वापस बुलाने से आपूर्ति शृंखलाओं के चीन के रणनीतिक शस्त्रीकरण पर प्रकाश पड़ा है। इससे गंभीर चिंता उत्पन्न होती है, क्योंकि चीन भू-राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए इलेक्ट्रॉनिक आपूर्ति शृंखलाओं में अपने प्रभुत्व का लाभ उठा रहा है।
ई-आपूर्ति शृंखला में चीन का प्रभुत्व
- सेमीकंडक्टर और चिप विनिर्माण: चीन सेमीकंडक्टर उद्योग में एक प्रमुख अभिकर्त्ता है, जिसमें सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉरपोरेशन (SMIC) जैसी कंपनियाँ उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सैन्य अनुप्रयोगों के लिए चिप्स का उत्पादन करती हैं।
- यद्यपि अमेरिका और ताइवान उच्च-स्तरीय चिप निर्माण में अग्रणी हैं, चीन पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के लिए आत्मनिर्भरता में भारी निवेश कर रहा है।
- दुर्लभ मृदा खनिजों और घटकों का एकाधिकार: चीन वैश्विक दुर्लभ मृदा प्रसंस्करण के 60% से अधिक पर नियंत्रण रखता है, जो स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन और सैन्य अनुप्रयोगों सहित उच्च तकनीक उद्योगों के लिए आवश्यक है।
- चीन ने पहले भी कूटनीतिक विवादों के चलते जापान को दुर्लभ मृदा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे इन संसाधनों को हथियार बनाने की उसकी क्षमता का पता चला था।
- इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण केंद्र: प्रमुख वैश्विक निर्माता, जैसे कि फॉक्सकॉन (एप्पल के लिए आपूर्तिकर्ता), चीन के श्रम और बुनियादी ढाँचे पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- चीन का गहन एकीकृत विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र कम्पनियों के लिए स्थानांतरण को चुनौतीपूर्ण बना देता है।
- 5G और दूरसंचार अवसंरचना: चीनी कंपनियाँ हुआवेई और ZTE वैश्विक 5G उपकरण आपूर्ति पर हावी हैं।
- अमेरिका और भारत सहित कई देशों ने जासूसी और साइबर हमलों की चिंताओं के कारण चीनी दूरसंचार कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
चीन की शस्त्रीकरण रणनीतियाँ
- आपूर्ति शृंखला में व्यवधान एक राजनीतिक उपकरण के रूप में: चीन ने अपनी नीतियों को चुनौती देने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए सेमीकंडक्टर, बैटरी और दुर्लभ मृदा धातु के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है।
- उदाहरण: अमेरिका-चीन व्यापार तनाव के दौरान, चीन ने दुर्लभ मृदा धातु की आपूर्ति में कटौती करने की धमकी दी, जो अमेरिकी रक्षा और तकनीकी उद्योगों के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- साइबर जासूसी और डेटा सुरक्षा जोखिम: चीनी कंपनियों पर साइबर जासूसी का आरोप लगाया गया है, जिसमें समझौता किए गए हार्डवेयर के माध्यम से अमेरिकी रक्षा नेटवर्क में घुसपैठ करना भी शामिल है।
- उदाहरण: सुपरमाइक्रो घटना (2018), जहाँ चीन ने कथित तौर पर अमेरिकी कंपनी के सर्वर में जासूसी चिप्स डाली थी।
- डिजिटल निर्भरता के माध्यम से आर्थिक दबाव: कई विकासशील देश चीनी क्लाउड सेवाओं और अलीबाबा एवं टेनसेंट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर निर्भर हैं।
- डिजिटल अवसंरचना को नियंत्रित करके, चीन विरोधी देशों में डेटा प्रवाह में संशोधन कर सकता है या सेवाओं को बाधित कर सकता है।
- वैश्विक तकनीकी मानकों पर प्रभाव: चीन 5G, AI और क्वांटम कंप्यूटिंग में वैश्विक प्रौद्योगिकी मानकों को सक्रिय रूप से आकार देता है।
- मानक-निर्धारक निकायों को प्रभावित करके, बीजिंग यह सुनिश्चित करता है कि उसकी कंपनियाँ प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त बनाए रखें, तथा अन्य देशों को चीनी प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में बांधे रखें।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ और प्रतिउपाय
- सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला में विविधता लाना:
- अमेरिका, जापान और भारत चीन पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक चिप निर्माण में निवेश कर रहे हैं।
- चिप्स अधिनियम (USA) और भारत की PLI योजना का उद्देश्य घरेलू सेमीकंडक्टर उत्पादन को मजबूत करना है।
- भारत और यूरोप, चीन एवं ताइवान पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय चिप विनिर्माण में निवेश कर रहे हैं।
- उच्च जोखिम वाली चीनी प्रौद्योगिकी फर्मों पर प्रतिबंध:
- भारत ने सुरक्षा चिंताओं के कारण 2020 से अब तक 300 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- अमेरिका ने हुवावेई और ZTE पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे महत्त्वपूर्ण सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी तक उनकी पहुँच अवरुद्ध हो गई है।
- साइबर सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना:
- विदेशी प्रौद्योगिकी कंपनियों को विनियमित करने के लिए राष्ट्र साइबर सुरक्षा कानूनों को बढ़ा रहे हैं।
- यूरोपीय संघ के GDPR और भारत के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य डेटा संप्रभुता की रक्षा करना है।
- वैकल्पिक दुर्लभ पृथ्वी आपूर्ति शृंखलाओं का विकास:
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन के एकाधिकार का मुकाबला करने के लिए दुर्लभ पृथ्वी खनन परियोजनाएँ प्रारंभ की हैं।
- व्यापार गठबंधनों को मजबूत बनाना:
- क्वाड एलायंस (भारत, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया) और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) सुरक्षित तकनीकी साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- यूरोपीय संघ और अमेरिका चीन से स्वतंत्र लचीली आपूर्ति शृंखला बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।
भारत में विशिष्ट उपाय
- डिजिटल डिकॉप्लिंग और नीति प्रतिबंध:
- चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध: भारत ने डेटा लीक को रोकने और चीन के डिजिटल प्रभाव को कम करने के लिए 2020 से अब तक 300 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- चीनी निवेश की जाँच: भारत ने चीनी कंपनियों को भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों में हिस्सेदारी प्राप्त करने से रोकने के लिए FDI नियमों को कठोर कर दिया है।
- घरेलू विनिर्माण को मजबूत करना:
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स, अर्धचालक और दूरसंचार गियर विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा:
- भारत ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए 4-5 बिलियन डॉलर के प्रोत्साहन की शुरुआत की है।
- इसका लक्ष्य चीन पर निर्भरता कम करना तथा 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।
- आपूर्ति शृंखलाओं का विविधीकरण:
- आत्मनिर्भर भारत पहल: महत्त्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और IT हार्डवेयर के स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।
- साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण पहल:
- डेटा स्थानीयकरण नीतियाँ: भारत चीन स्थित सर्वरों पर महत्त्वपूर्ण डेटा के भंडारण को रोकने के लिए कठोर डेटा स्थानीयकरण पर बल दे रहा है।
- साइबर सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना: CERT-In जैसे संगठन चीनी साइबर खतरों के विरुद्ध साइबर रक्षा तंत्र को बढ़ा रहे हैं।
- दूरसंचार और 5G सुरक्षा उपाय:
- स्वदेशी 5G और AI प्रौद्योगिकियों का विकास: सरकार दीर्घकालिक डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दे रही है।
- नीतिगत उपाय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत चीन की ‘मेड इन चाइना 2025’ रणनीति का मुकाबला करने के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क और गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों पर विचार कर रहा है।
आगे की राह
- कई भारतीय स्टार्टअप और तकनीकी कंपनियाँ लागत लाभ के कारण अभी भी चीनी हार्डवेयर पर निर्भर हैं।
- पूर्ण आर्थिक वियोजन से उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है तथा व्यापार संघर्ष की संभावना बढ़ सकती है।
- इन बाधाओं को दूर करने के लिए भारत को निम्नलिखित कार्य करने होंगे:
- सेमीकंडक्टर और AI जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
- अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ जैसे प्रौद्योगिकी अग्रणी देशों के साथ मजबूत गठबंधन बनाना।
- घरेलू सेमीकंडक्टर और AI अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करना।
- आत्मनिर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के निर्माण के लिए दीर्घकालिक निवेश करना।
निष्कर्ष
- चीन द्वारा ई-आपूर्ति शृंखलाओं के शस्त्रीकरण से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है, जो अल्पकालिक जोखिम शमन और दीर्घकालिक तकनीकी आत्मनिर्भरता के बीच संतुलन स्थापित करना।
- घरेलू क्षमताओं को बढ़ाकर और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर, भारत एवं अन्य देश चीन पर निर्भरता कम कर सकते हैं और एक सुरक्षित, लोचशील इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित कर सकते हैं।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] चीन द्वारा ई-आपूर्ति शृंखलाओं के शस्त्रीकरण के बारे में बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, भारत को जोखिमों को कम करने तथा अपनी इलेक्ट्रॉनिक आपूर्ति शृंखलाओं की सुरक्षा एवं लोचशीलता सुनिश्चित करने के लिए क्या रणनीति अपनानी चाहिए? |
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